एक दलाल का वेतन क्या है?

एक दलाल का वेतन क्या है?
By Team HSP On August 9th, 2022Join WhatsApp Group |
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आईसीडब्ल्यूए (ICWA) कोर्स क्या है:- (आईसीडब्ल्यूए (ICWA) कोर्स क्या है) ICWA कोर्स, इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एंड वर्क्स अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया द्वारा पेश किया जाने वाला न्यूनतम तीन साल का कोर्स है, जिसमें तीन चरण शामिल हैं, जैसे कि फाउंडेशन, इंटरमीडिएट और फाइनल। पाठ्यक्रम उन छात्रों द्वारा चलाया जाता है जो लागत प्रबंधन लेखाकार बनने का लक्ष्य रखते हैं। संस्थान अपने उम्मीदवारों में पेशेवर योग्यता विकसित करने में मदद करता है और उन्हें दुनिया भर में लागत प्रबंधन लेखाकार के रूप में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए आवश्यक शिक्षा प्रदान करता है।(आईसीडब्ल्यूए (ICWA) कोर्स क्या है)
आईसीडब्ल्यूए (ICWA) के बारे में :- आईसीडब्ल्यूए पाठ्यक्रम के सभी तीन चरण उम्मीदवारों को गहन ज्ञान सुनिश्चित करते हैं जो बदले में उन्हें उपलब्ध संसाधनों में व्यवसाय का प्रबंधन करने में मदद करता है। एक लागत प्रबंधन लेखाकार संगठन के सभी वर्गों से वित्तीय रिकॉर्ड एकत्र करने और उनका विश्लेषण करने के लिए जिम्मेदार होता है।
आईसीडब्ल्यूए के लाभ:- एक लागत प्रबंधन लेखाकार संगठन के सभी वर्गों से वित्तीय रिकॉर्ड एकत्र करने और उनका विश्लेषण करने के लिए जिम्मेदार होता है। पाठ्यक्रम को या तो किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से ऑनलाइन माध्यम से या पत्राचार के माध्यम से आगे बढ़ाया जा सकता है।
इस कोर्स के पूरा होने के बाद, उम्मीदवार न केवल नौकरी के लिए आवश्यक शिक्षा और योग्यता प्राप्त करते हैं बल्कि वित्तीय उद्योग में विभिन्न अवसरों से भी सम्मानित होते हैं। यदि किसी उम्मीदवार की संगठन के कई विभागों के खातों के प्रबंधन में अच्छी रुचि है, तो यह पाठ्यक्रम उम्मीदवारों के लिए एकदम सही है।
आईसीडब्ल्यूए पात्रता:- पात्रता मानदंड को किसी विशेष पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए पात्र होने के लिए प्राधिकरण द्वारा निर्धारित न्यूनतम पूर्वापेक्षाओं के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। यदि उम्मीदवार बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं तो उन्हें इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एंड वर्क्स अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा ICWAI परीक्षा को पास करना होगा। सभी चरणों के लिए पात्रता मानदंड एक दूसरे से अलग हैं। चरण के अनुसार पात्रता मानदंड नीचे चर्चा की गई है:
आईसीडब्ल्यूए फाउंडेशन पात्रता:-
- आईसीडब्ल्यूए फाउंडेशन कोर्स को आगे बढ़ाने के लिए, छात्रों को भारत से किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से अपनी 10 वीं कक्षा को सफलतापूर्वक पूरा करना आवश्यक है।
- 10+2 परीक्षा में बैठने वाले छात्र भी आईसीडब्ल्यूए फाउंडेशन कोर्स के लिए पात्र हैं।
आईसीडब्ल्यूए इंटरमीडिएट पात्रता:-
आईसीडब्ल्यूए इंटरमीडिएट पाठ्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए, छात्रों को भारत से किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से सफलतापूर्वक अपना 10 + 2 पूरा करना आवश्यक है।
आईसीडब्ल्यूए प्रवेश:- कोर्स में प्रवेश इंस्टिट्यूट ऑफ कॉस्ट एंड वर्क्स अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा के आधार पर दिया जाता है। तीनों चरणों के लिए अलग-अलग प्रवेश परीक्षाएं हैं। हालांकि, पिछले चरण की योग्यता परीक्षा को अगले चरण के लिए प्रवेश परीक्षा कहा जाता है, और छात्रों को इन योग्यता / प्रवेश परीक्षाओं से प्राप्त अंकों के आधार पर आंका जाता है। इंस्टिट्यूट ऑफ़ कॉस्ट एंड वर्क्स अकाउंटेंट्स ऑफ़ इंडिया द्वारा वर्ष में दो बार प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती है, अर्थात् जून और दिसंबर।
जो छात्र दिसंबर में पाठ्यक्रम में भाग लेना चाहते हैं, उन्हें उसी वर्ष के 30 जून तक अधिकतम आवेदन करना होगा। और जो छात्र जून में पाठ्यक्रम में भाग लेना चाहते हैं, उन्हें पिछले वर्ष के 30 दिसंबर तक अधिकतम आवेदन करना होगा। फाउंडेशन, इंटरमीडिएट और फाइनल तीनों पाठ्यक्रमों के लिए पंजीकरण शुल्क रु। 4,000, रु. 20,000, और रु। क्रमशः 17,000।
आईसीडब्ल्यूए के बाद करियर के अवसर:- आईसीडब्ल्यूए कोर्स पूरा करने वाले उम्मीदवारों के लिए करियर के विभिन्न अवसर उपलब्ध हैं। भारतीय वित्तीय बाजार दुनिया के सबसे पुराने बाजारों में से एक है और तेजी से विकास दर के साथ इसने दुनिया की उभरती अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अच्छे बाजारों में भी कदम रखा है। पूंजी बाजार पहली बार मुंबई के आसपास स्थापित किया गया था जिसमें 250 सुरक्षा दलाल शामिल थे जिन्होंने 19 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में सक्रिय वाणिज्य में भाग लिया था। आईसीडब्ल्यूए पाठ्यक्रम के पूरा होने के बाद उपलब्ध विभिन्न नौकरी पद निम्नलिखित हैं:
वित्तीय विश्लेषक:- वित्तीय विश्लेषक एक पेशेवर है जो मानक लागत स्थापित करके संचालन की लागत निर्धारित करने के लिए जिम्मेदार है; परिचालन डेटा एकत्र करना। एक वित्तीय विश्लेषक योजनाओं और पूर्वानुमानों के साथ वास्तविक परिणामों की तुलना और मूल्यांकन करके वित्तीय स्थिति की पहचान करने के लिए भी जिम्मेदार होता है। वह रणनीतियों और प्रक्रियाओं को व्यवस्थित और लागू करके लागत विश्लेषण समाधानों का मार्गदर्शन करता है; रुझान और पूर्वानुमान प्रदान करना; प्रक्रियाओं और तकनीकों की व्याख्या करना; कार्रवाई की सिफारिश करना।
लागत प्रबंधक:- एक लागत प्रबंधक की स्थिति क्रेडिट नीतियों के निरंतर आवेदन सहित संपूर्ण ऋण देने की प्रक्रिया के लिए जवाबदेह होती है। एक लागत प्रबंधक के रूप में, किसी को मौजूदा ग्राहकों के क्रेडिट की समय-समय पर समीक्षा करने की आवश्यकता होती है, और खराब ऋण हानियों के साथ-साथ कंपनी की बिक्री को अनुकूलित करने के उद्देश्य से संभावित ग्राहकों की साख का आकलन भी करना होता है। एक लागत प्रबंधक की भूमिकाएँ और जिम्मेदारियाँ उस संगठन और स्थिति के अनुसार भिन्न होती हैं जिस पर वे काम कर रहे हैं।
अनुसंधान विश्लेषक:- अनुसंधान विश्लेषक वे पेशेवर हैं जो संसाधनों, वस्तुओं और सेवाओं के लिए आर्थिक समस्याओं के मूल्यांकन के साथ-साथ डेटा, अनुसंधान प्रवृत्तियों को एकत्र और विश्लेषण करते हैं। अनुसंधान विश्लेषक विभिन्न क्षेत्रों के भीतर गुणात्मक और मात्रात्मक आर्थिक विश्लेषण दोनों को लागू करने के लिए जिम्मेदार हैं। उदाहरण के लिए, शिक्षा, स्वास्थ्य, विकास और पर्यावरण। कुछ शोध विश्लेषकों को रोजगार के स्तर, व्यापार चक्र, विनिमय दरों, करों, मुद्रास्फीति, या ब्याज दरों की जांच के साथ-साथ उत्पादों, स्वास्थ्य देखभाल या ऊर्जा की लागत का अध्ययन करने की भी आवश्यकता होती है।
आईसीडब्ल्यूए का वेतन क्या है?:- एक प्रवेश स्तर के सीएमए पेशेवर का औसत वेतन लगभग रु. प्रति वर्ष 4 लाख, जबकि एक मध्यम स्तर के पेशेवर लगभग रु। एक दलाल का वेतन क्या है? प्रति वर्ष 6 लाख। एक अनुभवी या वरिष्ठ स्तर का पेशेवर लगभग रुपये का वेतन कमा सकता है। प्रति वर्ष 10 लाख।
क्या होता है Broker
ब्रोकर क्या होता है ब्रोकर क्या आप जानते हैं ब्रोकर का असली मतलब क्या होता है तो कर क्या करता है क्या आपको पता है ब्रोकर को हिंदी में क्या कहते हैं आज हम आपको बताएंगे कि ब्रोकर का क्या काम होता है और उसे हिंदी में क्या कहते हैं ब्रोकर को हिंदी में दलाल कहते हैं जो लोगों के काम करवाता है जी हां इसे इंग्लिश में ब्रोकर और हिंदी में दलाल कहा जाता है.
ब्रोकर का काम यह होता है कि वह दोनों पार्टियों के बीच का व्यक्ति होता है वह एक दूसरी पार्टी में एक दलाल का वेतन क्या है? डील करवाता है और उनके बीच से कमीशन प्राप्त करता है वही होता है ब्रोकर.
आजकल हर किसी इंडस्ट्री में ब्रोकर फैले हुए हैं चाहे वह रियल स्टेट हो या फिर लाइफ इंश्योरेंस कंपनी या फिर कोई मार्केटिंग कंपनी आजकल हर किसी कंपनी में दलाल फैले हुए हैं चाहे एक दलाल का वेतन क्या है? वह सरकारी काम हो या फिर प्राइवेट बिना ब्रोकर के आज के युग में कोई भी कार्य नहीं होगा क्योंकि जब कोई एक पार्टी दूसरे पार्टी को अपना माल बेचती है तो उसको सौदा ब्रोकर ही करवाता है और मैं उसका कुछ प्रतिशत कमीशन लेता है.
लाइफ इंश्योरेंस कंपनी में भी ब्रोकर होता है और वह उस पर डिपेंड करता है कि वह किस प्रकार की लाइफ इंश्योरेंस कंपनी है जैसे अगर कोई व्यक्ति अपना जीवन बीमा पॉलिसी कर आता है उसके पास में कंपनी के रखे गए लोग काम करते हैं जो आपसे आकर मिलते हैं और उनके सभी कार्यों को समझाते हैं वही होता है ब्रोकर और वह आपसे जुड़ कर उस कंपनी में उनका खाता खोलते हैं तो यह कंपनी और आपके बीच का जो व्यक्ति है वही है ब्रोकर.
आप हर किसी फील्ड में आज एक दलाल मिलेगा क्योंकि दलाल के बिना कुछ भी कार्य नहीं होता चाहे वह सरकारी हो या प्राइवेट हर जगह दलाल की आवश्यकता जरूर पड़ती है यह व्यक्ति सभी कार्य करवाने के बाद में दोनों पार्टियों से थोड़ा-थोड़ा कमीशन लेता है वहीं इस की कमाई होती है ना कि यह कोई सैलरी आ प्रतिमाह वेतन प्राप्त करता है. और अगर आप को कोई भी और किसी भी ब्रोकर के बारे में जानकारी या सर्च करना हो तो आप गूगल, ओ.एल.एक्स, जैसी साइट्स पर जाकर सर्च करके कांटेक्ट कर सकते है.
इस पोस्ट में इन सवालों का जवाब देने का प्रयास किया गया है.
. life insurance broker kya hota hai.
. false ceiling licence banana hai broker chahiye kolkata.
ऐसी ही बिजनेस से संबंधित खबरों के लिए बने रहिए और पढ़ते रहिए भास्कर जगत न्यूज़
जिला महिला अस्पताल बना दलाली का अड्डा, 25 हज़ार रुपए बता कर ऐंठ लिए 70 हज़ार
प्रतापगढ़ : यूपी में मरीजो के बेहतर इलाज और उत्तम स्वास्थ्य के लिए अस्पतालों को और मजबूत बनाया जा रहा है। जहाँ पर इलाज करने के लिए धरती के भगवान की तैनाती की जाती है और उनको जनता के दिये गए टैक्स से वेतन आदी की सुविधा प्रदान की जाती है, पर यही धरती के भगवान सरकार के दिये गए वेतन से खुश नही रहते है, वह जनता से सीधे टैक्स वसूल लेते है। यैसे ही तमाम आरोपो से घिरा है जनपद प्रतापगढ़ का जिला महिला अस्पताल जहाँ पर आए दिन ऑपरेशन के नाम पर पैसों की डिमांड की जाती है, और फिर ऑपरेशन किया जाता है।
क्या था पूरा मामला:- पूरा मामला जनपद प्रतापगढ़ के जिला महिला अस्पताल का है जहां पट्टी के रामकोला गांव से आए हुए पीड़ित ने गंभीर आरोप लगाए हैं, पीड़ित का कहना है की वह अपनी पत्नी की डिलीवरी के लिए जिला महिला अस्पताल आया हुआ था जहां पर उसके टेस्ट के नाम पर ₹2000 लिए गए और खून की कमी बताकर प्रयागराज के लिए रेफर किया जाने लगा। जब पीड़ित ने इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि खून की कमी के कारण आपके पेशेंट का यहां पर ऑपरेशन नहीं किया जा सकता और फिर उससे पैसों की डिमांड की गई वह ज्यादा पैसा देने में असमर्थ था। तभी उसको जिला महिला अस्पताल में एक दलाल मिल गया जिसने बेहतर इलाज का वास्ता देकर मरीज को अपने साथ लेकर अन्य किसी प्राइवेट अस्पताल में चला गया। जहां पर उसको पहले ₹25000 में पूरे इलाज का झांसा दिया गया और अस्पताल में भर्ती कराने के बाद पूरे इलाज का खर्चा ₹70000 बताया गया। आपको बता दें जब मरीजों के इलाज के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं जिला महिला मेडिकल कॉलेज में सरकार द्वारा दी गई हैं। तो वहां मरीजों को प्रयागराज क्यों रेफर करते हैं, क्या यहां के डॉक्टर इस काबिल नहीं है और मरीजों का इलाज कर सकें। जबकि यहीं पर ही प्राइवेट अस्पतालों में उस मरीज का इलाज आसानी से हो जा रहा है।
बिहार में बिन 'बारिश' आ गई 'बाढ़': काम- मजदूरी, दिहाड़ी- 500 पर आयकर ने थमाया 37 लाख बकाए का नोटिस, केस
पुलिस के अनुसार, शिकायतकर्ता को उसके नाम से जारी पैन नंबर के आधार पर नोटिस मिला है।
"बिन बारिश आ गई बाढ़". आपने यह कहावत तो खूब सुनी ही होगी। इसी की बानगी अब बिहार में देखने को मिली है। सूबे में 500 रुपए की दिहाड़ी पर मजदूरी का काम करने वाले एक शख्स को आयकर विभाग ने तब झटका दे दिया, जब उसके पास विभाग की ओर से करीब 37 लाख रुपए के बकाए भुगतान से जुड़ा नोटिस पहुंच गया। नोटिस पाकर दिहाड़ी मजदूर हक्का-बक्का रह गया। मानो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई हो।
पुलिस थाने में पीड़ित ने दर्ज कराई शिकायत
समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा की रिपोर्ट के मुताबित, यह पूरा मामला खगड़िया जिले का है। वहां मघौना गांव में गिरीश यादव रहते हैं। वह रोजाना करीब 500 रुपये कमाते हैं और अपना गुजर-बस करते हैं। उन्हें जब 37.5 लाख रुपए का आईटी विभाग का नोटिस मिला तो उन्होंने इस बाबत इलाके के पुलिस थाने में शिकायत दी।
धोखाधड़ी का लगता है केस- पुलिस
अलौली थाना के प्रभारी पुरेंद्र कुमार ने पीटीआई को बताया, ‘‘हमने मामला दर्ज कर लिया है। गिरीश की ओर से दी गई सूचना के आधार पर जांच शुरू कर दी गई है। शुरुआती तौर पर ऐसा लगता है यह धोखाधड़ी का मामला है।’’ उनके अनुसार, शिकायतकर्ता को उसके नाम से जारी पैन नंबर के आधार पर नोटिस मिला है।
नहीं गया कभी राजस्थान, पर नोटिस में जिक्र एक दलाल का वेतन क्या है?
पुलिस की मानें तो गिरीश का कहना है कि वह दिल्ली में मजदूरी का काम करता है। वहां उसने एक बार एक दलाल के जरिए पैन कार्ड बनवाने की कोशिश की थी। पर उसके बाद उससे कभी नहीं उसकी मुलाकात हुई। नोटिस में गिरीश को राजस्थान की एक कंपनी से जुड़े होने का जिक्र किया गया है। हालांकि, उनका कहना है कि वह वहां (राजस्थान) कभी गया ही नहीं।
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महाराष्ट्र: स्कूलों का बिजली बिल भरने के लिए बिजली विभाग के कर्मचारियों ने दान दिया एक दिन का वेतन!
पिछले 6 महीने से बिजली का बिल न भर पाने के कारण औरंगाबाद के 35 मॉडल स्कूलों में अँधेरा छाया हुआ था। ऐसे में इन स्कूलों की मदद के लिए आगे आये एमएसईडीसीएल (Power Department) के कर्मचारी!
पि छले 6 महीने से बिजली का बिल न भर पाने के कारण औरंगाबाद के 35 मॉडल स्कूलों में अँधेरा छाया हुआ था। ऐसे में इन स्कूलों की मदद के लिए आगे आये एमएसईडीसीएल (Power Department) के कर्मचारी! उन्होंनेे अपने एक दिन का वेतन दान कर, 3.22 लाख रूपये जमा कियेे तथा इन स्कूलों के बिजली के बिल का भुगतान करके इन्हें फिर से रौशन कर दिया।
महाराष्ट्र: स्कूलों का बिजली बिल भरने के लिए बिजली विभाग (Power Department) के कर्मचारियों ने दान दिया एक दिन का वेतन!
यह भी पढ़ें – मुंबई: मुफ्त ‘डिजिटल हियरिंग एड’ प्रदान कर, संवारा 1300 से ज्यादा दिव्यांग बच्चों का जीवन (मुंबई की रहने वाली ऑडियोलॉजिस्ट और स्पीच थेरेपिस्ट, देवांगी दलाल ने साल 2004 में, ईएनटी सर्जन, डॉ. जयंत गाँधी के साथ मिलकर ‘जोश फाउंडेशन’ की शुरुआत की। जिसके जरिए, वे 1300 से ज्यादा जरूरतमंद बच्चों को मुफ्त में ‘डिजिटल हियरिंग एड’ उपलब्ध करा चुके हैं।)
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