ऑटो ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर

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इन्हीं चीजों को ध्यान में रखते हुए ट्रेडिंग मास्टर ने आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस का सहारा लेकर एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया है जिसकी मदद से आम आदमी भी स्टॉक मार्केट के पेचीदा मसलों का सामना आसानी से कर सकता है.
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अब ‘अल्गो ट्रेडिंग’ को रेगुलेट करने की तैयारी, SEBI लाया नए नियम, जानिए इससे जुड़ी सभी काम की बातें
भारत में अल्गो ट्रेडिंग का दौर 2008 में ही शुरू हो गया था, लेकिन इसका फायदा वे ही लोग उठाते रहे हैं जो कंप्यूटर और प्रोग्रामिंग में दक्ष हों. रिटेल में स्टॉक खरीदने-बेचने का काम लोगों ने कुछ ही साल पहले शुरू किया है.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: Ravikant Singh
Updated on: Dec 14, 2021 | 1:52 PM
अल्गो ट्रेडिंग का नाम भले नया हो, लेकिन ट्रेडिंग के कद्रदान इसका फायदा बहुत पहले से उठा रहे हैं. सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया या SEBI अब इसे रेगुलेट करने की तैयारी में है. एक आंकड़ा बताता है कि भारत में होने वाली ट्रेडिंग का तकरीबन 50 फीसदी हिस्सा अल्गो ट्रेडिंग से ही संपन्न हो रहा है. ऐसे में सेबी की निगाह पड़ना लाजिमी है. दरअसल, अल्गो ऑटो ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर ट्रेडिंग का मतलब अल्गोरिदम से जुड़ा है जो पूरी तरह से कंप्यूटर से जरिये पूरा किया जाता है. अल्गो ट्रेडिंग में भी यही काम होता है. इसमें कंप्यूटर के जरिये ही स्टॉक की खरीद-बेच की जाती है. इसका दूसरा नाम ऑटोमेटेड या प्रोग्राम्ड ट्रेडिंग भी है. आइए इस नए प्रकार की ट्रेडिंग के बारे में जानते हैं.
अल्गो ट्रेडिंग कंप्यूटर प्रोग्राम के माध्यम से की जाती है. कंप्यूटर में पहले से पैरामीटर्स, स्टॉक खरीद-बिक्री के निर्देश, मार्केट का पैटर्न और शर्तें फीड की गई रहती हैं. बस आपको स्टॉक खरीदने या बेचने के लिए कंप्यूटर का बटन दबाना होता है और काम पूरा हो जाता है. भारत में अल्गो ट्रेडिंग का दौर 2008 में ही शुरू हो गया था, लेकिन इसका फायदा वे ही लोग उठाते रहे हैं जो कंप्यूटर और ऑटो ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग में दक्ष हों. रिटेल में स्टॉक खरीदने-बेचने का काम लोगों ने कुछ ही साल पहले शुरू किया है.
कैसे होती है अल्गो ट्रेडिंग
अल्गो ट्रेडिंग शुरू करने के पीछे मकसद ये था कि ट्रेडिंग में समय बचे और अधिक तेजी से बिजनेस हो. अगर आप खुद किसी स्टॉक को सेलेक्ट करें और खरीदें या बेचें तो उसमें अधिक समय लगेगा जबकि कंप्यूटर यह काम कुछ ही सेकंड में पूरा कर देता है. अल्गो ट्रेडिंग में कोई ब्रोकर कंप्यूटर प्रोग्राम के जरिये शेयर पहले ही सेलेक्ट कर लेता है और बाजार खुलते ही ट्रेडिंग शुरू हो जाती है. अल्गो ट्रेडिंग का लिंक स्टॉक एक्सचेंज के सर्वर से जुड़ा होता है. इसलिए ट्रेडिंग की हर जानकारी स्टॉक एक्सचेंज के साथ अपडेट होती रहती है.
अल्गो से ट्रेडिंग पूरी होने के पहले रिटेल ट्रेडर का या तो अपने ब्रोकर को फोन करना होता है या ब्रोकर के ऑफिस में जाना होता है. अल्गो ट्रेडिंग में ही मोबाइल ट्रेडिंग का प्रोसेस भी आता है जिसमें मोबाइल के जरिये स्टॉक खरीदे या बेचे जाते हैं. इसमें मोबाइल ऐप के द्वारा ऑर्डर ऑटो ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर दिए जाते हैं. अल्गो ट्रेडिंग का एक एडवांस्ड वर्जन भी है जिसमें बिना किसी इंसानी दखलंदाजी के काम होता है.
सेबी की क्यों लगी निगाह
सेबी ही स्टॉक एक्सचेंज का रेगुलेटर है और यही सभी ब्रोकर टर्मिनल को मॉनिटर करता है. लेकिन ट्रेडर्स के अल्गो प्रोग्राम के लिए एक्सचेंज की कोई मंजूरी नहीं चाहिए होती है. अल्गो की मॉनिटरिंग के लिए कोई रूल भी नहीं है. लेकिन सेबी को अब यह लगता है कि बिना रेगुलेशन वाले अल्गो से मार्केट या स्टॉक एक्सचेंज को खतरा हो सकता है.
बिना रेगुलेशन वाले अल्गो से मार्केट में छेड़छाड़ की भी आशंका है. यह भी हो सकता है कि जिन अल्गो की मॉनिटरिंग नहीं होती, वे ग्राहकों को भारी मुनाफा या रिटर्न का झांसा देकर फंसा दें. ट्रेडिंग फेल होने पर ग्राहकों का भारी नुकसान हो सकता है. 2015 में ऐसा एक विवाद हो चुका है जिसमें पता चला कि एनएसई ने कुछ चुनिंदा अल्गो ट्रेडर्स को बिजनेस में तरजीह दी थी. इन वजहों को देखते हुए सेबी अल्गो ट्रेडिंग को रेगुलेट करने की तैयारी में है.
AI की मदद से करें शेयर ट्रेडिंग, हर वक्त होगा मुनाफा, मास्टर बोट नहीं होने देगा नुकसान
ट्रेडिंग मास्टर सॉफ्टवेयर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह किसी शेयर के पिछले समय के घटते—बढ़ते दाम, उस कंपनी की परफॉर्मेंस, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों के हालात जैसे तथ्यों को परखते हुए किसी स्टॉक में निवेश का फैसला करता है.
नई दिल्ली: स्टॉक या शेयर मार्केट के जरिये निवेश कर देश के बहुत से लोग अच्छा खासा मुनाफा कमाने की इच्छा रखते हैं, लेकिन बाजार के उछाल और गिरावट के समीकरणों का सही अंदाज न लगा पाने की वजह से लोग इससे दूरी बरतते हैं. कई स्टॉक ब्रोकरेज कंपनियां इन्वेटमेंट और इंट्रा डे ट्रेडिंग ऑटो ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर को लेकर निवेशकों को सलाह देती हैं, मगर कई मौकों पर चूक हो जाने से मुनाफे के लिए किया गया निवेश घाटे का सबब भी बन जाता है.
Success Story: दिल्ली में ₹450 महीने की नौकरी से दो करोड़ टर्नओवर वाली कंपनी तक, जानिए शामली के जिया मोहम्मद की कहानी
इन्हीं चीजों को ध्यान में रखते हुए ट्रेडिंग मास्टर ने आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस का सहारा लेकर एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया है जिसकी मदद से आम आदमी भी स्टॉक मार्केट के पेचीदा मसलों का सामना आसानी से कर सकता है.
ट्रेडिंग मास्टर सॉफ्टवेयर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह किसी शेयर के पिछले समय के घटते—बढ़ते दाम, उस कंपनी की परफॉर्मेंस, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों के हालात जैसे तथ्यों को परखते हुए किसी स्टॉक में निवेश का फैसला करता है.
ट्रेडिंग मास्टर के मैनेजिंग पार्टनर विनोद कुमार धामा ने कहा, "निवेश के लिहाज से आम लोग गोल्ड, रियल एस्टेट और स्टॉक मार्केट को पसंदीदा विकल्प के तौर पर देखते हैं. स्टॉक्स के बारे में कम जानकारी की वजह से लोग इसमें निवेश करने से बचते हैं. ऐसे ही लोगों को शेयर मार्केट की जानकारी देने लिए आर्टिफीशियल इन्टेलिजेंस का सहारा लेकर यह सॉफ्टवेयर बनाया गया है."
धामा ने कहा कि सबसे दिलचस्प बात यह है कि यह सॉफ्टवेयर खुद ही किसी शेयर को खरीदने या बेचने का फैसला करता है, जिसकी एक्यूरेसी रेट 99.9 फीसदी है. ट्रेडिंग के दौरान यदि इसे घाटा दिखाई देता है तो वह कुछ समय के लिए ट्रेडिंग रोक भी देता है.
ट्रेडिंग मास्टर ने 'रोबो' नामक इस सॉफ्टवेयर को पिछले महीने लांच किया था. विनोद कुमार धामा ने कहा कि खासकर ऐसे निवेशक जिन्होंने स्टॉक एक्सचेंज में शुरुआती कदम रखा है वे इसे लेकर काफी उत्साहित हैं. साथ ही बड़ी संख्या में लोग इस सॉफ्टवेयर की मदद से शेयर बाजार को वैकल्पिक निवेश के साधन के तौर पर अपना भी रहे हैं.
Explainer : शेयर मार्केट में गारंटीड और हाई रिटर्न के दावे! जानिए क्या है Algo Trading और कैसे करती है काम
What is Algo Trading : एल्गो ट्रेडिंग को ऑटोमेटेड ट्रेडिंग, प्रोग्राम्ड ट्रेडिंग या ब्लैक बॉक्स ट्रेडिंग भी कहते हैं। एल्गो नाम एल्गोरिदम (Algorithm) से निकला है। यह एक कंप्यूटर प्रोग्राम के जरिए होती है, जो ट्रेड करने के लिए तय निर्देशों (एक एल्गोरिदम) को फॉलो करता है। माना जाता है कि इसमें काफी तेजी से और अधिक बार प्रोफिट जनरेट होता है।
एल्गो ट्रेडिंग क्या है, जिसमें किया जा रहा हाई रिटर्न का दावा
हाइलाइट्स
- इसे ऑटोमेटेड ट्रेडिंग, प्रोग्राम्ड ट्रेडिंग या ब्लैक बॉक्स ट्रेडिंग भी कहते हैं
- भारत में तेजी ऑटो ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर से लोकप्रिय हो रही है एल्गो ट्रेडिंग
- ट्रेडिंग एक्टिविटीज को भावनाओं से रखती है दूर
- बेस्ट पॉसिबल प्राइसेज पर पूरे होते हैं ट्रेड
1. बेस्ट पॉसिबल प्राइसेज पर ट्रेड पूरे होते हैं।
2. चाहे गए स्तरों पर ट्रेड ऑर्डर प्लेसमेंट तत्काल और सटीक होता ऑटो ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर है।
3. कीमतों में होने वाले बदलाव से बचने के लिए ट्रेड्स समय पर और तुरंत हो जाते हैं।
4. लेनदेन की लागत में कमी आती है।
5. कई बाजार स्थितियों पर एक साथ ऑटोमेटिक रूप से नजर बनाई जा सकती है।
6. ट्रेड्स प्लेस करते समय गलती की गुंजाइश का जोखिम काफी कम हो जाता है।
7. उपलब्ध ऐतिहासिक और रियल-टाइम डेटा का उपयोग करके एल्गो ट्रेडिंग का बैकटेस्ट किया जा सकता है। इससे यह पता लगाया जा सकता है कि यह एक व्यवहार्य ट्रेडिंग रणनीति है या नहीं।
8. ह्यूमन ट्रेडिंग में होने वाली भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक आधारित गलतियों की गुंजाइश नहीं रहती।
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सेबी ने जारी किये दिशानिर्देश
पूंजी बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने हाल ही में निवेशकों को एल्गो ट्रेडिंग से जुड़ी सेवाएं देने वाले ब्रोकर्स के लिये दिशानिर्देश जारी किए हैं। इस पहल का उद्देश्य ‘उच्च रिटर्न’ का दावा कर शेयर बिक्री पर रोक लगाना है। सेबी ने एल्गो ट्रेडिंग की सुविधा दे रहे ब्रोकर्स के लिए कुछ जिम्मेदारी तय की है। एल्गोरिदम ट्रेडिंग सेवाएं देने वाले ब्रोकरों को पिछले या भविष्य के रिटर्न को लेकर कोई भी संदर्भ देने से मना किया गया है। साथ ही ऐसे किसी भी प्लेटफॉर्म से जुड़े होने से प्रतिबंधित कर दिया गया है, जो एल्गोरिदम के पिछले या भविष्य के लाभ के बारे में कोई संदर्भ देता है। सेबी के सर्कुलर में कहा गया, ‘‘जो शेयर ब्रोकर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से एल्गोरिदम के पिछले या भविष्य के रिटर्न या प्रदर्शन के बारे में जानकारी देते हैं या इस प्रकार की जानकारी देने वाले मंच से जुड़े हैं, वे सात दिन के भीतर उसे वेबसाइट से हटा देंगे। साथ ही इस तरह के संदर्भ प्रदान करने वाले मंच से खुद को अलग कर लेंगे।
एल्गो ट्रेडिंग गारंटीड रिटर्न देती है, यह धारणा गलत
ट्विटर पर जेरोधा के को-फाउंडर नितिन कामत ने लिखा, “मुझे लगता है कि SEBI ने ऐसा इसलिए किया है, क्योंकि इस तरह के प्लेटफॉर्म ग्राहकों को लुभाने के लिए बैक-टेस्टिंग के जरिए असाधारण रिटर्न का लालच दे रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा, “एक धारणा गलत है कि एल्गो ट्रेडिंग गारंटीड रिटर्न देती हैं। ऐसी रणनीतियां (Strategies) खोजना जो लाभदायक प्रतीत होने के लिए अधिक बार ट्रेड करती हैं, कठिन नहीं है। लेकिन लगभग सभी मामलों में, हाई रिटर्न में तेजी से गिरावट आती है या एक बार जब आप इस पर होने वाली लागतों का हिसाब लगाते हैं तो रिटर्न दिखता ही नहीं।”