विदेशी मुद्रा विश्लेषण

करेंसी ट्रेडिंग क्या होती है

करेंसी ट्रेडिंग क्या होती है

करेंसी ट्रेडिंग कैसे शुरू करे और कैसे खोल सकते है खाता यहाँ जाने पूरी जानकारी

मुंबई : अगर करंसी ट्रेडिंग करना चाहते है तो सबसे पहले आपको करंसी ट्रेडिंग की बुनियादी बातो को समझाना ज्यादा जरुरी है। करंसी ट्रेडिंग हर देशो के करंसी के जरिये की जाती है आपको बता दे की हर एक देश की करंसी उसके शेयर बाजार और बिज़नेस मे होने वाली घटनाओ के आधार पर बदलते रहते है। करंसी ट्रेडिंग दुनिया का सबसे बड़ा बाजार माना जाता है कारन इसमे सभी देशो के करंसी की ट्रेडिंग की जा सकती है। शेयर बाजार मे करंसी ट्रेडिंग मे भी अच्छी कमाई की जा सकती है इसके लिए बस इसको ठीक से समझाना जरुरी है।करंसी ट्रेडिंग को फोरेक्स ट्रेडिंग भी कहा जाता है इसमे विदेशी कमनीय भी ब्रोकर सेवाएं देती है जिसमे OCTA FX ,NORD FX जैसे स्टॉक ब्रोकर शामिल है।

Learn Intraday Trading in Hindi 2022

अगर आपको करेंसी ट्रेडिंग क्या होती है स्मार्ट तरिके से जल्दी अमीर होना हैं तो आज के वक्त शेअर मार्केट हि एकमात्र करियर हैं जहां आप यह आसानी से Rich बन सकते हों | आज हम शेअर मार्केट से जुड़े ऐसे हि एक विषय यानी 'ट्रेडिंग कैसे सीखें' इस विषय के बारे में जानकारी देने वाले हैं। तो चलिये जानते हैं इसके बारे में विस्तार सें।

How to learn Intraday Trading ?

ट्रेडिंग क्या होती हैं?

फायदा पाने के हेतु खरिदी और बिक्री करते हैं इसे हि ट्रेडिंग कहते हैं।

अलग अलग जगह पर यह ट्रेडिंग चलती रहती हैं लेकिन करेंसी ट्रेडिंग क्या होती है करेंसी ट्रेडिंग क्या होती है आज हम यह शेयर बाजार में ट्रेडिंग कैसे करते हैं इसकी बात करेंगे।

ट्रेडिंग किस किस चीज़ में कि जाती हैं?

शेअर मार्केट,

जैसे और भी कई चींजों करेंसी ट्रेडिंग क्या होती है में ज्यादातर लोग ट्रेडिंग करते हैं।

शेअर मार्केट में ट्रेडिंग करना कैसे सीखे‌?

शेअर मार्केट को कई लोग आज भी गैमलींग की तरह देखते हैं लेकिन शेअर मार्केट कोई गैमलिंग नहीं करेंसी ट्रेडिंग क्या होती है होती अगर आप उसका पुरा अभ्यास करके उसमें रिसर्च करके वह करते हैं तो।

कुछ साल में हमारे देश में इंटरनेट गतिविधियों में काफी इजाफा हुआ है ऊपर से बीच बीच में लाॅकडाऊन लगता रहता है वैसे में बहुत सारे वर्क फ्राॅम होम भी कर रहे हैं इस दौरान Demat Account निकालने वालो कि संख्या बहुत बढ़ गई है। ऐसे में बहुत से लोगों के मन में पहला सवाल यही आता है कि Share Market Shikhe Kahase ? तो आज हम आपको इसी के जवाब देंगे।

  • अच्छी जगह से ट्रेंडिंग कोर्स करना:

शेयर मार्केट के ऊपर आपको ऑनलाईन और ऑफलाईन हजारो ट्रेडिंग कोर्सेस मिल जायेंगे जहां से आप इसे सीख सकते हों। यह बिल्कुल भी कोई राॅकेट सायंन्स नहीं हैं ना हि बहुत आसान हैं। अगर आप ट्रेडिंग कोर्स करना चाहते हैं तो पहले जिसी भी इंस्टिट्यूट या जिसी भी व्यक्ती से आप यह सिखना चाहतें हैं इसका इतिहास यानी वह व्यक्ती या इंस्टिट्यूट कितने प्रोफिटेबल है यह जान लें, उनकी Rating और Review आपको मिल जायेंगे वह देखकर आप एक अच्छा सा Trading Course Complete कर सकते हों। यह तरिका बहुत सीधा सीधा है और ज्यादातर लोग यही करते हैं।

  • फ्रि में ट्रेडिंग कोर्स कैसे सीखें?

ऐसा हि नहीं है कि आपको ट्रेडिंग के लिये पैसे देकर ही कही‌ जाकर ही आप ट्रेडिंग सीख सकते हैं बल्कि आपको बहुत जगह फ्रि भी यह सीख सकते हैं लेकिन आपको इसे प्रोपर तरिके से करना होगा कोर्सेस का यही फायदा रहता है कि आपको वह एक पाथ से सिखाते हैं लेकिन अगर आप YouTube, Udemy जैसे प्लॅटफाॅर्म पर बहुत सारे Free Online Trading Courses मिल जायेंगें। लेकिन आपको इसमें भी अच्छे और उपयोगी चींजे हि देखनी है। आज के तारिख में देखा जाते तो अनेक Video's Platform पर सब चींजे आपको मिल जाती है लेकिन कौन सी चीज देखनी है यह आपको छान के‌ निकलना पड़ेगा।

  • बुक से ट्रेंडिंग सीख सकते हैं?

अगर आप किसी कोर्स कि मदत से‌ ट्रेंडिंग सीखने जाते हैं तो आपको बहुत सारे महंगे महंगे कोर्स बाजार में मिलेंगी जिनकी फिस 7000 रुपयों से चालु होकर देढ़ लाख तक भी हैं। लेकिन जो लोग ट्रेंडिंग में सफल होकर आगे जाके अपनी किताबों में उनके द्वारा इस्तमाल कि गई ट्रेडिंग स्ट्रेटजी बताते हैं और उनकी बुक या ई-बुक खरिदने जायेंगे तो वह‌‌ 500 से 1000 रुपयें यानी काफी सस्ते में मिल जाती हैं इसलियें यह‌ सबसे अच्छा तरिका है ट्रेडिंग को सीखने का। अधिक जानकारी के लिये आप हमारा इनेवेस्टमेंट और शेअर मार्केट पर से 6 बेहतरिन किताबें यह आर्टिकल भी पढ़ सकते हैं।

और आप बुक खरिदना नहीं चाहते तो आप ई-बुक के रुप में भी सस्ते में e-format में मोबाईल या कंप्यूटर द्वारा पढ़ सकते हैं।

आजकल आपके आसपास या मित्रों में से कई सारे शेअर मार्केट करते होंगे अगर आप उनसे थोड़ी थोड़ी जानकारी हासिल करके एक छोटी राशी से शेअर मार्केट को चालु करते हैं तो भी आप जल्दी नहीं लेकिन थोड़े दिनों बाद शेअर मार्केट का गणित अथवा ज्ञान अर्जित कर सकेंगें।

इंट्राडे के क्या-क्या फायदे हैं?

इसमें ट्रेडिंग अवधी होने के बाद आपका कोई पैसा मार्केट में अटका नहीं रहता इसलिये क्लियारिटी आती है और फियर भी कम रहता हैं।

इंट्राडे में आपको कई ब्रोकर द्वारा कई गुना मार्जिन अथवा लिवरेज दिया जाता है इससे आप कम पैसों में भी ज्यादा शेयर खरिद अथवा बेच सकते हों।

इंट्राडे में आप ऊपर जाते वक्त और साथ ही नीचे आते वक्त भी दोनों तरफ भी पैसा बना सकते हों।

इंट्राडे के क्या-क्या नुकसान हैं?

इसे आप जब चाहें सीख तो सकते हैं लेकिन इसे रियल टाईम यानी मार्केट चालु रहने के समय ही कर सकते हैं, इसलिये इसे समय कि मांग चाहियें।

यह काफी नुकसान देह भी होता है कई लोगों ने पहले भी इसमें अकांउट के अकाउंट खाली करा दिये हैं इसलिये आप पहले पेपर ट्रेंडिंग करके प्रॅक्टिस करें तो जाके ही आप इंट्राडे सीख कर पैसा बना सकते हैं।

अगर आप ट्रेंड करते समय थोड़ी राशी गवाते हैं और वह रिकवर करने के चक्कर में आप अगर बार बार ट्रेंड लेने जाते हैं तो आप जल्दी ही अपना अकांउट खाली करा सकते हैं।

इंट्राडे ट्रेडिंग में दो चीज़ें कभी नहीं चलती भय और लालच, आपको ट्रेडिंग में मनी मैनेजमेंट और रिस्क मैनेजमेंट सही तरिके से नहीं आता तो भी एक न एक दिन आप इससे भारी नुकसान उठाना पड़ सकता हैं।

आपने क्या सीखा ?

इस आर्टिकल में हमने पुरे विस्तार से देखा कि ट्रेडिंग कैसे सीखें? और इसके क्या-क्या रस्ते है जहां से‌ आप ट्रेडिंग को सीख सकते हैं।

हमने देखा कि इंट्राडे के क्या-क्या फायदे हैं और क्या क्या नुकसान हो सकते हैं इसके बारे में भी पुरी चर्चा की।

अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई हो तो अपने मित्रों से जरुर शेअर करे और कोई सवाल और सुझाव हो तो हमें अवश्य लिखें।

Demat vs Trading Account में क्या अंतर होता है? दोनों के क्या इस्तेमाल हैं?

नई दिल्ली। शेयर बाजार में निवेश करने वालों ने डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट के बारे में बहुत सुनते हैं, पर अधिकांश लोगों को इन दोनों खातों के बीच का अंतर नहीं पता होता है। आइए आसान भाषा में जानते हैं डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट के बीच क्या-क्या अंतर होता है?

शेयर मार्केट में निवेश के लिए डीमैट अकाउंट दोनों का होना जरूरी
बता दें कि इक्विटी मार्केट में निवेश के लिए किसी भी व्यक्ति के पास डीमैट अकाउंट का होना सबसे पहली शर्त है। डीमैट अकाउंट के साथ एक और खाता अटैच होता है जिसे ट्रेडिंग अकाउंट कहते हैं। जरूरत के आधार पर दोनों निवेशक दोनों का अलग-अलग इस्तेमाल करते हैं। डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट दोनों अलग-अलग तरह के खाते होते हैं। डीमैट अकाउंट वह अकाउंट होता है जिसमें आप अपने असेट या इक्विटी शेयर रख सकते हैं। वहीं दूसरी ओर ट्रेडिंग अकाउंट वह खाता होता है जिसका इस्तेमाल करतेह हुए आप इक्विटी शेयरों में लेनदेन करते हैं।

क्या होता है डीमैट अकाउंट?
डीमैट अकाउंट वह खाता होता है जिसके माध्यम से आप अपनी इक्विटी हिस्सेदारी इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में होल्ड करके रखते हैं। डीमैट अकाउंट फिजिकल शेयर को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में बदल देता है। डीमैट अकाउंट खोलने पर आपको एक डीमैट अकाउंट नंबर दिया जाता है जहां आप अपने इक्विटी शेयरों को सहेज कर रखते हैं। डीमैट अकाउंट बहुत हद तक बैंक अकाउंट की तरह कार्य करता है। यहां से इक्विटी बाजार में किए गए अपने निवेश की जमा और निकासी कर सकते हैं। डीमैट अकाउंट खोलने के लिए यह जरूरी नहीं कि आपके पास कोई शेयर हो। आपके अकाउंट में जीरो बैलेंस हो तो भी आप डीमैट खाता खोल सकते हैं।

यह भी पढ़ें | इंडोनेशिया में करेंसी ट्रेडिंग क्या होती है गर्मजोशी से मिले बाइडेन-जिनपिंग, अमेरिका-चीन संबंध सुधारने पर दोनों का जोर

क्या होता है ट्रेडिंग अकाउंट?
इक्विटी शेयरों को खाते में सहेजकर रखने की बजाय अगर आप इनकी ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत पड़ती है। अगर आप शेयर बाजार में लिस्टेड किसी कंपनी के शेयरों की खरीद-बिक्री करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत पड़ती है।

डीमैट और ट्रेडिंग में अकाउंट क्या फर्क है?
जहां डीमैट अकाउंट आपके शेयर या को डिमैटिरियलाइज्ड तरीके से सुरक्षित रखने वाला खाता होता है, वहीं दूसरी ओर, ट्रेडिंग अकाउंट आपके बैंक खाते और डीमैट खाते के बीच की कड़ी होती है। डीमैट अकाउंट में शेयरों को सुरक्षित रखा जाता है। इसमें कोई लेन-देन नहीं किया जाता है। ट्रेडिंग अकाउंट शेयरों की खरीद-फरोख्त के लिए इस्तेमाल होता है। डीमैट अकाउंट पर निवेशकों को सालाना कुछ चार्ज देना होता है। पर ट्रेडिंग अकाउंट आमतौर पर फ्री होता है, हालांकि यह इस बात पर निर्भर करता है कि सेवा प्रदाता कंपनी आपसे चार्ज वसूलेगी या नहीं।

क्या सिर्फ डीमैट या ट्रेडिंग अकाउंट रख सकते हैं?
आमतौर पर डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट एक साथ ही खोले जाते हैं। शेयरों में निवेश के लिए दोनों ही तरह के खाते जरूरी हैं। जब आप शेयरो को खरीदते हैं और उसे लंबे समय तक अपने पास रखना चाहते हैं तो आपको डीमैट अकाउंट की जरूरत पड़ती है। वहीं अगर आप बस शेयरों की ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत पड़ती है। अगर आप सिर्फ इंट्राडे शेयर ट्रेडिंग, फ्यूचर ट्रेडिंग, ऑप्शंस ट्रेडिंग और करेंसी ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको सिर्फ डीमैट अकाउंट की जरूरत पड़ती है। आप चाहते तो दोनों तरह के खातों को एक दूसरे के बिना भी रख सकते हैं।

अमेरिका ने भारत को करेंसी मॉनिटरिंग लिस्ट से किया बाहर, इसे हमें फायदा होगा या नुकसान?

अमेरिका ने भारत को करेंसी मॉनिटरिंग लिस्ट से किया बाहर, इसे हमें फायदा होगा या नुकसान?

हाल ही में अमेरिका ने भारतीय करेंसी यानि रुपए के मानिटरिंग लिस्ट से बाहर कर दिया है. भारतीय करेंसी के अलावा कई अन्य देशों की करेंसी को भी इस लिस्ट से बाहर किया गया है. ऐसे में ये जानना है कि अमेरिका के इस कदम से भारत को फायदा मिलेगा या नुकसान होगा.

दो साल बाद अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने भारत को प्रमुख ट्रेडिंग पार्टनर की करेंसी मॉनिटरिंग लिस्ट से भारतीय करेंसी को हटा दिया है. भारत के अलावा इटली, मेक्सिको, थाईलैंड और वियतनाम की करेंसी को भी इस लिस्ट से बाहर कर दिया गया है. अमेरिका साल में दो बार इस लिस्ट को जारी करता है. पिछले 2 रिपोर्ट में 3 में से केवल 1 ही शर्त को पूरा करने की वजह से इन देशों की करेंसी को लिस्ट से बाहर किया गया है. ट्रेजरी विभाग ने इस बार कि रिपोर्ट में कहा कि चीन, जापान, कोरिया, जर्मनी, मलेशिया, सिंगापुर और ताइवान की ऐसी 7 करेंसी हैं, जो मॉनिटरिंग लिस्ट में शामिल हैं. इस लिस्ट में कोई भी देश कम से कम दो रिपोर्ट तक रहता है. इस रिपोर्ट में अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने अमेरिका के प्रमुख ट्रेडिंग पार्टनर की नीतियों का मूल्यांकन करता है.

जब कोई देश अमेरिका के करेंसी मॉनिटरिंग लिस्ट में होता है तो उसे "करेंसी मैनिपुलेटर" माना जाता है. इसका मतलब है कि वो देश व्यापार के फायदे के लिए गलत तरीके से अपनी करेंसी को प्रभावित करता है. एक्सपर्ट का कहना है इस लिस्ट से बाहर होने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) एक्सचेंज रेट को प्रभावी रूप से मैनेज करने के लिए बड़े कदम उठा सकता है. इससे भारतीय करेंसी को 'करेंसी मैनिपुलेटर' का तमगा भी नहीं मिलेगा.

बाजार के लिए लिहाज से इसे भारत की बड़ी जीत के तौर पर देखा जा सकता है. इससे वैश्विक ग्रोथ में भारत की बढ़ती भूमिका का भी अंदाजा लगता है. रुपए में कमजोरी के बीच एक्सचेंज रेट को मैनेज करने के लिए हाल ही में RBI ने इनफ्लो के दौरान डॉलर खरीदने और फिर आउटफ्लो के दौरान इसे बेचने का काम किया. आगे चलकर रुपए में मजबूती देखने को मिल सकती है.

किसी देश की करेंसी को इस लिस्ट में शामिल करने का मतलब है कि वो देश जानबूझकर अपनी करेंसी की वैल्यू को कम कर रहे हैं ताकि विदेशी व्यापार में उन्हें फायदा मिल सके. करेंसी की वैल्यू कम होने से उस देश के एक्सपोर्ट खर्च में कमी आती है. अमेरिका का ट्रेजरी विभाग साल में दो बार इसपर रिपोर्ट जारी करता है. इस करेंसी ट्रेडिंग क्या होती है रिपोर्ट को तैयार करने के लिए वैश्विक इकोनॉमिक स्थिति और विदेशी एक्सचेंज रेट को मॉनिटर किया जाता है. इसमें अमेरिका के 20 सबसे बड़े व्यापार पार्टनर देशों की करेंसी शामिल होती है.

किसी भी देश की करेंसी को इस लिस्ट में शामिल करने के लिए तीन पैमानों पर उन्हें परखा जाता है. अगर कोई भी करेंसी इस तीन में से दो पैमाने को पूरा करती है तो उसे इस लिस्ट में शामिल किया जाता है.

2. किसी भी देश का पिछले 12 महीने में किसी भी मटीरियल का व्यापार घाटा वहां की जीडीपी का कम से कम 2% हो.

3. पिछले 12 महीनों में से कम से कम 6 महीनों में उस देश ने अपनी जीडीपी का कम से कम 2% खर्च विदेशी करेंसी खरीदने पर किया हो.

क्रिप्टो एक्सचेंज में बड़ी गिरावट पर कोई अचरज नहीं होना चाहिए: जॉन हॉकिंस

क्रिप्टो एक्सचेंज एफटीएक्स (FTX) दिवालिया होने की कगार पर है.

एफटीएक्स और अल्मेडा दोनों एक्सचेंज का मेजोरिटी स्वामित्व रखने वाले सैम बैंकमैन-फ्राइड (Sam Bankman-Fried) ने इस साल की शुरुआत में अन्य बदहाल क्रिप्टो कंपनियों को मुश्किल से उबारा था. लेकिन अब वह अपनी कंपनियों को बचाने के लिए 8 अरब डॉलर का निवेश करने वाले की तलाश में हैं.

  • News18Hindi
  • Last Updated : November 12, 2022, 19:48 IST

(जॉन हॉकिंस/John Hawkins, सीनियर लेक्चरर, कैनबरा यूनिवर्सिटी)

नई दिल्ली. अधिक समय नहीं हुआ जब एफटीएक्स (FTX) दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स में से एक था. साल 2019 में स्थापित इस क्रिप्टो एक्सचेंज (Crypto Exchange) में बड़ी तेजी से बढ़ोतरी हुई और वर्ष 2022 की शुरुआत में इसका मूल्य 30 अरब डॉलर तक पहुंच गया था. लेकिन पिछले 2 हफ्तों में पूरी तस्वीर ही बदल चुकी है.

सबसे पहले एफटीएक्स और एसेट-ट्रेडिंग फर्म अल्मेडा रिसर्च (Alameda Research) के संबंधों को लेकर चिंताएं सामने आईं. इस दौरान ग्राहकों के पैसे को एफटीएक्स से अल्मेडा में ट्रांसफर किए जाने की चर्चाएं भी शामिल हैं.

कुछ दिनों बाद सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज और एफटीएक्स के प्रतिद्वंद्वी बिनेंस (Binance) ने ऐलान किया कि वह एफटीटी टोकन की अपनी होल्डिंग को बेच देगी. इससे घबराए ग्राहक एफटीएक्स से फंड निकालने के लिए दौड़ पड़े और यह एक्सचेंज अब पतन के कगार पर पहुंच चुका है. इसकी वेबसाइट पर यह मैसेज भी जारी कर दिया गया है कि वह वर्तमान में निकासी की प्रक्रिया में असमर्थ है. हालांकि क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में यह इतने बड़े पैमाने पर हुई कोई पहली गिरावट नहीं है.

बचाव की राह मुश्किल
एफटीएक्स और अल्मेडा दोनों एक्सचेंज का मेजोरिटी स्वामित्व रखने वाले सैम बैंकमैन-फ्राइड (Sam Bankman-Fried) ने इस साल की शुरुआत में अन्य बदहाल क्रिप्टो कंपनियों को मुश्किल से उबारा था. लेकिन अब वह अपनी कंपनियों को बचाने के लिए 8 अरब डॉलर का निवेश करने वाले की तलाश में हैं. लेकिन कई फर्मों के पहले ही एफटीएक्स में अपनी हिस्सेदारी को बट्टे खाते (Written Off) में डाल देने से बैंकमैन-फ्राइड के लिए इच्छुक निवेशकों को ढूंढना आसान नहीं होगा.

बिनेंस ने इस क्रिप्टो एक्सचेंज का अधिग्रहण करने के बारे में सोचा लेकिन आखिर में उसका फैसला नकारात्मक ही रहा. इसने कदाचार के आरोपों और यूएस सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन की जांच से जुड़ी चिंताओं को देखते हुए अपने कदम पीछे खींच लिए. ऐसी स्थिति में अब एफटीटी की कीमत बहुत गिर गई है. एक हफ्ते पहले यह 24 डॉलर पर कारोबार कर रहा था लेकिन अब यह 4 डॉलर से भी नीचे आ गया है.

सावधानी का सबक
सही तरह से रेगिलेटेड नहीं हो रहे एक्सचेंजों पर बिना किसी अंतर्निहित फंडामेंटल वैल्यू के ‘एसेट्स’ में ट्रेडिंग करना हमेशा एक बहुत ही जोखिम भरा प्रयास होता है. कई लोगों के लिए यह नुकसान का सौदा बन सकता है.

क्रिप्टो से अलग तरह की एसेट का मामला अलग होता है. आम कंपनी के शेयरों का एक फंडामेंटल वैल्यू होता है जो कंपनी के मुनाफे से भुगतान किए गए डिविडेंड पर आधारित होता है. रियल एस्टेट का भी एक फंडामेंटल वैल्यू होता है जो निवेशक को मिलने वाले रेंट या उस पर उसके भौतिक कब्जे को दर्शाता है. एक बांड का भी मूल्य उस पर मिलने वाले ब्याज की राशि पर निर्भर करता है. यहां तक ​​कि सोने का भी कुछ प्रैक्टिकल यूजेज होता है.

लेकिन बिटकॉइन, ईथर और डॉगकॉइन जैसी कथित क्रिप्टो मुद्राओं का ऐसा कोई फंडामेंटल वैल्यू नहीं होता है. वे पार्सल आगे बढ़ाने वाले खेल की तरह हैं जिसमें सट्टेबाज कीमत गिरने से पहले उन्हें किसी और को बेचने की कोशिश करते हैं.

क्रिप्टो पर प्रभाव
इन घटनाओं ने क्रिप्टो इकोसिस्टम में विश्वास को और कम कर दिया है. इस नई घटना से पहले ही क्रिप्टो-करेंसी का ‘मूल्य’ 3 लाख करोड़ डॉलर के उच्च स्तर से गिरकर एक लाख करोड़ डॉलर पर आ गया था. अब तो यह और भी नीचे गिर गया है.

जिस तरह इंटरनेट आधारित कारोबार में अमेजन जैसी कुछ कंपनियां ही दिग्गज बन पाई हैं, उसी तरह यह संभव है कि क्रिप्टो की रूपरेखा तय करने वाली ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर निर्भर केवल कुछ कंपनियां ही स्थायी तौर पर उपयोगी साबित हों.

करेंसी के इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म के विचार को सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी की शक्ल में अब अपनाया जा रहा है. लेकिन बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स के चीफ इकोनॉमिस्ट ह्यून सोंग शिन के शब्दों में कहें तो ‘क्रिप्टो से जो कुछ भी किया जा सकता है वह सेंट्रल बैंक मनी से बेहतर किया जा सकता है.’

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