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निवेश की अवधि

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टाटा का ये स्टाॅक कर सकता है कमाल, राकेश झुनझुनवाला ने भी किया है निवेश

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कम समय के लिए करना है म्युचुअल फंड में निवेश, तो ये हैं 3 बेस्ट ऑप्शन

म्युचुअल फंड में निवेश सबसे ज्यादा फायदे का सौदा माना जाता है. ऐसे में अगर आप भी म्युचुअल फंड में निवेश करने की सोच रहे हैं और आपको पता नहीं है कि कौन सा फंड आपके लिए बेहतर होगा, तो चिंता की जरूरत नहीं. हम आपको 6 ऐसे फंड के बारे में बता रहे हैं, जिनमें से आप अपनी जरूरत के मुताबिक निवेश करने पर विचार कर सकते हैं. ये फंड आपको न सिर्फ अच्छा रिटर्न देंगे, बल्कि आप इसमें अपनी जरूरत के मुताबिक निवेश भी कर सकेंगे.

म्युचुअल फंड में निवेश

विकास जोशी

  • नई दिल्ली,
  • 20 नवंबर 2017,
  • (अपडेटेड 20 नवंबर 2017, 1:41 PM IST)

म्युचुअल फंड में निवेश सबसे ज्यादा फायदे का सौदा माना जाता है. ऐसे में अगर आप छोटी अवधि‍ के लिए निवेश करने की सोच रहे हैं, तो कई विकल्प मौजूद हैं. इनमें से अगर आपको पता नहीं है कि कौन सा फंड आपके लिए बेहतर होगा, तो चिंता की जरूरत नहीं. हम आपको 3 ऐसे फंड के बारे में बता रहे हैं, जिनमें से आप अपनी जरूरत के मुताबिक निवेश करने पर विचार कर सकते हैं. ये फंड आपको न सिर्फ अच्छा रिटर्न देंगे, बल्कि आप इसमें अपनी जरूरत के मुताबिक निवेश भी कर सकेंगे.

फंड्सइंडिया में म्युचुअल फंड रि सर्च की उपप्रमुख भावना ने Aajtak.in से बातचीत में ऐसे 3 फंड्स के बारे में बताया है, जो आपको आपकी जरूरत को पूरा करने के लिए बेहतर रिटर्न दे सकते हैं. यहां आपको फिलहाल सिर्फ डेट फंड्स में निवेश की अवधि निवेश को लेकर जानकारी दे रहे हैं. इनके जरिये आप बैंक की फिक्स्ड डिपोजिट से ज्यादा रिटर्न हासिल कर सकते हैं.

डेट फंड्स ट्रेजरी बिल्स और सरकारी बॉन्ड्स के साथ ही कॉरपोरेट बॉन्ड्स में ज्यादातर निवेश करते हैं. आम तौर पर डेट फंड की तय मैच्योरिटी डेट होती है. अगर आप निवेश की अवधि कम समय के लिए म्युचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं, तो ये फंड आपका चुनाव हो सकते हैं. क्योंकि ये कम समय में बेहतर रिटर्न देने के लिए जाने जाते हैं.

ये हैं बेस्ट डेट फंड्स

एचडीएफसी मीडियम टर्म अपॉर्च्यून‍िटी

अगर आप तीन साल तक ही निवेश करना चाहते हैं और इस दौरान फिक्स्ड डिपोजिट से ज्यादा रिटर्न हासिल करना चाहते हैं, तो यह फंड आपका चुनाव हो सकता है. यह कम जोख‍िम के साथ आपको बेहतर रिटर्न हासिल करने में मदद करता है.

9.2 फीसदी तक मिलेगा रिटर्न

एचडीएफसी मीडियम टर्म अपॉर्च्यून‍िटी की बात करें, तो यह आपको निवेश की अवधि निवेश की अवधि 9.1 फीसदी तक रिटर्न (5 साल के निवेश पर ) दे सकता है. वहीं, अब तक की परफॉर्मेंस के आधार पर देखें तो एक साल के निवेश पर इस फंड ने 7.7 फीसदी और तीन साल के निवेश पर 9.2 फीसदी रिटर्न दिया है.

यूटीआई बैंकिंग और पीएसयू डेट

आप एक से दो साल के लिए निवेश करना चाहते हैं, तो ये फंड आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है. यह फंड लघु अवध‍ि की डिपोजिट्स और लघु से मध्यम अवधि के सरकारी बॉन्ड्स में निवेश करता है. दूसरों के मुकाबले यह बेहतर रिटर्न देने वाला साबित हुआ है.

9 फीसदी रिटर्न

इस फंड ने 3 साल के निवेश पर 9.2 फीसदी और एक साल के निवेश पर 8.1 फीसदी का रिटर्न दिया है.

आईसीआईसीआई प्रोड्यूंश‍ियल फ्लेक्ज‍िबल इनकम

6 महीने से लेकर एक साल के लिए निवेश करना चाहते हैं, तो यह फंड आप चुन सकते हैं. यह फंड लघु अवध‍ि के कॉरपोरेट पेपर्स और बैंक डिपोजिट्स में निवेश करता है. इसके अलावा यह ट्र्रेजरी बिल्स में भी निवेश करता है. इस फंड का एक साल का औसत रिटर्न इस कैटेगरी के दूसरे फंड से काफी ज्यादा बेहतर रहा है.

यहां भी मिलेगा बेहतर रिटर्न

इस फंड से 5 साल के निवेश पर 9.1 फीसदी रिटर्न का औसत है. इसके अलावा तीन साल के निवेश पर आपको 8.6 और एक साल के निवेश पर 7.निवेश की अवधि 7 फीसदी रिटर्न दिया है. (नोट : तीनों फंड्स के रिटर्न के आंकड़े 23 अक्टूबर, 2017 तक के हैं. एक साल से ऊपर के फंड का रिटर्न सालाना दर के तौर पर लिया गया है.)

इसलिए करें अंडर-कंस्ट्रक्शन संपत्तियों में निवेश

Suren Goyal

इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि बीते कुछ वर्षों ने रियल्टी सेक्टर के निवेशकों के मन में असुरक्षा की भावना पैदा कर दी है। हालांकि, वह असुरक्षा और निवेश की अनिच्छा अल्पकालिक थी और उद्योग अब पूरी तरह सुधार की ओर देख रहा है। इसके बावजूद यह दुविधा बनी हुई है कि एक निवेशक के लिए कौन सी संपत्ति बेहतर है।

रेडी-टू-मूव-इन या अंडर-कंस्ट्रक्शन, ये दो ऐसे विकल्प हैं जो निवेशक को हमेशा दुविधा में डालते हैं। रेडी-टू-मूव इन यानी रहने के लिए तैयार संपत्ति की एक अच्छी बात होती है कि निवेशक उसे अच्छी तरह देख-समझ सकते हैं, वह संपत्ति अस्तित्व में आ गई होती है। फिर भी, वर्तमान कैलेंडर वर्ष यानी 2022 हाउसिंग सेक्टर के स्थायित्व के लिहाज से मजबूत वर्ष होगा, लिहाजा एक अंडर-कंस्ट्रक्शन संपत्ति में निवेश करने से लंबी अवधि में कुछ अच्छा रिटर्न मिलेगा।

इसके मुख्य कारक ये हैं:

कम इनपुट लागत

जैसा कि रियल एस्टेट क्षेत्र अपने पैरों पर खड़ा होने की कोशिश कर रहा है, रियल एस्टेट डेवलपर्स घर खरीदारों को आकर्षित करने के लिए आकर्षक ऑफर पेश कर रहे हैं। चूंकि अंडर कंस्ट्रक्शन परियोजनाओं को पूरा होने में समय लगता है, एक निवेशक वास्तविक लागत के केवल 5-10 प्रतिशत के साथ एक संपत्ति बुक कर सकता है और बची हुई राशि का भुगतान किस्तों में या डेवलपर की सरल शर्तों पर कर सकता है।

इस तरह, इनपुट लागत उस राशि का केवल एक अंश है जिसका उपयोग रेडी-टू-मूव-इन हाउसिंग यूनिट के लिए किया जाएगा। वर्तमान में डेवलपर्स निवेशकों को आमंत्रित करने के लिए पहले से कहीं अधिक इच्छुक हैं, इसलिए निवेशकों को अंडर कंस्ट्रक्शन संपत्ति के स्वामित्व पर विचार करना चाहिए।

वहनीय ब्याज दरें

जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था एक अभूतपूर्व महामारी के दर्द से उबर रही है, ऋण वितरण भी गति पकड़ रहा है और होम लोन पर ब्याज की दरें बेहद निचले स्तर पर हैं। जहां सरकारी बैंक 6.50 तक की निचली दरों पर होम लोन दे रहे हैं, वहीं गैर-बैंकिंग निवेश की अवधि वित्त कंपनियां (छठथ्ब्) 6.90 से 12 प्रतिशत पर होम लोन दे रही हैं।

यह निवेशकों के लिए कम ब्याज दरों का लाभ उठाने और अंडर-कंस्ट्रक्शन संपत्तियों में निवेश करने का एक उपयुक्त समय है। इसके अलावा, होम लोन को डेवलपर्स की भुगतान योजना के साथ किया जा सकता है ताकि निर्माण चरण पूरा होने पर किस्त जारी की जा सके।

उच्च रिटर्न संभावित

जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था एक विकट चुनौती से उबर रही है, आने वाले दशक में विकास की गति काफी तेज रहने वाली है। अग्रणी रेटिंग एजेंसी मूडीज के अनुमान के अनुसार आने वाले साल में भारतीय अर्थव्यवस्था के 9.1 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है। यह भविष्यवाणी भारतीय अर्थव्यवस्था की क्षमता को प्रदर्शित करती है। यदि रियल एस्टेट निवेशक एक अंडर-कंस्ट्रक्शन संपत्ति पर विचार करते हैं, तो रिटर्न की दर 7-10 साल के समय के हिसाब से अच्छी होगी।

आवासीय खंड के अलावा, अचल संपत्ति निवेश भी जोर पकड़ रहा है। यदि किराये की आय अर्जित करना निवेश का एकमात्र उद्देश्य है, तो आप एक अंडर-कंस्ट्रक्शन कमर्शियल संपत्ति पर भी विचार कर सकते हैं।

आकर्षक ऑफर

संभावित घर खरीदारों को लुभाने के लिए, प्रतिष्ठित रियल एस्टेट डेवलपर्स एक निश्चित समय के लिए आकर्षक छूट, मुफ्त फर्निशिंग, कम बुकिंग राशि, स्टाम्प ड्यूटी छूट, आस्थगित भुगतान योजना (अक्सर निर्माण से जुड़े), समूह छूट और मुफ्त क्लब सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं। डेवलपर्स गंभीर खरीदारों को आकर्षित करने और लंबी अवधि के निवेश के नजरिए से परियोजना पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए ऐसा कर रहे हैं। वे निवेशक जो कुछ साल के बाद किराये की आय अर्जित करना चाहते हैं, वे प्रारंभिक निवेश के साथ शुरुआत कर सकते हैं और एक बार पूरा होने के बाद, निवेश बेहद फायदे का सौदा बन सकता है।

विशेष रूप से, वर्ष 2022 रियल एस्टेट निवेशकों के लिए एक अंडर-कंस्ट्रक्शन संपत्ति में निवेश करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है क्योंकि प्रारंभिक निवेश लागत कम है, और चुनने के लिए कई विकल्प हैं। हालांकि, अंडर-कंस्ट्रक्शन संपत्ति में निवेश करने से पहले स्थान, डेवलपर की प्रतिष्ठा, रेरा पंजीकरण और कनेक्टिविटी जैसे कारकों को ध्यान में रखा जाना चाहिए।

शेयर बाजार में लम्बी अवधि के निवेश मील के पत्थर साबित होते है, खुद के लिए नहीं अपने बच्चों के लिए करें निवेश

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पिछले साल कोरोना की महामारी शुरू होने के बाद से लोगों में शेयरों में निवेश की चाहत बढ़ी है। शेयर बाजार ने भी निवेशकों को इस दौरान निराश नहीं किया है। पिछले साल मार्च में शेयर बाजार में बड़ी गिरावट आई थी। तब सेंसेक्स गिरकर 26000 अंक के स्तर पर आ गया था। 14 सितंबर मंगलवार को सेंसेक्स 58,247 अंक पर बंद हुआ। इसका मतलब है कि सेंसेक्स पिछले साल मार्च के अपने निचले स्तर से दोगुना से ज्यादा हो गया है।

बाजार की इस तेजी में कई निवेशकों ने अच्छी कमाई की है। निवेश की अवधि उधर, आईपीओ के लिए भी 2020 और 2021 अच्छे रहे हैं। कई आईपीओ के शेयर शेयर बाजार में दोगुने भाव पर सूचीबद्ध हुए हैं। इस तरह कुछ ही हफ्ते में निवेशकों का पैसा दोगुना हो गया है। इस वजह से आईपीओ में भी लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है। आईपीओ से फटाफट कमाई लोगों को खूब रास आ रही है।

जानकारों का कहना है कि निवेशकों को शेयरों से होने वाली छोटी-मोटी कमाई से खुश होने के बजाय निवेश की अवधि लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहिए। शेयरों में लंबी अवधि में कुछ लाख रुपये का निवेश आपको करोड़पति बना सकता है। इसलिए अगर भी शेयरों और आईपीओ से होने वाली कुछ हजार रुपये की कमाई से खुश हो रहे हैं तो आपको अपनी रणनीति बदलने की जरूरत है।

अच्छी कंपनियों के शेयरों में आज किया गया निवेश 20 से 25 साल में आपको मालामाल कर सकता है। हां, इतनी लंबी अवधि तक धैर्य बनाए रखना आसान नहीं है। आप खुद को इस बात के लिए तैयार कर सकते हैं कि आप शेयरों में जो निवेश कर रहे हैं वह अपने बच्चों के लिए कर रहे हैं। मान लीजिए 30 साल की उम्र का कोई व्यक्ति शेयर बाजार में 25 साल के लिए निवेश करता है तो 25 साल बाद उसकी उम्र 55 साल हो जाएगी। तब उसे बच्चों की पढ़ाई और शादी-विवाह के लिए मोटी रकम की जरूरत पड़ेगी। शेयर बाजार में आपका निवेश इस जरूरत को पूरी करने में मदद कर सकता है।

Infosys के शेयर ने 28 साल में निवेशकों को मालामाल कर दिया है। यह कंपनी जून, 1994 में शेयर बाजार में सूचीबद्ध हुई थी। कंपनी ने निवेशकों को 95 रुपये के भाव पर शेयर आवंटित किए थे। अगर आपने इंफोसिस के शेयर में 10,000 रुपये का निवेश किया होता तो आज आप करोड़पति बन गए होते। इसकी वजह यह है कि लिस्टिंग के बाद से कंपनी कई बार निवेशकों को बोनस शेयर जारी कर चुकी है। इसके अलावा इसने शेयर स्प्लिट भी किया है।

इसी तरह पिछले 21 साल सिम्फनी Symphony के शेयरों ने निवेशकों को मालामाल किया है। दिसंबर 2000 में सिम्फनी के शेयर का एडजस्टेड प्राइस 0.50 रुपये था। मंगलवार को यह शेयर 1003.95 रुपये पर बंद हुआ। इस तरह अगर आपने दिसंबर 2000 में इस शेयर में 10,000 रुपये का निवेश किया होता तो आज आप 2 करोड़ रुपये के मालिक होते। ऐसी कई कंपनियां है, जिनके शेयरों ने लंबी अवधि में निवेशकों को मालामाल किया है। इसीलिए शेयर बाजार में कुछेक हजार रुपये की कमाई की जगह आपको लंबी अवधि के लिए दांव लगाना चाहिए।

शेयर निवेश से लाभ पर कर में समानता लाने की प्रक्रिया शुरू, अधिकारियों ने शुरू किया मंथन

केंद्र सरकार ने शेयरों में निवेश से होने वाले दीर्घ अवधि पूंजीगत लाभ में समानता लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सूत्रों का कहना है कि दीर्घ अवधि की कर दर में होल्डिंग अवधि में बदलाव हो सकता है।

शेयर निवेश से लाभ पर कर में समानता लाने की प्रक्रिया शुरू, अधिकारियों ने शुरू किया मंथन

केंद्र सरकार ने शेयरों में निवेश से होने वाले दीर्घ अवधि पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) में समानता लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसमें डेट, सूचीबद्ध शेयर और गैर-सूचीबद्ध शेयरों में निवेश से होने वाले लाभ पर लगने वाला कर भी शामिल है। सूत्रों के हवाले से एक अंग्रेजी वेबसाइट की रिपोर्ट में कहा गया है कि कर में समानता लाने के लिए सरकार ने सभी हितधारकों से चर्चा शुरू कर दी है। सूत्रों का कहना है कि दीर्घ अवधि की कर दर में निवेश की अवधि होल्डिंग (निवेश) अवधि में बदलाव हो सकता है। वरिष्ठ कर अधिकारी अभी संभावनाओं का अध्ययन कर रहे हैं। साथ ही सरकार के राजस्व पर पड़ने वाले असर का भी आकलन किया जा रहा है। इस बात का भी आकलन किया जा रहा है कि संभावित बदलाव को किस प्रकार लागू किया जाएगा। सूत्र के मुताबिक, संभावित बदलावों की घोषणा अगले साल की जा सकती है जिन पर इस साल के अंत में सभी हितधारकों की प्रतिक्रिया मांगी जाएगी।

टाटा का ये स्टाॅक कर सकता है कमाल, राकेश झुनझुनवाला ने भी किया है निवेश

जानकारों का मानना है कि सरकार सूचीबद्ध शेयरों पर लगने वाले कर की दरें में जल्द बदलाव नहीं करेगी। लेकिन सूचीबद्ध, गैर-सूचीबद्ध और डेट इस्ट्रूमेंट्स में निवेश से होने वाले लाभ पर लगने वाले कर को युक्तिसंगत बनाने की जरूर आवश्यकता है। साथ ही भारतीयों और अप्रवासी भारतीयों पर लगने वाले कर को युक्तिसंगत बनाया जाएगा। यदि सूचीबद्ध शेयरों से होने वाले लघु अवधि और दीर्घ अवधि पूंजीगत लाभ पर कर की दरें बढ़ाई जाती हैं तो इससे संभावित खुदरा और विदेशी निवेशक प्रभावित होंगे। उनका भारतीय शेयर बाजारों में निवेश के प्रति आकर्षण कम होगा।

मौजूदा कर व्यवस्था

मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक, सूचीबद्ध शेयरों में एक साल से कम अवधि तक के निवेश से होने वाले लाभ पर 10 प्रतिशत टैक्स लगता है। इसी तरह से गैर-सूचीबद्ध शेयरों में कम से कम दो साल तक निवेश से होने वाले लाभ पर 20 प्रतिशत टैक्स देना पड़ता है। गैर-सूचीबद्ध शेयरों में निवेश से होने वाले लाभ पर अप्रवासी भारतीयों (एनआरआई) को 10 प्रतिशत टैक्स देना होता है। डेट फंड में 36 महीने से ज्यादा के निवेश से होने वाले लाभ पर 20 प्रतिशत की दर से टैक्स लगता है।

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