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अनुगामी रोक

अनुगामी रोक
सोते बच्चे, महिलाओं समेत 10 लोगों को जिंदा जलाकर मारने के कुछ घंटे बाद पीडि़तों के परिजनों ने अपना मुंह खोला है। मृतकों के परिजनों में एक मिहिलाल शेख ने बुधवार को कहा कि इस जघन्य अपराध के पीछे रामपुरहाट नंबर 1 प्रखंड के तृणमूल अध्यक्ष अनारुल हुसैन का हाथ है। उसी ने घरों में आग लगवाई और जिंदा लोगों को जला दिया। अनारुल अन्य कोई नहीं बल्कि भादू शेख का ही अनुगामी है। भादू के अनुगामियों ने ही रामपुर के बकतुई गांव में कहर बरपाया है।

अनुगामी अनुगामी रोक रोक

(द्वितीय सर्ग) भाग 3

कर्ण अनुगामी रोक मुग्ध हो भक्ति-भाव में मग्न हुआ-सा जाता है ,
कभी जटा पर हाथ फेरता , पीठ कभी सहलाता है ,
चढें नहीं चीटियाँ बदन पर , पड़े नहीं तृण-पात कहीं ,
कर्ण सजग है , उचट जाय गुरुवर की कच्ची नींद नहीं।

‘ वृद्ध देह , तप से कृश काया , उस पर आयुध-सञ्चालन ,
हाथ , पड़ा श्रम-भार देव पर असमय यह मेरे कारण।
किन्तु , वृद्ध होने पर भी अंगों में है क्षमता कितनी ,
और रात-दिन मुझ पर दिखलाने रहते ममता कितनी।

‘ कहते हैं , ‘ ओ वत्स! पुष्टिकर भोग न तू यदि खायेगा ,
मेरे शिक्षण की कठोरता को कैसे सह पायेगा ?
अनुगामी यदि बना कहीं तू खान-पान में भी मेरा ,
सूख जायगा लहू , बचेगा हड्डी-भर ढाँचा तेरा।

रामपुरहाट सामूहिक हत्याकांड: आरोपियों के खिलाफ आठ धाराओं के तहत मामला दर्ज, सात जमानती धाराएं,एक घंटे में लिख दी गई जघन्य हत्या की पटकथा

रामपुरहाट सामूहिक हत्याकांड: आरोपियों के खिलाफ आठ धाराओं के तहत मामला दर्ज, सात जमानती धाराएं,एक घंटे में लिख दी गई जघन्य हत्या की पटकथा

कृष्णदास पार्थ
kolkata-west bengal. रामपुरहाट सामूहिक हत्याकांड (Rampurhat mass murder) की पटकथा लिखने वालों के खिलाफ पुलिस ने आईपीसी की आठ धराओं के तहत मामला दर्ज किया है। इनमें सात धाराएं जमानती है। केवल एक धारा 302 यानी हत्या का है। अन्य सभी धाराओं अनुगामी रोक के तहत अपराध साबित होने पर दो से सात साल की सजा हो सकती है।
बम मारकर उप प्रधान भादू शेख की हत्या, बच्चों, महिलाओं समेत 10 लोगों को जलाकर मारने का जघन्य अपराध। यह सबकुछ एक घंटे में हो गया था। इसको लेकर यह सवाल उठने लगा है कि कहीं यह सोची-समझी साजिश अनुगामी रोक तो नहीं है। इस घटना के पीछे खलनायक के तौर पर एक व्यक्ति का नाम उछलकर सामने आया अनुगामी रोक है। वह कोई और नहीं बल्कि रामपुरहाट नंबर 1 प्रखंड के तृणमूल अध्यक्ष अनारुल हुसैन हैं। बहरहाल जांच एजेंसियों के लिए यह एक प्रमुख एंगिल बन गया है कि एक घंटे में सबकुछ तमाम करने के पीछे कौन मास्टरमाइड शामिल है।

कैलाश विजयवर्गीय भड़के सीएम शिवराज पर, लेटर में लिखीं ये बड़ी बात

भोपाल। सीहोर में रुद्राक्ष महोत्सव स्थगित होने का विवाद तूल पकड़ता जा रहा है। इस आयोजन के स्थगित होने के अनुगामी रोक बाद अभी तक विपक्षी दल ही भाजपा सरकार को निशाने पर ले रहे थे। लेकिन मंगलवार शाम भाजपा के बड़े पदाधिकारी भी इसको लेकर शिवराज पर सवाल उठाने लगे। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव ने आयोजन स्थगित होने पर मुख्यमंत्री शिवराज को संबोधित करते हुए पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने सीहोर प्रशासन पर सवाल उठाया है, साथ ही सीएम शिवराज से भी कड़े सवाल पूछे हैं।

सीहोर में जो हुआ वह दुखी करने वाला कैलाश विजयर्गीय ने पत्र में लिखा है कि 28 फरवरी को सीहोर में जो कुछ हुआ उससे बहुत ज्यादा दुख हुआ है। सीहोर जिला अनुगामी रोक प्रशासन की अकर्मण्यता से मेरे जैसे सनातनियों को आघात पहुंचा है। कैलाश ने मुख्यमंत्री पर सवाल उठाते हुए लिखा है कि विगत 17 वर्ष से आप प्रांत के मुखिया हैं। आखिर ऐसी कौन सी विपदा आ अनुगामी रोक गई कि पंडित प्रदीप मिश्रा पर इतना दबाव बनाया कि उन्हें भारी मन से कथा को समाप्त करना पड़ा। कैलाश ने आगे लिखा है कि भोपाल में इज्तिमा का आयोजन होता है। लाखों लोग शामिल होते हैं। कई मंत्रियों को जाम में फंसना पड़ता है। लेकिन कभी ऐसा सुनाई नहीं दिया कि इज्तिमा को रोक दिया गया है। क्या सीहोर का प्रशासन इतना नकारा था कि इस आयोजन की सूचना के बावजूद व्यवस्था नहीं जुटाई जा सकी? क्या जिम्मेदार अधिकारी इतने अदूरदर्शी थे कि वो भांप नहीं सके कि 11 लाा का अनुष्ठान है तो श्रद्धालुओं का आवाजही भी रहेगी? क्या सीहोर के प्रशासनिक अमले की इतनी हिम्मत है कि इतना बड़ा निर्णय कर ले?

अनुगामी रोक

(द्वितीय सर्ग) भाग 3

कर्ण मुग्ध हो भक्ति-भाव में मग्न हुआ-सा जाता है ,
कभी जटा पर हाथ फेरता , पीठ कभी सहलाता है ,
चढें नहीं चीटियाँ बदन पर , पड़े नहीं तृण-पात कहीं ,
कर्ण सजग है , उचट जाय गुरुवर की कच्ची नींद नहीं।

‘ वृद्ध देह , तप से कृश काया , उस पर आयुध-सञ्चालन ,
हाथ , पड़ा श्रम-भार देव पर असमय यह मेरे कारण।
किन्तु , वृद्ध होने पर भी अंगों में है क्षमता कितनी ,
और रात-दिन मुझ पर दिखलाने रहते ममता कितनी।

‘ कहते हैं , ‘ ओ वत्स! पुष्टिकर भोग न तू यदि खायेगा ,
मेरे शिक्षण की कठोरता को कैसे सह पायेगा ?
अनुगामी यदि बना कहीं तू खान-पान में भी मेरा ,
सूख जायगा लहू , अनुगामी रोक बचेगा हड्डी-भर ढाँचा तेरा।

अनुगामी रोक

ई-काव्य: हिंदी कविता और शायरी

तेरी कोशिश, चुप हो जाना,
मेरी ज़िद है, शंख बजाना .

ये जो सोये, उनकी नीदें
सीमा से भी ज्यादा गहरी
अब तक जाग नहीं पाये वे
सर तक है आ गई दुपहरी;
कब से उन्हें, पुकार रहा हूँ
तुम भी कुछ, आवाज़ मिलाना.

तट की घेराबंदी करके
बैठे हैं सारे के सारे,
कोई मछली छूट न जाये
इसी दाँव में हैं मछुआरे.
मैं उनको ललकार रहा हूँ,
तुम जल्दी से जाल हटाना.

ये जो गलत दिशा अनुगामी
दौड़ रहे हैं, अंधी दौड़ें,
अच्छा हो कि हिम्मत करके
हम इनकी हठधर्मी तोड़ें.
मैं आगे से रोक रहा हूँ -
तुम पीछे से हाँक लगाना .

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