स्वैप क्या हैं

क्या है सिम स्वैपिंग?
सिम स्वैप का सीधा मतलब सिम कार्ड को बदल देना या उसी नंबर से दूसरा सिम निकलवा लेना है। सिम स्वैपिंग में आपके मोबाइल नंबर से एक नए सिम का रजिस्ट्रेशन किया जाता है। इसके बाद आपका सिम कार्ड बंद हो जाता है और आपके मोबाइल से नेटवर्क गायब हो जाता है। ऐसे में ठग के पास आपके मोबाइल नंबर से सिम चालू हो जाता है और इसी का फायदा उठाकर वह आपके नंबर पर ओटीपी मंगाता है और फिर आपके खाते से पैसे उड़ा लेता है।
स्वैप क्या हैं
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क्या है सिम स्वैप फ्रॉड, न करें इन कॉल्स पर भरोसा
- नई दिल्ली,
- 11 जुलाई 2018,
- (अपडेटेड 11 जुलाई 2018, 1:37 PM IST)
मोबाइल और इंटरनेट फ्रॉड का दौर है और ऑनलाइन ठगी तेजी से हो रही है. अनजान नंबर से कॉल आने पर आपको सावधान रहने की जरूरत है. खास कर तब जब आपसे आपकी जानकारी मांगी जाए. हैकर्स आज कल सिम स्वैप का इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे आप बुरी तरह फंस सकते हैं.
अमेरिका में ऐसे फ्रॉड ज्यादा होते हैं, लेकिन अब यह भारत भी आ रहे हैं. अमेरिकी ट्रेड फेयर कमीशन के मुताबिक 2013 में सिम स्वैप के जरिए 1,038 चोरी रिपोर्ट की गई. हालांकि इसमे बढ़ोतरी हुई है जनवरी 2016 तक यह 2,658 हो गई.
Sim Card Swapping: कैसे होता है लोगों को लूटने का खेल, आपका सिम कोई दूसरा कैसे करता है इस्तेमाल
साइबर फ्रॉड के रोज नए-नए केस और नए तरीके सामने आ रहे है। साइबर फ्रॉड का एक तरीका सिम स्वैपिंग हुआ है। सिम स्वैपिंग करके जालसाज लोगों के बैंक खाते से पैसे उड़ा लेते हैं और लोगों को भनक तक नहीं लगती। सिम कार्ड स्वैपिंग के मामले दिल्ली और मुंबई समेत कई राज्यों से सामने आए हैं जिनमें सिम स्वैपिंग करके लोगों के बैंक अकाउंट से लाखों रुपये उड़ाए गए हैं। आइए जानते हैं आखिर क्या है सिम स्वैपिंग और स्वैप क्या हैं क्या हैं इससे बचने के तरीके.
परमाणु स्वैप को परिभाषित करना
एक परमाणु स्वैप को स्मार्ट अनुबंध की तकनीक के रूप में जाना जाता है जो किसी भी केंद्रीकृत मध्यस्थों के उपयोग के बिना दूसरे के लिए एक क्रिप्टोकुरेंसी के आदान-प्रदान की अनुमति देता है। ये स्वैप अलग-अलग क्रिप्टोकरेंसी के ब्लॉकचेन के बीच आसानी से हो सकते हैं।
यदि नहीं, तो उन्हें प्राथमिक ब्लॉकचेन से दूर, ऑफ-चेन भी निष्पादित किया जा सकता है। इतिहास की खोज करते हुए, वे पहली बार सितंबर 2017 में सुर्खियों में आए जब लिटकोइन और डिक्रेड के बीच एक स्वैप क्या हैं परमाणु स्वैप को अंजाम दिया गया।
उस समय से, कई अन्य विकेन्द्रीकृत एक्सचेंजों और स्टार्टअप ने उपयोगकर्ताओं को समान कार्यप्रणाली तक पहुंचने में सक्षम बनाया है।
परमाणु स्वैप को समझना
वर्तमान परिदृश्य में, क्रिप्टोक्यूरेंसी विनिमय प्रक्रिया अत्यंत जटिल और समय लेने वाली है। इसके पीछे कई कारण हैं। शुरू करने के लिए, जैसा कि आज होता है, क्रिप्टोक्यूरेंसी पारिस्थितिकी तंत्र की प्रकृति काफी खंडित है जो कई औसत व्यापारियों को चुनौती देती है।
और फिर, क्रिप्टोकुरेंसी का हर एक्सचेंज हर प्रकार के सिक्के का समर्थन नहीं करता है। इस प्रकार, यदि कोई दूसरे के लिए सिक्कों का आदान-प्रदान करना चाहता है जो वर्तमान एक्सचेंज का समर्थन नहीं करता है, तो उसे या स्वैप क्या हैं तो मध्यवर्ती सिक्कों के बीच अलग-अलग रूपांतरण करना होगा या अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए खातों को स्थानांतरित करना होगा।
इसके अलावा, यदि एक व्यापारी दूसरे व्यापारी के साथ सिक्कों का आदान-प्रदान करना चाहता है, तो प्रतिपक्ष जोखिम हो सकता है। ऐसे परिदृश्य में, परमाणु स्वैप का उपयोग समस्या को हल करने के लिए किया जा सकता हैहैश टाइमलॉक कॉन्ट्रैक्ट्स (HTLC)।
हैश टाइमलॉक कॉन्ट्रैक्ट (HTLC) क्या है?
सीधे शब्दों में कहें, एचटीएलसी एक समयबद्ध स्मार्ट अनुबंध है जो क्रिप्टोग्राफिक हैश फ़ंक्शन की पीढ़ी में शामिल पार्टियों के बीच होता है, जिसे आसानी से सत्यापित किया जा सकता है। परमाणु अदला-बदली के लिए दोनों पक्षों को निधि की स्वीकृति की आवश्यकता होती हैरसीद क्रिप्टोग्राफ़िक हैश फ़ंक्शन के उपयोग के साथ एक विशेष समय सीमा के भीतर।
यदि कोई भी पक्ष समय-सीमा के भीतर लेन-देन की पुष्टि नहीं करता है, तो संपूर्ण लेन-देन शून्य हो जाएगा, और धन का आदान-प्रदान नहीं किया जाएगा।
एचटीएलसी का उदाहरण
इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए, आइए यहां एक उदाहरण लेते हैं। मान लीजिए कि एक व्यापारी है, जिसे ए कहा जाता है, जो 200 बिटकॉइन को व्यापारी बी के बराबर लाइटकॉइन में स्वैप क्या हैं बदलने के लिए तैयार है। ए अपने लेनदेन को बिटकॉइन के ब्लॉकचैन में जमा करता है।
इस प्रक्रिया के दौरान, ए लेनदेन के एन्क्रिप्शन के लिए क्रिप्टोग्राफिक हैश फ़ंक्शन के लिए एक संख्या उत्पन्न करने का प्रबंधन करता है। और फिर, व्यापारी बी अपने लेनदेन को लाइटकोइन के ब्लॉकचैन में जमा करके उसी प्रक्रिया को स्वयं दोहराता है।
ए और बी दोनों संबंधित नंबरों के साथ फंड अनलॉक करते हैं। हालांकि, उन्हें दी गई समय-सीमा के भीतर ऐसा करना होगा, अन्यथा स्थानांतरण निष्पादित नहीं किया जाएगा।
क्या है कानून?
हमारे भारतीय समाज में आज भी स्वीकार्य नहीं है। चाहे आपसी रजामंदी हो या नहीं। मज़बूरी में किया गया यह कृत्य कानून के अनुसार आपराधिक श्रेणी में ही नहीं, बल्कि एक जघन्य अपराध है। वाइफ स्वैपिंग यदि एक शादीशुदा महिला की इच्छा के बिना कराया जाए और एक से अधिक लोगों के साथ संबंध बनाने पर मज़बूर किया जाए तो मजबूर कराने वाले लोगों पर IPC की धारा 323, 328, 376, 506 के तहत केस दर्ज किया जाएगा। यदि उत्पीड़ित महिला की आपबीती पुलिस नहीं सुने तो 156 (3) CRPC में जुडीशियल मजिस्ट्रेट के सामने एप्लिकेशन देकर ऊपर दी गई धाराओं में FIR दर्ज कराने के आदेश दिए जा सकते हैं।
महत्वपूर्ण बात यह है कि पति पर रेप की धारा (376 IPC) छोड़कर बाकी सभी धाराओं में कार्यवाही की जाएगी। यह सारे अपराध गैर जमानती हैं और इन अपराधों में महिला के सिर्फ यह कहने पर कि उसके साथ बिना सहमति के और जोर जबरदस्ती से संबंध बनाए गए हैं। ऐसे अधिकतर मामलों में यह एक ट्रायल का विषय है। गवाही और क्रॉस एग्ज़ामिनेशन के बाद अदालत आरोपियों को सजा दे सकती है या सजा देकर बरी भी कर सकती है।
कहां है लीगल?
वाइफ स्वैपिंग लीगल किसी भी देश में नहीं है। लेकिन ज्यादातर देशों में यहा कहें इंडिया में भी ये इसीलिए पॉपुलर है क्योंकि इसमें दोनों पार्टनर्स की रज़ामंदी होती है। अपनी पसंद और हामी से किया गया सेक्स गैर-कानूनी नहीं होता लद्दाख में है वाइफ स्वैपिंग का ज्यादा चलन ।
भारत में इस तरह के केस
साल 2022 की शुरुआत ही केरल से आए वाइफ स्वैपिंग के केस से हुई। ये मामला तब सामने आया जब इस ग्रुप में स्वैप क्या हैं से एक की बीवी को जबरन धमका कर ये सब करवाया जा रहा था। इससे पहले स्वैप क्या हैं भी वाइफ स्वैपिंग के कई केसेज़ सामने आ चुके हैं।
अहमदाबाद (साल 2021)
अहमदाबाद के घाटलोडिया शहर से एक 34 साल की महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, कि उसके पति ने अपने भाई के साथ वाइफ स्वैपिंग की जबरन कोशिश की। ये कपल कुछ साल नाइजीरिया में रहने के बाद इंडिया आए थे, यहां आकर उसके पति ने भाई की वीबी के साथ सेक्स की इच्छा जताई और उसे भी ऐसा ही करने को कहा।
केरल (2019)
केरल के अलप्पुज़ा में 4 आदमियों को वाइफ स्वैपिंग मामले में गिरफ्तार किया था। इनमें से एक की बीवी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि उसका पति उसे अपने दोस्तों के साथ सेक्स करने के लिए फोर्स कर रहा है, ताकि वो उनकी बीवियों के साथ भी सेक्स कर सके।
वाइफ स्वैपिंग पर बनी फिल्में और शो
1960 से ही वाइफ स्वैपिंग पर फिल्में बनना शुरू हो गई थीं, इनमें एक फिल्म इंडिया में भी बनी। इससे पहले हॉलीवुड रियलिटी शो को इंडिया में भी सेम कॉन्सेप्ट के साथ हिंदी भाषा में रिलीज़ किया गया।
अजनबी (2001)
अक्षय कुमार, करीना कपूर, बिपाशा बसु और बॉबी देओल की फिल्म ‘अजनबी’ आपने जरूर देखी होगी। इस फिल्म में भी वाइफ स्वैपिंग का कॉन्सेप्ट दिखाय गया था, लेकिन इंडियन दर्शकों को देख ड्रामा-एक्शन एंगल दिए गए।
सनक एक पागलपन (2011)
साल 2021 में एक्टर रोहित रॉय की एक वेब सीरीज़ आई थी, जिसमें प्रोमोशन के बदले स्वैप क्या हैं में वाइफ स्वैपिंग करना होता है। इस सीरीज़ को ऑडियन्स से ठीक ठाक ही रिव्यू मिले थे।