एक दिन के व्यापारी की मूल बातें

इंटरनैशनल मॉनेटरी फंड (IMF) के अनुसार, भारत 2023 में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में होगा। यूके की आर्थिक स्थिति डांवाडोल है और भविष्य अंधकार में। अर्थव्यवस्था के आकार में यूके को पीछे छोड़ चुके भारत की पोजिशन मजबूत हो रही है और वह FTA में इसका पूरा फायदा उठाना चाहेगा। उम्मीद की जानी चाहिए कि समझौते पर बातचीत में अब भारत के और हित साधे जाएंगे।
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India UK FTA News: लिज ट्रस के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद भारत-ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौता फिर लटक गया है। UK को यह समझ लेना चाहिए कि FTA के लिए भारत बेकरार नहीं है।
हाइलाइट्स
- ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने पद से इस्तीफा देने का किया ऐलान
- एक बार फिर अधर में लटक गया भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता
- बोरिस जॉनसन और नरेंद्र मोदी को थी दिवाली तक FTA होने की उम्मीद
- जॉनसन गए, ट्रस आईं और अब वह भी जा रही हैं, कहीं रद्द न हो जाए FTA
'बेकरार' नहीं है भारत, अपनी शर्तों पर करता है डील
पिछले कुछ सालों में द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समझौतों को लेकर भारत के तेवर बदले हैं। पीछे छूट जाने या अकेले पड़ जाने के डर से समझौतों पर जल्दबाजी नहीं होती। ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के साथ समझौतों में बदले तेवर दिखे। भारत इन समझौतों के लिए बेकरार नहीं है। नवंबर 2019 में RCEP से हटकर भारत ने यही संकेत दिए थे। RCEP से भारत के हित नहीं सध रहे थे और मुख्य रूप से मुनाफा चीन को हो रहा था। RCEP के दायरे में दुनिया की 30% आबादी आती है। यहां 12.7 ट्रिलियन डॉलर का व्यापार होता है, ग्लोबल ट्रेड के एक-चौथाई से भी ज्यादा। इसके सदस्य देशों में 10 ASEAN देशों के अलावा चीन, ऑस्ट्रेलिया, जापान, न्यूजीलैंड और साउथ कोरिया शामिल हैं।
जब RCEP से अचानक तोड़ लिया नाता
RCEP के जरिए 'सबसे बड़े' क्षेत्रीय व्यापार समझौते की तैयारी थी। 2013 से इस डील पर बातचीत शुरू हुई। भारत न सिर्फ उस चर्चा में शामिल था, बल्कि समझौते उसके हस्ताक्षर भी लगभग तय थे। 4 नवंबर, 2019 को अचानक सरकार ने ऐलान किया कि वह RCEP पर चर्चाओं से हट रही है। चीन की मौजूदगी से भारत को पहले ही दिक्कत थी, ऊपर से सीमा पर बढ़ते तनाव ने मोदी सरकार का मूड बदल दिया। RCEP पर चर्चाओं में जिन बातों पर सहमति नहीं बन पाई थी, उनमें से अधिकतर चीन और भारत के मुकाबले वाले ही थे। RCEP में शामिल 15 में से 11 देशों के साथ भारत का ट्रेड डेफिसिट है। ऐसे में वह द्विपक्षीय FTAs के जरिए इन देशों संग व्यापार बढ़ा सकता है।
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भारत तथा ब्रिटेन के बीच एफटीए सही दिशा में: कॉमर्स सेक्रेटरी
ट्रस के इस्तीफे के बीच, कॉमर्स सेक्रेटरी सुनील बर्थवाल ने गुरुवार को कहा कि भारत-ब्रिटेन के बीच प्रस्तावित FTA को लेकर बातचीत सही दिशा में चल रही है। बर्थवाल के अनुसार, दोनों पक्षों के बीच यह समझौता जल्द होने की उम्मीद है। बर्थवाल ने कहा कि बातचीत के दौरान कई चीजों को अंतिम रूप दे दिया है, जबकि कई पर अभी फैसला लिया जाना है। उन्होंने कहा कि पहले इस समझौते पर बातचीत दीपावली तक पूरी करने का इरादा था, लेकिन अब इस समय सीमा को टाल दिया गया है। समझौते के लिए नई समय सीमा के बारे में सवाल के जवाब में बर्थवाल ने कहा कि यह तो इस पर निर्भर करेगा कि बातचीत कैसे आगे बढ़ती है। हम बहुत अच्छी तरह से आगे बढ़ रहे हैं और उम्मीद है कि जल्द ही समझौते पर पहुंच जाएंगे।
हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि क्या होता है। क्या वहां नेतृत्व का जल्द परिवर्तन होता है या पूरी प्रक्रिया चलेगी। हमें देखना होगा कि सरकार में कौन आता है और उसके क्या विचार होंगे। मेरी अपनी समझ है कि जो भी सरकार में आएगा वह हमसे बात करना चाहेगा। मुझे विश्वास है कि ब्रिटेन, कनाडा, यूरोपीस संघ के साथ हमारे एफटीए की जल्द ही घोषणा कर सकते हैं। सब पर अच्छे से काम चल रहा है।
क्यों भारत से ज्यादा UK के लिए अहम है FTA?
एक लाइन में कहें तो ब्रिटेन आर्थिक और राजनीतिक, दोनों तरह के संकट में है। लिज ट्रस सरकार 23 सितंबर को मिनी बजट लाई थी। अमीरों के लिए टैक्स में 45% तक की कटौती की गई जबकि गरीबों के लिए कुछ खास नहीं था। नतीजा, वित्तीय बाजार में अस्थिरता आ गई। हालात इस कदर बिगड़ गए कि वित्त मंत्री को आनन-फानन में हटाना पड़ा। नए वित्त मंत्री ने आते ही बजट प्रावधानों को ही वापस ले लिया। इससे ट्रस सरकार पर सवाल उठ गए कि न तो वह अपने चुनावी वादे पर टिकी रह पाईं और न ही उनके पास कोई ऐक्शन प्लान था।
कंजर्वेटिव पार्टी के भीतर ही उनके खिलाफ विरोध तेज हो गया। पहले वित्त मंत्री, फिर भारतीय मूल की गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने इस्तीफा दिया। इस्तीफा क्या दिया, खुलेआम कह दिया कि पीएम अपने चुनावी वादे पर नहीं टिकी रह सकीं। दबाव बढ़ता देख ट्रस ने गुरुवार को इस्तीफे का ऐलान किया। वित्तीय संकट के बीच राजनीतिक अस्थिरता का माहौल ब्रिटेन के भविष्य के लिए ठीक नहीं। ऐसे में भारत के साथ FTA से UK की अर्थव्यवस्था को मजबूती ही मिलती। देखना होगा कि ब्रिटेन में नई, स्थायी सरकार बनने पर भारत संग FTA पर अंतिम सहमति कब बनती है।
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इंटरनैशनल मॉनेटरी फंड (IMF) के अनुसार, भारत 2023 में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में होगा। यूके की आर्थिक स्थिति डांवाडोल है और भविष्य अंधकार में। अर्थव्यवस्था के आकार में यूके को पीछे छोड़ चुके भारत की पोजिशन मजबूत हो रही है और वह FTA में इसका पूरा फायदा उठाना चाहेगा। उम्मीद की जानी चाहिए कि समझौते पर बातचीत में अब भारत के और हित साधे जाएंगे।
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राशि के आधार पर हर बच्चे का अपना अलग व्यक्तित्व होता है। जैसे-जैसे वह बड़े और परिपक्व होते हैं। उनकी पसंद के आधार पर उनके माता-पिता के निर्देशों को समझने के लिए उनकी अपनी प्रक्रिया है।
राशि के आधार पर हर बच्चे का अपना अलग व्यक्तित्व होता है। उनकी पसंद के आधार पर उनके माता-पिता के निर्देशों को समझने के लिए उनकी अपनी प्रक्रिया है। जैसे-जैसे वह बड़े और परिपक्व होते हैं, वह सामाजिक बंधन बनाते हैं और अपने परिवेश को अपने अनूठे तरीके से समझने की कोशिश करने लगते हैं। उनकी सीखने की क्षमता और प्रतिभा का अंदाजा उनकी राशियों से भी लगाया जा सकता है। आइए जानते हैं कि हम अपने बच्चों को उनकी राशियों के आधार पर कैसे बेहतर तरिके से समझ सकते हैं।
मेष : यह बहादुर होते हैं और खुद पर यकीन रखते हैं इसलिए जरूरी है कि उन्हें छूट दी जाए और चुनौतियों का समाधान खुद निकालने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया जाए। उनकी नई सोच और प्रतिस्पर्धी भावना को प्रोत्साहित करना जरूरी है। ऐसे बच्चों के माता-पिता को चाहिए कि यदि वह अपने बच्चों के लिए सर्वश्रेष्ठ चाहते हैं तो उन्हें अपने जीवन में घोर प्रतिस्पर्धी बनकर एक अच्छा उदाहरण स्थापित करना होगा। अपने बच्चे को जीत और हार दोनों का महत्व सिखाएं।
वृष: इन बच्चों के सतर्क और सावधानीपूर्वक पक्ष को बढ़ावा देना चाहिए। उन्हें अपने विचारों को विकसित करने के लिए समय और स्थान दिया जाना चाहिए, क्योंकि वह पहले धीरे-धीरे आगे बढ़ सकते हैं। स्थिरता, निर्भरता और एक दिन के व्यापारी की मूल बातें धैर्य के प्रति उनका दृष्टिकोण दूसरों के लिए सुस्ती के रूप में सामने आ सकता है। साधारण शब्दों में कहें, तो उन्हें किसी भी चीज में दबाव या जल्दबाजी पसंद नहीं है। वह एक अधिकारपूर्ण रवैया विकसित कर सकते हैं, इसलिए उन्हें साझा करने की जरूरत पर उन्हें जल्दी सिखाना महत्वपूर्ण है।
मिथुन: यह युवा उत्साह के निरंतर स्रोत हैं इसलिए, व्यक्तियों को अपनी पसंद के किसी भी रूप में रचनात्मक रूप से खुद को व्यक्त करने की स्वतंत्रता दी जानी चाहिए। माता-पिता अपने बच्चे के फैसला न ले पाने की समस्या से जूझ सकते हैं। उन्हें छोटे फैसले लेने के साथ कराने से बड़े फैसले लेने में मदद मिल सकती है। फिर भी, आपको उन्हें पूरी तरह से परेशान नहीं करना चाहिए। उनकी बेचैनी को नियंत्रित करने के लिए उन्हें शांत और स्थिरता का अभ्यास करने में मदद करें।
कर्क: यह अपने माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मजबूत भावनात्मक संबंध रखना पसंद करते हैं। इस निकटता के कारण वह सुरक्षित महसूस करते हैं, जो उन्हें सुरक्षा और लगाव की भावना देता है। वह अपने परिवेश के प्रति अत्यधिक अभ्यस्त होते हैं। यह आवश्यक है कि उन्हें पारिवारिक गतिविधियों में शामिल किया जाए और वह अपनी विरासत और संस्कृति की सराहना करना सीखें। उन्हें वैसे ही स्वीकार करें जैसे वह हैं और वह जो हासिल करते हैं उसके बजाय उनके चरित्र के उस पहलू का समर्थन करते हैं।
सिंह: इनकी मौलिकता और सफलता के लिए इनकी हमेशा प्रशंसा की जानी चाहिए इसलिए, माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वह अपने बच्चे में गर्व और आशा की भावना पैदा करें। वह मान्यता की लालसा रखते हैं और उन्हें अपनी मौलिकता और उदारता को चमकने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। वह अपने अंदर मौजूद अहंकार को सामने ला सकते हैं, जो संवेदनशील सुधार की मांग करता है। उन्हें खुद के फैसले लेने के लिए थोड़ा परिपक्व होने का समय दें।
कन्या: यह विश्लेषणात्मक दिमाग वाले होते हैं और बहुत प्रयास करते हैं। इसलिए माता-पिता के लिए यह जरूरी है कि वह अपने बच्चों को उन गतिविधियों में शामिल करें जो उन्हें उपयोगी महसूस कराएं। उन्हें आपकी नियमित गतिविधियों में आपकी सहायता करने दें। उनके पास अनुमोदन के लिए निरंतर लालसा है और किसी भी स्थिति के आंतरिक कामकाज के अंदर तक जाकर मूल बातों को समझना पसंद करते हैं। इनमें से कुछ बच्चे बचपन से ही बहुत शर्मीले होते हैं। ऐसे मामलों में, माता-पिता के लिए जरूरी है कि उन्हें ज्यादा से ज्यादा लोगों से धुलने मिलने के लिए प्रेरित किया जाए।
तुला: वह सामाजिक परिवेश में फलते-फूलते हैं, इस----लिए यदि आप उन्हें पूरी क्षमता से कोई काम करते हुए देखना चाहते हैं, तो उनमें टीम वर्क और सहयोग की एक मजबूत भावना पैदा करना जरूरी है। ग्रुप एक्टिविटी में भाग लेने के लिए उन्हें विभिन्न तरीकों से प्रोत्साहित करने की जरूरत है, चाहे वह गतिविधियाँ खेल हों या सामाजिक सभाएँ। वह सभी स्थितियों में एक स्तर का रहना पसंद करते हैं और उन लोगों की तरह नहीं हैं जो केवल यह कहते हैं कि क्या कहा जाना है। माता-पिता को उन्हें सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर फैसला लेना सिखाना चाहिए।
वृश्चिक: यह हमेशा अपने आसपास की दुनिया के बारे में अधिक जानने के लिए उत्सुक रहते हैं। वह स्वाभाविक रूप से शांत और इच्छुक हैं, और उनके पास दुनिया के बारे में जानने के लिए एक स्वाभाविक झुकाव है। हालांकि, उन्हें स्पष्ट रूप से सोचने के लिए अकेले और शांति की जरूरत होती है। उन्हें अपनी भावनाओं को दबाने व रोकने के लिए, उन्हें अपनी भावनाओं और जुनून के बारे में बात करने के लिए एक सुरक्षित स्थान प्रदान करना जरूरी है।
धनु: अपने आस-पास के बारे में पूछताछ और जांच करने के लिए उनका स्वाभाविक झुकाव है। उनके माता-पिता को उन्हें हर समय घर के अंदर बंद करके उनके अंदर मौजूद रोमांच की भावना को कम नहीं करना चाहिए। वह अपने माता-पिता के साथ कुछ साझा करने के लिए हमेशा उत्साहित रहते हैं, और बिना किसी दखल के धैर्यपूर्वक सुनना जरूरी है। बच्चों को अपनी शर्तों पर दुनिया का पता लगाने दें और जिसके परिणामस्वरूप अपने स्वयं के मूल्यों और विचारधाराओं का निर्माण करें।
मकर: यह बच्चे अपनी उम्र के हिसाब से परिपक्व अभिनय में रुचि दिखाते हैं। वह चाहते हैं कि उन्हें वयस्कों के रूप में गंभीरता से लिया जाए, भले ही वह अभी भी युवा हों। उन्हें अधिक से अधिक जिम्मेदारियां निभाने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए और उन्हें अपने द्वारा चुनी गई किसी भी गतिविधि, परियोजना या कर्तव्यों में उत्कृष्टता प्राप्त करने की स्वतंत्रता दी जानी चाहिए। उनका धैर्य और शांत व्यवहार किसी भी प्रयास में उनकी अच्छी सेवा करता है। उनके पास शानदार मैनजमेंट का कौशल हैं जिन्हें जल्दी आगे बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
कुंभ: यह बच्चे भीड़ से अलग दिखना चाहते हैं। उन्हें बॉक्स के बाहर सोचने के लिए प्रेरित करें और कठिन कार्यों के साथ उनके विश्लेषणात्मक और समस्या-समाधान कौशल को चुनौती दें।उन्हें अपने रचनात्मक और विश्लेषणात्मक संकायों का उपयोग कल्पनाशील क्षेत्रों में तल्लीन करने के लिए करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। उन्हें कम उम्र में टेक्नोलॉजी तक पहुंच प्रदान करें, और वह बड़े होकर तर्कसंगत, आगे के विचारक बनेंगे। उन्हें एक बड़ा उद्देश्य दें।
मीन: उनके पास सुस्पष्ट कल्पनाएं होती हैं और वह अपने वातावरण के प्रति बहुत अभ्यस्त होते हैं। चीजों को सोचने और समाधान खोजने के लिए उन्हें अकेले समय बिताने की जरूरत होती है। वह प्रवाह के साथ जाते हैं और इसके साथ बह जाते हैं। यदि कोई सीमा नहीं रखी जाती है, तो वह रोजमर्रा के अस्तित्व के फेरबदल में खोए हुए लग सकते हैं। लगातार निर्देश उन्हें दूसरों पर ज्यादा विश्वास रखने की अपनी प्रवृत्ति को दूर करने में मदद कर सकते हैं। उन्हें कम उम्र में अपने मूल से जुड़ने दें।
चिट्ठियों की अनूठी दुनिया
पत्र जैसा संतोष फोन या एस.एम.एस. का संदेश नहीं दे सकता, क्योंकि पत्रों का अस्तित्व स्थाई होता है; उनमें मानवीय प्रेम व लगाव का समावेश रहता है। पत्रों को हम सहेज भी सकते हैं लेकिन फोन पर की गई बात अस्थाई होती है। एस.एम.एस से संदेश सीमित शब्दों में भेजे जाते हैं। पत्र भावना प्रधान हैं व शिक्षाप्रद होते हैं। अमिट यादें उनके साथ जुड़ी होती हैं। पत्रों को एकत्रित करके पुस्तक का रूप भी दिया जा सकता है जबकि फोन या एस.एम.एस. मैं ऐसा नहीं होता। संदेश भेजने का सस्ता साधन भी पत्र ही हैं।
पत्र-लेखन के विकास हेतु स्कूली पाठ्यक्रम में पत्र लेखन विषय के रूप में शामिल किया गया है। विश्व डाक संघ ने 16 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए पत्र लेखन प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया है ताकि बच्चों की रुचि पत्र-व्यवहार में बनी रहे।
रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविता ‘भगवान के डाकिए’ आपकी पाठ्यपुस्तक में है। उसके आधार पर पक्षी और बादल को डाकिए की भाँति मानकर अपनी कल्पना से लेख लिखिए।
‘डाकिया’ ऐसा व्यक्ति है जो लोगों के लिए अपने झोले में पत्र लाता है। हर मनुष्य इसे देखकर अपने पत्र की चाह करने लगता है। इसे किसी बात की कोई चिंता नहीं होती कि पत्र के अंदर क्या संदेश है? इसे पढ़कर कोई खुश होगा या दुखी। वह तो पेशे के अनुरूप कर्तव्यबद्ध होता है। पत्रों को उनके पते तक पहुँचाना ही उसका काम है। यदि हम प्राकृतिक साधनों को देखें तो पाते हैं कि वे भी किसी डाकिए से कम नहीं। ईश्वर के ऐसे संदेश जो केवल हम महसूस करते हैं, इनके द्वारा दिए जाते हैं। पक्षी जो स्वछंद उड़ते हैं उनके लिए देशों की सीमा-रेखाओं का कोई बंधन नहीं होता। वे फूलों की सुगंध को अपने पंखों द्वारा एक देश से दूसरे देश में पहुँचा देते हैं। बादल एक देश में बनते हैं और दूसरे देश में बरसते हैं। इसके क्या मायने हैं? यदि इस पर विचार करें तो पाएँगे कि ये इस बात का संदेश देते एक दिन के व्यापारी की मूल बातें हैं कि लोगों को विश्व बंधुत्व की भावना से प्रेरित होना चाहिए सभी को मिलजुलकर आपसी सहयोग से रहना चाहिए।
इसके अतिरिक्त प्रकृति के जिस भी साधन को देखें तो वह संदेश देता ही दिखाई देगा। जैसे-किसी कवि ने सच ही कहा है कि-
फूलों से नित हँसना सीखो
भौरों से नित गाना।
तरु की झुकी डालियों से
सीखो नित शीश झुकाना।
वर्षा की बूँदों से सीखो
सबको गले लगाना।
सीख हवा के झोंकों से
लो, कोमल भाव जगाना।
केवल पड़ने के लिए दी गई रामदरश मिश्र की कविता ‘चिट्ठियाँ’ काे ध्यानपूर्वक पढ़िए और विचार कीजिए कि क्या यह कविता केवल लेटर बॉक्स में पड़ी निर्धारित पते पर जाने के लिए एक दिन के व्यापारी की मूल बातें तैयार चिट्ठियों के बारे में है? या रेल के डिब्बे में बैठी सवारी भी उन्हीं चिट्ठियों की तरह हैं जिनके पास उनके गंतव्य तक का टिकट है। पत्र के पते की तरह और क्या विद्यालय भी एक लेटर बॉक्स की भाँति नहीं है जहाँ से उत्तीर्ण होकर विद्यार्थी अनेक क्षेत्रों में चले जाते हैं? अपनी कल्पना को पंख लगाइए और मुक्त मन से इस विषय में विचार-विमर्श कीजिए।
‘रामदरश मिश्र जी’ ने अपनी कविता ‘चिट्ठियाँ’ में यह बताना चाहा है कि लेटरबॉक्स में अनेक चिट्ठियाँ होती हैं कोई दुख की कोई सुख की लेकिन सभी अपने-अपने लिफाफों में बंद होती हैं। कोई अपना सुख-दुख दूसरे को नहीं कहती। सभी अपनी मंजिल पाना चाहती हैं अर्थात् अपने पते पर जाना चाहती हैं। यह एक-दूसरे का साथ भी क्या है कि जब हम एक-दूसरे से हँस-रो नहीं सकते। अंत में कवि ने अपने मुख्य विचार को दर्शाना चाहा है कि क्या हम भी इन चिट्ठियों की भाँति नहीं हो गए ऐसा कवि का कहना इसलिए है क्योंकि आज समाज में एक साथ रहते हुए भी हम एक-दूसरे से किसी प्रकार का कोई संबंध नहीं रखते, सभी आत्मकेंद्रित हो गए हैं। कवि का यह कहना कि रेल कं डिब्बे में बैठी सवारियाँ भी उन्हीं चिट्ठियों की तरह भी बिल्कुल सही हैं, क्योंकि वहाँ भी सभी लोग मिलकर बैठते तो हैं लेकिन मन में चाह कंवल मंजिल पाने की होती है। किसी से किसी का कोई संबंध नहीं होता। यदि संपर्क एक दिन के व्यापारी की मूल बातें होता भी है तो वह स्थाई नहीं होता।
विद्यालय को पूरी तरह से लेटरबॉक्स की चिट्ठियों की भाँति नहीं कहा जा सकता क्योंकि विद्यालय में पढ़कर भले ही विद्यार्थी अपनी मंजिल की ओर बढ़ते हैं लेकिन विद्यालय में वे मेल-जोल, आपसी प्रेम, एक-दूसरे के प्रति समर्पण आदि की भावनाएँ सीखते हैं। वहाँ शिक्षक सदा उनकी निगरानी करता है, काफी हद तक उन्हें आत्मकेंद्रित नहीं होने देता। विद्यालय में नैतिक शिक्षा के द्वारा भी विद्यार्थी सामाजिक भावनाओं को समझता है लेकिन जब विद्यार्थी स्कूली जीवन के पश्चात् जीवन का बोझ अपने कंधों पर लादता है तो उसमें स्वार्थ की भावना अधिक जन्म लेने लगती है। आर्थिक परेशानियों से जूझते हुए वह आत्मकेंद्रित होता चला जाता है और चिट्ठियों की भाँति केवल अपने बारे में ही सोचने लगता है।
HBSE Class 12 History Syllabus
HBSE Class 12 History Syllabus 2022 – 23
Haryana Board (HBSE) Class 12 History Syllabus Year 2022 – 23. Here in this page we have given HBSE Class 12 History full syllabus.
Class | 12th |
Subject | History |
Year | 2022 -23 |
April Month Syllabus
भारतीय इतिहास के कुछ विषय भाग -1
ईंट , मनके तथा अस्थियां ( हड़प्पा सभ्यता )
- आरम्भ तथा निर्वाह के तरीके
- मोहनजोदड़ो
- सामाजिक भिन्नताओं का अवलोकन
- शिल्प उत्पादन के विषय में जानकारी
- माल प्राप्त करने सम्बन्धी नीतियां
- मोहरे , लिपि तथा बाट
- प्राचीन सता तथा सभ्यता का अन्त
- हडप्पा सभ्यता की खोज तथा अतीत को जोड़कर पूरा करने की समस्याएं
- प्रोजैक्ट
May Month Syllabus
भारतीय इतिहास के कुछ विषय भाग -1
राजा , किसान और नगर ( आरमिक राज्य और अर्थव्यवस्थाए ) ( 600 ई.पू से 600 ई . )
- प्रिसेष और पियदससी और आरंभिक राज्य
- एक आरंभिक साम्राज्य
- राजधर्म के नवीन सिद्धान्त
- बदलता हुआ देहात
- नगर और व्यापार
- मूल बातें तथा अभिलेख सास्य की सीमा
- प्रोजैक्ट बंधुत्व , जाति तथा वर्ग आरंभिक समाज ( 600 ई.पू. से 600 ई . )
भारतीय इतिहास के कुछ विषय भाग -1
- महाभारत का समालोचनात्मक संस्करण तथा बधुता एवम् विवाह
- सामाजिक विषमताएं
- जन्म से परे संसाधन और प्रतिष्ठा
- सामाजिक विषमताओं की व्यवस्था और साहित्यिक स्त्रोतों का इस्तेमाल
- एक गतिशील ग्रंथ
- प्रोजैक्ट
July Month Syllabus
भारतीय इतिहास के कुछ विषय भाग -1
विचारक , विश्वास और इमारते सांस्कृतिक विकास ( 600 ई . पू . से 600 ई .
- सांची की एक झलक
- पृष्ठभूमि ( वज्ञ और विवाद )
- लौकिक सुखों से आगे ( महावीर का संदेश )
- बुद्ध ज्ञान की खोज तथा बुद्ध की शिक्षाए
- बुद्ध के अनुयायी
- स्तूप तथा उनकी खोज
- मूर्ति कला
- नई धार्मिक परंपराए
- क्या हम सब कुछ देख समझ सकते है
- प्राजैक्ट
भारतीय इतिहास के कुछ विषय भाग -2
यात्रियों के नजरिए समाज के बारे में उनकी समझ लगभग 10 वीं से 17 वीं सदी तक
- अलबेरानी तथा किताव – उल – हिन्द
- इब्वनबतूता का रिहला
- फ्रांस्वा बर्नियर- एक विशिष्ट विकित्सक
- इब्बन बतूता तथा अनजाने को जानने की उत्कंठा
- महिलाए : दासिया , सती तथा श्रमिक
- प्रोजैक्ट
August Month Syllabus
भारतीय इतिहास के कुछ विषय भाग -2
भक्ति – सूफी परम्पराएं धार्मिक विश्वासों में बदलाव और श्रद्धा ग्रंथ आठवीं से अठारहवीं सदी