तकनीकी विश्लेषण के उत्तर

बागवानी संभाग, कृषि अनुसंधान भवन - II, नई दिल्ली - 110 012 भारत
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तकनीकी विश्लेषण के उत्तर
प्रश्न 23: काब डगलस उत्पादन फलन के विशेष संदर्भ में उत्पादन फलन की परिभाषा व स्वभाव दीजिए। इसकी कौन सी मान्यतायें हैं?
उत्तर - उत्पादन फलन से आशय
उत्पादन करने के लियें उत्पत्ति के साधनों, जैसे श्रम, भूमि, पूंजी, प्रबन्ध तथा साहस आदि की आवश्यकता होती है। इस प्रकार, उत्पादन उत्पत्ति के साधनों के अनुपात पर निर्भर होता है । इस अध्याय में हम उत्पादन तथा उत्पत्ति के साधनों के पारस्परिक सम्बन्धों के बारे में अध्ययन करेंगे।
वस्तु का उत्पादन उत्पत्ति के विभिन्न साधनों के आदर्श संयोग द्वारा होता है । अर्थशास्त्र की भाषा में जिस वस्तु का उत्पादन किया जाता है, उसे उत्पाद तथा जिन साधनों द्वारा उत्पादन होता है, उन्हें हम पड़त या आदा कहते हैं। इस प्रकार उत्पादन-फलन (प्रकार्य) उत्पादन तथा पड़त के बीच सम्बन्ध को व्यक्त करता है।
उत्पादन फलन की परिभाषायें
(1) प्रो. लेफ्टविच के अनुसार- “उत्पादन-फलन शब्द उस भौतिक सम्बन्ध के लिये उपयोग में लाया जाता है जो एक फर्म साधनों की इकाइयों (पड़तों) और प्रति इकाई के समयानुसार प्राप्त वस्तुओं एवं सेवाओं (उत्पादों) के बीच पाया जाता है।”
(2) प्रो. साइटवस्की के अनुसार- “किसी भी फर्म का उत्पादन उत्पत्ति के साधनों का फलन है और यदि गणितीय रूप में रखा जाये तो उसे उत्पादन फलन (प्रकार्य) कहते हैं।
(3) प्रो. सेम्युलसन के अनुसार- “उत्पादन-फलन वह प्राविधिक सम्बन्ध है जो यह बतलाता है कि पड़तों (उत्पत्ति के साधनों) के विशेष समूह के द्वारा कितना उत्पाद (उत्पादन) किया जा सकता है। यह किसी दी हुई प्राविधिक ज्ञान की स्थिति के लिये परिभाषित या संम्बन्धित होता है।”
उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर हम कह सकते हैं कि उत्पादन फलन किसी उत्पादन क्रिया में उत्पादन तथा उत्पत्ति के साधनों का आपसी उत्पादन सम्बन्ध है ।
उत्पादन फलन की विशेषतायें
(1) पारस्परिक सम्बन्ध- उत्पादन फलन, उत्पादन तथा उत्पत्ति के साधनों का पारस्परिक सम्बन्ध बतलाता है।
(2) इन्जीनियरिंग समस्या- उत्पादन फलन, इन्जीनियरिंग समस्या है न कि आर्थिक समस्या । अतः इसका अध्ययन उत्पादन इन्जीनियरिंग में होता है।
(3) टेक्नोलोजी द्वारा निर्धारित- प्रत्येक फर्म का उत्पादन-फलेन टेक्नोलोजी द्वारा निर्धारित होता है । टेक्नोलोजी में सुधार होने पर नया उत्पादन-फलन बन जाता है । नये उत्पादन फलन में पूर्ण साधनों से अधिक उत्पादन होता है।
(4) दिये हुये समय या प्रति इकाई समय में- उत्पादन सदा एक दिये हुये समय या प्रति इकाई समय सन्दर्भ में ही व्यक्त होता है।
(5) उत्पत्ति के साधन की मात्रा- किसी भी उत्पत्ति के साधन की मात्रा को उसके कार्य करने की लम्बाई में मापा जाता है, जैसे- श्रम को श्रम घण्टों में, मशीन को मशीन घण्टों में आदि ।
उत्पादन फलन का प्रबन्धकीय उपयोग
यद्यपि उत्पादन फलन बहुत कुछ अवास्तविक प्रतीत होते हैं तथापि वे काफी उपयोगी होते हैं। उनकी उपयोगिता को एक उदाहरण द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है। दुग्ध अर्थशास्त्री यह जानना चाहते हैं कि दूध के उत्पादन के सिलसिले में गायों को खिलाने की लागत को न्यूनतम कैसे बनाया जाये। यदि एक गाय को फर्म मान लिया जाये और दाना और मोटा चारा उत्पादन के लागते या साधन मान लिये जायें तो प्रश्न उठता है कि गाय को खिलाने में दाने और मोटे चारे का कौन सा अनुपात मितव्ययितापूर्ण होगा। भूतकाल में इस साल के अनपात बनाया जाता रहा है, परन्तु आर्थिक विश्लेषण से यह निष्कर्ष निकलता है कि अनुकूलता अनुपात साधनों के मूल्य पर निर्भर करेगा तथा मूल्य परिवर्तन के फलस्वरूप यह भी बदलता जायेगा| इस तरह के आर्थिक विश्लेषण को सहायता से निर्धारित अनुपातों के अनसार खिलाई पर व्यय करके ग्वाले उत्पादन को बढाने का प्रयल कर सकते हैं। यह आवश्यक है कि अधिक जटिल दशाओं में जहाँ कि साधनों की संख्या अधिक होती है, अनुकुलतमकरण की गणित अधिक पेचीदा होती है। पर हाल में, लीनियर प्रोग्रामिंग सम्बन्धी विकास के फलस्वरूप इन जटिल समस्याओं को हल करना भी संभव हो गया है।
उत्पादन फलन का महत्व
उत्पादन फलन का अध्ययन उत्पादन के क्षेत्र में विशेष महत्वपूर्ण है। उत्पादन तथा उत्पत्ति के साधनों के बीच उत्पादन बताते हुये उत्पत्ति के तीनों नियमों की जानकारी देता है | उत्पादन-फलन से ज्ञात होता है कि किसी देश में उत्पादन तकनीकी किस स्तर पर है | यदि कोई देश विश्व की कुशल तकनीक को अपनाकर उत्पादन करता है तो कम साधनों में अभिनय उत्पादन कर सकता है। एक फर्म का उद्देश्य अधिकतम लाभ तकनीकी विश्लेषण के उत्तर प्राप्त करना होता है जिसके लिये उसे उत्पाद की न्यूनतम लागत करना आवश्यक होता है, इसके लिये फर्म उत्पादन फलन की सहायता लेती हैं। इसलिये बड़े-बड़े कारखानों में तकनीकी विश्लेषण के उत्तर इन्जीनियरिंग विभाग नये-नये उत्पादन फलन की सारणी बनाकर, आदर्श उत्पादन-फलन सारणी ज्ञात करके अपनी फर्म को आदर्श फर्म बनाने का प्रयत्न करते रहते हैं ।
कॉब डगलस का उत्पादन फलन
इस उत्पादन फलन का प्रतिपादन प्रसिद्ध अर्थशास्त्री पॉल एच डगलस तथा सी.डब्ल्यू.कॉब द्वारा दिया गया है। जो इन्हीं के नाम से कॉब डगलस का उत्पादन फलन कहा जाता है। लेकिन इससे पूर्व भी विभिन्न अर्थशास्त्रियों ने सांख्यिकी विश्लेषण की सहायता से अनेक उत्पादन फलनों का प्रतिपादन किया है। उत्पादन फलन के सम्बन्ध में कॉब एवं डगलस का कहना है कि निर्माणकारी उत्पादन में पूँजी का योगदान 1/2 होता है तथा शेष 3/4 श्रम का। कॉब डगलस उत्पादन फलन रेखीय और सजातीय उत्पादन फलन है, अतः इसका प्रयोग निर्माणकारी उद्योग या सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के सन्दर्भ में किया जा सकता है क्योंकि इसके फलन के द्वारा निकाले गये निष्कर्ष सत्यता के अत्यन्त तकनीकी विश्लेषण के उत्तर निकट होते हैं। कॉब डगलस के उत्पादन फलन को निम्न प्रकार व्यक्त किया जा सकता है
यहाँ पर Q = वस्तु की उत्पादन मात्रा; L = पूंजी की मात्रा; C = पूंजी की मात्रा
तकनीकी विश्लेषण के उत्तर
विज़न
पोषण, पारिस्थितिकी और आजीविका सुरक्षा में सुधार के लिए राष्ट्रीय परिवेश में बागवानी के सर्वांगीण एवं त्वरित विकास का दायित्व बागवानी संभाग को सौंपा गया है।
मिशन
बागवानी में प्रौद्योगिकी आधारित विकास
लक्ष्य
बागवानी में राष्ट्रीय स्तर पर अनुसंधान और विकास कार्यक्रम का नियोजन, सहयोग और निगरानी के साथ इस क्षेत्र में ज्ञान रिपोजटिरी की तरह कार्य करना।
संगठनात्मक ढांचा
बागवानी संभाग का मुख्यालय कृषि अनुसंधान भवन-।।, पूसा कैम्पस, नई दिल्ली में स्थित है। इस संभाग में दो कमोडिटी/सबजेक्ट विशिष्ट तकनीकी विभाग (बागवानी । और ।। के अलावा) और प्रशासन विंग, संस्थान प्रशासन-V विभाग है। उपमहानिदेशक (बागवानी) के नेतृत्व में कार्यरत इस संभाग में दो सहायक महानिदेशक, तकनीकी विश्लेषण के उत्तर दो प्रधान वैज्ञानिक और एक उपसचिव (बागवानी) भी शामिल हैं। भा.कृ.अनु.प. का बागवानी संभाग 10 केन्द्रीय संस्थानों, 6 निदेशालयों, 7 राष्ट्रीय अनुसंधान केन्द्रों, 13 अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाओं और 6 नेटवर्क प्रायोजनाओं/प्रसार कार्यक्रमों के जरिये भारत में बागवानी अनुसंधान पर कार्य कर रहा है।
प्राथमिकता वाले क्षेत्र
बागवानी (फलों में नट, फल, आलू सहित सब्जियों, कंदीय फसलें, मशरूम, कट फ्लावर समेत शोभाकारी पौधे, मसाले, रोपण फसलें और औषधीय एवम सगंधीय पौधे) का देश के कई राज्यों के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान है और कृषि जीडीपी में इसका योगदान 30.4 प्रतिशत है। भा.कृ.अनु.प. का बागवानी संभाग इस प्रौद्योगिकी आधारित विकास में प्रमुख भूमिका निभाता है। आनुवंशिक संसाधन बढ़ाना और उनका उपयोग, उत्पादन दक्षता बढ़ाना और उत्पादन हानि को पर्यावरण हितैषी तरीकों से कम करना आदि इस क्षेत्र के अनुसंधान की प्राथमिकता है।
- आनुवंशिक संसाधनों का प्रभावी प्रबंधन, बढ़ोतरी, जैव संसाधनों का मूल्यांकन और श्रेष्ठ गुणों वाली, उच्च उत्पादक, कीट और रोग सहिष्णु एवं अजैविक दबावों को सहने में सक्षम उन्नत किस्मों का विकास।
- उत्पादकता बढाने हेतु अच्छी किस्मों के लिए सुधरी प्रौद्योगिकियों का विकास जो जैविक और अजैविक दबावों की सहिष्णु होने के साथ ही स्वाद, ताजगी, स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होने जैसी बाजार की आवश्यकताओं को पूरा कर सकें।
- विभिन्न बागवानी फसलों के लिए स्थान विशिष्ट प्रौद्योगिकियों के विकास द्वारा उत्पादन, गुणवत्ता की विविधता को कम करना, फसल हानि को कम करने के साथ बाजार गुणों में सुधार करना।
- पोषक तत्वों और जल के सही उपयोग की पद्धति विकसित करना और नई नैदानिक तकनीकों की मदद से कीट और रोगों के प्रभाव को कम करना।
- स्थानीय पारिस्थितिकी और उत्पादन पद्धति के बीच संबंध को समझकर जैवविविधता के संरक्षण और संसाधनों के टिकाऊ उपयोग की पद्धतियों का विकास करना।
- ऐसी उत्पादन पद्धति का विकास करना जिसमें कम अपशिष्ट निकले और अपशिष्ट के अधिकतम पुनर्उपयोग को बढ़ावा दे।
- अधिक लाभ के लिए फलों, सब्जियों, फूलों की ताजगी को लम्बे समय तक बनाये रखना, उत्पाद विविधता और मूल्य संवर्धन।
- समुदाय विशेष की आवश्यकता को समझकर संसाधनों के प्रभावी उपयोग और प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए क्षमता निर्माण करना।
उपलब्धियां
भारतीय बागवानी की झलक
- फलों और सब्जियों का विश्व में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश।
- आम, केला, नारियल, काजू, पपीता, अनार आदि का शीर्ष उत्पादक देश।
- मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश।
- अंगूर, केला, कसावा, मटर, पपीता आदि की उत्पादकता में प्रथम स्थान
- ताजा फलों और सब्जियों के निर्यात में मूल्य के आधार पर 14 प्रतिशत और प्रसंस्करित फलों और सब्जियों में 16.27 प्रतिशत वृद्धि दर।
- बागवानी पर समुचित ध्यान केंद्रित करने से उत्पादन और निर्यात बढ़ा। बागवानी उत्पादों में 7 गुणा वृद्धि से पोषण सुरक्षा और रोजगार अवसरों में वृद्धि हुई।
- कुल 72,974 आनुवंशिक संसाधन जिसमें फलों की 9240, सब्जी और कंदीय फसलों की 25,400, रोपण फसलों और मसालों की 25,800, औषधीय और सगंधीय पौधों की 6,250, सजावटी पौधों की 5300 और मशरूम की 984 प्रविष्टियां शामिल हैं।
- आम, केला, नीबू वर्गीय फलों आदि जैसी कई बागवानी फसलों के उपलब्ध जर्मप्लाज्म का आणविक लक्षण वर्णन किया गया।
- 1,596 उच्च उत्पादक किस्मों और बागवानी फसलों (फल-134, सब्जियां-485, सजावटी पौधे-115, रोपण फसलें और मसाले-467, औषधीय और सगंधीय पौधे-50 और मशरूम-5) के संकर विकसित किये गये। इसके परिणास्वरूप केला, अंगूर, आलू, प्याज, कसावा, इलायची, अदरक, हल्दी आदि बागवानी फसलों के उत्पादन में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है।
- सेब, आम, अंगूर, केला, संतरा, अमरूद, लीची, पपीता, अनन्नास, चीकू, प्याज, आलू, टमाटर, मटर, फूलगोभी आदि की निर्यात के लिए गुणवत्तापूर्ण किस्मों का विकास किया गया।
भविष्य की रूपरेखा:
कृषि में वांछित विकास के लिए बागवानी क्षेत्र को प्रमुख भूमिका निभाने के लिए निम्न अनुसंधान प्राथमिकता के क्षेत्रों पर केंद्रित करना होगा:
- विभिन्न पर्यावरण परिस्थितियों में उगाये जाने वाले फलों और सब्जियों के जीन और एलील आधारित परीक्षण
- पोषण डायनेमिक्स एंड इंटरएक्शन
- जैवऊर्जा और ठोस अपशिष्ट उपयोग
- नारियल, आम, केला और पलवल का जीनोमिक्स
- बागवानी फसलों में उत्पादकता और गुणता सुधार के लिए कीट परागणकर्ता
- अपारम्परिक क्षेत्रों के लिए बागवानी किस्मों का विकास
- फल और सब्जी उत्पादन में एरोपोनिक्स और हाइड्रोपोनिक्स तकनीकों का मानकीकरण
- फलों और सब्जियों में पोषण गुणता का अध्ययन
- बागवानी फसलों में कटाई उपरांत तकनीकी और मूल्य वर्धन
- फलों और सब्जियों के लंबे भंडारण और परिवहन के लिए संशोधित पैकेजिंग
संपर्क सूत्र
डा. ए. के. सिंह, , उप महानिदेशक (बागवानी)
बागवानी संभाग, कृषि अनुसंधान भवन - II, नई दिल्ली - 110 012 भारत
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दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में गोरखपुर के एआरटीओ बोले, चिन्हित स्थलों की दूर होंगी तकनीकी कमियां
एआरटीओ संजय कुमार झा ने सड़क सुरक्षा सप्ताह से संबंधित साक्षात्कार में कहा कि सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए सिर्फ कार्रवाई नहीं जागरूकता भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि चिन्हित स्थलों का वैज्ञानिक विश्लेषण कर इंजीनियरिंग डिफेक्ट दूर की जाएगी। साथ ही कुशल चालक तैयार किए जाएंगे।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। गोरखपुर के सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन) संजय कुमार झा ने दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में कहा हाईवे पर दुर्घटना वाले स्थलों को चिन्हित किया जा रहा है। दुर्घटना के कारणों का सूक्ष्म वैज्ञानिक विश्लेषण कर सड़क मार्ग के इंजीनियरिंग डिफेक्ट को दूर कराने का प्रयास किया जाएगा। सड़क के निर्धारित गति और यातायात के नियमों से संबंधित बोर्ड लगाए जाएंगे। रोड के साथ बोर्ड अनिवार्य है।
इस वजह से भी होती हैं दुर्घटनाएं
उन्होंने कहा कि रोड पर यातायात नियमों और सड़क की सूचना संबंधित बोर्ड नहीं है तो दुर्घटनाओं पर अंकुश लगा पाना कठिन है। प्रशिक्षित चालकों के चलते भी मार्ग दुर्घटनाएं होती रहती हैं। कुशल चालकों के लिए जल्द ही चरगांवा स्थित शहीद बंधू सिंह चालक प्रशिक्षण केंद्र शुरू हो जाएगा। प्रशिक्षण के लिए कंपनी निर्धारित कर दी गई है। मार्ग दुर्घटनाओं पर सिर्फ कार्रवाइयों से ही अंकुश नहीं लग पाएगा, इसके लिए आम जन को भी जागरूक होना जरूरी है। दैनिक जागरण कार्यालय में सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी ने सड़क सुरक्षा को लेकर विस्तार से चर्चा की। बातचीत में आ रहीं दिक्कतों और खामियों को स्वीकार किया। उन्हें दूर कराने का आश्वासन देते हुए दैनिक जागरण के प्रश्नों का उत्तर भी दिया। प्रस्तुत हैं प्रश्न और उत्तर।
प्रश्न : नौसढ़-खजनी, गोला वाया बड़हलगंज- कौड़ीराम और बाघागाड़ा-कोनी-लखनऊ फोरलेन पर सड़क की स्थिति बेहद खराब है। जगह-जगह खतरनाक कट हैं, संकेतक नहीं हैं। हरपल दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। क्या करण है?
उत्तर : दैनिक जागरण के सड़क सुरक्षा अभियान को पढ़ता रहा हूं। सड़कों की कमियों के बारे में जानकारी हुई है। निर्माण एजेंसियां सड़कों की बनावट और दुर्घटना के कारणों की पड़ताल कर रही हैं। दो दिसंबर को सड़क सुरक्षा समिति में प्रमुखता से इस मुद्दे को उठाया जाएगा। गहन समीक्षा कर कमियों को दूर कराया जाएगा।
प्रश्न : मार्ग दुर्घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। 2021 में 550 दुर्घटनाएं हुई थीं। वर्ष 2022 में बढ़कर 955 हो गई हैं। जबकि, दुर्घटनाओं पर रोक लगाने के लिए लगातार अभियान चल रहे हैं।
उत्तर : सभी सड़क मार्ग की गति निर्धारित है। मार्गों पर संकेतक के साथ निर्धारित तकनीकी विश्लेषण के उत्तर गति का बोर्ड भी जरूरी है। चालक गति और मानकों का ख्याल नहीं रखते। मार्गों पर जगह-जगह बोर्ड लगवाए जाएंगे। अनियंत्रित गति के खिलाफ अभियान चलाए जाएंगे।
प्रश्न : प्रतिमाह सड़क सुरक्षा समिति की बैठक का प्राविधान है। जुलाई से अभी तक एक भी बैठक नहीं हुई। अवरोध कहां है?
उत्तर : सड़क सुरक्षा समिति की बैठक तकनीकी विश्लेषण के उत्तर के लिए प्रत्येक माह का दो तारीख निर्धारित किया गया है। लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता इसके सचिव हैं। दो दिसंबर को बैठक होनी है। अधिकारियों की कमी के चलते भी नियमित बैठकें नहीं हो पा रहीं। गोरखपुर में सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन) के दो पद खाली हैं।
प्रश्न : दुर्घटना के बाद घायल को तत्काल अस्पताल पहुंचाया जा सके, इसके लिए गुड सेमिनेटर (मददगार) की व्यवस्था की गई है। मददगार को दो हजार रुपये प्रोत्साहन राशि का प्राविधान है, लेकिन एक भी मददगार को प्रोत्साहन राशि नहीं दी गई, क्यों?
उत्तर : पुलिस प्रशासन के सहयोग से मददगार को चिन्हित कराया जाएगा। इस व्यवस्था की भी पड़ताल कराई जाएगी। अभियान चलाकर लोगों को इसके प्रति जागरूक किया जाएगा।
प्रश्न : परिवहन विभाग आने वाले दिनों में मार्ग दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए क्या तैयारी कर रहा है। इसके लिए क्या कोई कार्ययोजना तैयार की गई है।
उत्तर : त्रैमासिक सड़क सुरक्षा अभियान नियमित चलाया जा रहा है। सड़क सुरक्षा समिति की बैठक को भी नियमित किया जाएगा। स्कूल सहित प्रमुख स्थलों पर जागरूकता अभियान चल रहा है, इसे गांवों तक पहुंचाया जाएगा। 25 से 35 वर्ष के युवाओं के लिए विशेष जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। कार्रवाई के साथ जागरूकता पर विशेष जोर रहेगा।
बागेश्वर पुलिस ने साइबर ठगी करने वाले को बिहार से किया गिरफ्तार
पुलिस अधीक्षक जनपद बागेश्वर हिमांशु कुमार वर्मा महोदय द्वारा बढते तकनीकी विश्लेषण के उत्तर हुए साइबर अपराध में प्रभावी अंकुश लगाने के परिपेक्ष में जनपद पुलिस को आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये है। उक्त क्रम में पुलिस उपाधीक्षक ऑपरेशन अंकित कण्डारी के पर्यवेक्षण में दिनांक 02.09.2022 को साइबर क्राइम सैल में आवेदक चंचल सिंह पुत्र जौहार सिंह निवासी- ग्राम नौकोडी पो0- हरसिग्याबगड, थाना कपकोट जनपद- बागेश्वर द्वारा शिकायत दर्ज करायी गयी की मुझे अज्ञात द्वारा कॉल कर खुद को बैक कस्टमर केयर अधिकारी का परिचय देते हुए धोखे से एनीडेस्क मोबाइल एप्लीकेशन डाउनलोड करवाकर अज्ञात द्वारा मेरे यूनियन बैक खाते से रू0 3,39,900/- आहरित कर लिये गये है। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक द्वारा मामले में संलिप्त आरोपियो के बारे में तकनीकी जानकारी जुटाने हेतु साइबर क्राइम सैल को आवश्यक दिशा दिर्नेश दिये गये, साइबर सैल द्वारा गहन तकनीकी विश्लेषण किये जाने पर उक्त प्रकरण में संलिप्त आरोपियो का बसाहा, पालाजोरी जनपद देवघर /शेखपुरा बिहार में एक्टिव होना पाया गया।
प्रकरण मे तत्काल थाना कपकोट में FIR NO. 79/2022 धारा - 420 भादवि0 पंजीकृत कर विवेचना उ0नि0 प्रहलाद सिंह को सुपूर्द व उ0नि0 प्रहलाद सिंह के नेतृत्व मे टीम गठित कर धरपकड हेतु रवाना कि गयी, उ0नि0 प्रहलाद सिह के नेतृत्व में गठित टीम द्वारा संलिप्तो के एक्टिव ठिकानों, पालाजोरी देवघर, सारज खुखजोरा, अस्थावा नालंदा आदि स्थानो मे दबिश दी गयी। दौराने दबिश घटना में संलिप्त 1. अभियुक्त पवन कुमार पुत्र गोरेलाल महतों निवासी - ग्राम अंडौली थाना -चेवरा जनपद शेखपुरा बिहारा को गिरफ्तार किया गया तथा अभियुक्त के कब्जे से 03 ए0टी0एम0 कार्ड भी बरामद किये गये। 2. जीया राम महतो पुत्र नीमाई चन्द्र महतो निवासी - बिरूवामरानी , थाना -खागा, जनपद देवघर (झारखण्ड) को 41 सीआरपीसी का नोटिस तामील करवाया गया। 3. अभियोग से संबंधित विधि विवादित किशोर निवासी- ओयब अस्थाना जनपद -नालंदा बिहार के कब्जे से घटना प्रयोग किये गये 01 मोबाइल फोन, 02 सिम कार्ड बरामद किये गये जिसे 41 सीआरपीसी का नोटिस तामील करवाया गया।
उक्त अभियोग में घटना में संलिप्त/गिरफ्तार अभियुक्तो विवरण -
1. पवन कुमार पुत्र गोरेलाल महतों
निवासी - ग्राम अंडौली थाना -चेवरा
जनपद -शेखपुरा (बिहार)
2. जीया राम तकनीकी विश्लेषण के उत्तर महतो पुत्र नीमाई चन्द्र महतो
थाना -खागा, जनपद देवघर (झारखण्ड) (फरार अभियुक्त)
बरामद सामाग्री :-
1. घटना में प्रयोग किये गये 01 मोबाइल फोन, 02 सिम कार्ड, 03 ए0टी0एम0 कार्ड।