डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए?

डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए?

यदि किसी ने आपसे पूछा कि किसे ज़्यादा प्रोटीन या कार्बोहाइड्रेट्स या विटामिन खाने चाहिए तो आपका जवाब क्या होगा?
हर कोई!
हर किसी को सभी तरह के पोषक तत्व खाने की ज़रूरत होती है, लेकिन हर व्यक्ति की उम्र और शारीरिक आवश्यकताओं पर निर्भर करते हुए पोषक तत्वों का अनुपात अलग होगा। उदाहरण के लिए, वयस्कों के तुलना में बढ़ते हुए बच्चों को ज़्यादा प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट्स की ज़रूरत होती है। उन्हें ऊर्जा से भरपूर कार्बोहाइड्रेट्स की पर्याप्त आपूर्ति की ज़रूरत भी होती है। यही सिद्धांत आपके निवेश पोर्टफोलियो पर भी लागू होता है।
हर व्यक्ति को अपने निवेश पोर्टफोलियो में इक्विटी, निश्चित आय, सोने, रीयल-एस्टेट और अन्य एसेट्स की ज़रूरत होती है। लेकिन हर व्यक्ति के लिए हर एसेट का अनुपात अलग-अलग होगा। इसलिए, हर किसी को फिक्सड इन्कम संपत्ति (एसेट्स), जैसे डेट फंड्स, में कुछ निवेश करने की ज़रूरत होती है। 30 वर्ष या उसके आस-पास की उम्र के युवाओं के तुलना में वरिष्ठ नागरिकों को अपने पोर्टफोलियो का ज़्यादा हिस्सा डेट फंड्स में निवेश करना चाहिए। युवाओं के बीच, एक परंपरागत निवेशक जो ज़्यादा जोखिम उठाने में असहज महसूस करता हो, उसे अपने उन साथियों के तुलना में डेट फंड्स में ज़्यादा निवेश करना चाहिए, जो इक्विटी में निवेश करने की जोखिमभरी प्रवृत्ति में सहज महसूस करते हैं। एक सामान्य नियम के रूप में, आपकी उम्र के बराबर आपके पोर्टफोलियो के अनुपात को फिक्सड इन्कम एसेट्स, जैसे डेट फंड्स, में निवेश करने की सिफ़ारिश की जाती है। नए म्यूचुअल फंड निवेशक भी डेट फंड्स के साथ शुरुआत कर सकते हैं।
Hybrid Mutual Funds: कम रिस्क में बेहतर रिटर्न; किसे करना चाहिए निवेश? क्या कहते हैं एक्सपर्ट
Hybrid Mutual Funds: म्यूचुअल फंड में एक कैटेगरी हाइब्रिड म्यूचुअल फंड्स की है. इन स्कीम्स फंड हाउस निवेशकों का पैसा इक्विटी और डेट दोनों तरह के एसेट क्लास में लगाती हैं. प्योर इक्विटी स्कीम के मुकाबले इसमें रिस्क कम रहता है.
Hybrid Mutual Funds: शेयर बाजार में जारी उतार-चढ़ाव के बीच म्यूचुअल फंड्स में निवेशकों का भरोसा मजबूत बना हुआ है. म्यूचुअल फंड में निवेश आज के समय में काफी आसान है. निवेशक डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए? को इक्विटी फंड से लेकर डेट फंड, गोल्ड फंड और इंफ्रा फंड की स्कीम्स में निवेश का ऑप्शन मिलता है. हर कैटेगरी का अपना-अपना रिस्क और रिटर्न का कैलकुलेशन है. इनमें एक कैटेगरी हाइब्रिड म्यूचुअल फंड्स (Hybrid Mutual Funds) की है. इन स्कीम्स फंड हाउस निवेशकों का पैसा इक्विटी और डेट दोनों तरह के एसेट क्लास में लगाती हैं. प्योर इक्विटी स्कीम के मुकाबले इसमें रिस्क कम रहता है.
हाइब्रिड फंड्स का रिटर्न फैक्टर समझिए
हाइब्रिड म्यूचुअल फंड्स में भी अलग-अलग कैटेगरी है. इनमें एग्रेसिव हाइब्रिड, कंजर्वेटिव हाइब्रिड, बैलेंस्ड हाइब्रिड, डायनेमिक एसेट एलोकेशन या बैलेंस्ड एडवांटेज, मल्टी एसेट एलोकेशन, आर्बिट्राज और इक्विटी सेविंग स्कीम्स शामिल हैं. बैलेंस्ड हाइब्रिड फंड्स की बात करें, तो बीते 5 साल में इनका रिटर्न औसतन 20 फीसदी सालाना तक रहा है.
एग्रेसिव हाइब्रिड फंड्स का भी बीते 5 साल में औसत रिटर्न करीब 20 फीसदी तक सालाना रहा है. कंजर्वेटिव हाइब्रिड फंड्स का रिटर्न इसी अवधि में 10 फीसदी तक रही है. हाइब्रिड इक्विटी सेविंग स्कीम्स की बात करें, तो इनका 5 साल का रिटर्न करीब 11 फीसदी तक, हाइब्रिड आर्बिट्राज का करीब 6 फीसदी तक और हाइब्रिड मल्टी एसेट अलोकेशन फंड्स का रिटर्न करीब 20 फीसदी तक सालाना रहा है.
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Hybrid Funds में किसे करना चाहिए निवेश
BPN फिनकैप के डायरेक्टर एके निगम का कहना है कि हाइब्रिड फंड्स एक तरह से म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) या ETF का एक क्लासिफिकेशन है. हाइब्रिड डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए? म्यूचुअल फंड एक से अधिक एसेट क्लास में निवेश करते हैं. इनमें इक्विटी और डेट एसेट शामिल हैं. ये स्कीम्स सोने में भी पैसा लगाती हैं. यानी एक ही प्रोडक्ट में इक्विटी, डेट और सोने में पैसा लगाने का मौका मिलता है. इस तरह से इनका निवेश काफी डायवर्सिफाइड होता है. इसका फायदा यह है कि अगर इक्विटी में रिटर्न बिगड़ता है तो डेट या सोने का रिटर्न ओवरआल रिटर्न बैलेंस कर सकता है. उसी तरह से डेट या डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए? सोने में रिटर्न कमजोर पड़े तो इक्विटी का रिटर्न इसे बैलेंस कर देता है.
निगम का कहना है कि अगर आप कन्जर्वेटिव इन्वेस्टर हैं. यानी, डायरेक्ट इक्विटी का जोखिम से बचना चाहते हैं, तो आपके लिए हाइब्रिड म्यूचुअल फंड (Hybrid Mutual Fund) एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है. इनमें जहां दूसरे कैटेगिरी के मुकाबले रिस्क कम है, वहीं रिटर्न भी बेहतर मिल रहा है. कुल मिलाकर बात करें, तो इसमें हाइब्रिड फंड्स में अलग-अलग कैटेगरी के रिस्क फैक्टर को देखकर निवेशक निवेश कर सकते हैं. बेहतर कम जोखिम लेने वाले निवेशक से लेकर एग्रेसिव निवेशकों के लिए भी इन फंड्स में निवेश का ऑप्शन है.
(नोट: यहां हाइब्रिड म्यूचुअल फंड के बारे में जानकारी दी है. यह निवेश की सलाह नहीं है. म्यूचुअल फंड में निवेश पर बाजार के जोखिम हैं. इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की राय लें.)
जानें क्या हैं डेट म्यूचुअल फंड में निवेश के नफा-नुकसान
डेट म्यूचुअल फंड बैंकों के कन्वर्टिबल डिबेंचर, कमर्शियल पेपर, गवर्नमेंट सिक्योरिटी या कॉरपोरेट बॉन्ड में निवेश करते हैं.
आसान पेपरवर्क
म्यूचुअल फंड से जुड़ा पेपरवर्क उलझाऊ नहीं होता है. आप म्यूचुअल फंड स्टेटमेंट की सॉफ्टकॉपी हासिल कर सकते हैं. अगर आप इसे खो भी दें तो कोई फर्क नहीं पड़ता है. आप रिडेम्प्शन स्लिप पर दस्तखत करें और फंड हाउस में उसे जमाकर अपना पैसा वापस ले लें. इसके मुकाबले बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट रिसीट अगर खो जाए तो आपको काफी पेपरवर्क करना पड़ सकता है.
टीडीएस नहीं
डेट म्यूचुअल फंड में टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) नहीं लगता है. अगर इनमें निवेश को तीन साल तक बनाए रखा जाए तो इंडेक्सेशन बेनिफिट मिल सकता है. अगर पैसा निकालना हो तो डेट डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए? म्यूचुअल फंड को 1 रुपये की यूनिट में तोड़ा जा सकता है और निवेशक जरूरी रकम निकाल सकता है. स्मॉल सेविंग प्रोडक्ट या एफडी के मामले में आपको पूरा डिपॉजिट तोड़ना पड़ता डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए? है.
जोखिम
जब ब्याज दरें बढ़ती हैं तो बॉन्ड के मूल्य गिरते हैं. दरें घटें तो बॉन्ड के दाम बढ़ते हैं. सभी डेट फंडों के साथ ब्याज दर वाला जोखिम होता है. लेकिन, डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए? असर अलग-अलग हो सकता है. किसी भी डेट सिक्योरिटी पर डिफॉल्ट का खतरा तब पैदा डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए? होता है, जब उसे जारी कर पैसे जुटाने वाली संस्था जरूरी भुगतान न कर पाए. फंड के पास जिन कंपनियों के बॉन्डों हों, उनमें से कोई भी अगर रीपेमेंट के शेड्यूल के मुताबिक पेमेंट न पाए तो फंड की एनएवी को झटका लग सकता है.
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डेट फंड किसे कहते हैं? फिक्स्ड डिपॉजिट के मुकाबले क्या लिक्विड फंड बेहतर?
अगर आप अधिकतम तीन साल तक के लिए निवेश करना चाहते हैं, और रिस्क लेने को तैयार नहीं हैं तो फिर आपके सामने पहला डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए? विकल्प 'फिक्स्ड डिपॉजिट' का है. लेकिन अगर फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) से थोड़ा ज्यादा रिटर्न चाहते हैं तो फिर डेट फंड (Debt Funds) में निवेश कर सकते हैं.
दरअसल, डेट फंड कम जोखिम के साथ बेहतर रिटर्न हासिल करने में मदद करता है. क्योंकि म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश सबसे ज्यादा फायदे का सौदा माना जाता है. अक्सर देखा गया है कि Fixed Deposit के मुकाबले डेट म्यूचुअल फंड (Debt Mutual Fund) में ज्यादा रिटर्न मिल जाता है.
वैसे डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए? अगर निवेश का लंबे समय तक का प्लान है तो फिर निवेशक को इक्विटी फंड में निवेश की सलाह दी जाती है, क्योंकि वो बाजार में अस्थिरता से हुए नुकसान को पूरा कर सकते हैं. लेकिन छोटी अवधि के लिए डेट फंड्स बेहतर विकल्प हैं. निवेशक को डेट फंड में ज्यादा रिटर्न की उम्मीद नहीं करनी चाहिए.
इसके अलावा जिन निवेशकों की आय डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए? स्थिर नहीं है, उन्हें एक बड़ा हिस्सा डेट फंड्स में निवेश करना चाहिए. ताकि उनका निवेश अधिक सुरक्षित रहे और जरूरत पड़ने पर तुरंत अपना पैसा निकाल सकें. डेट फंड्स (Debt Funds) का पैसा फिक्स्ड रिटर्न (Fixed Return) देने वाले बॉन्ड में लगाया जाता है.
डेट फंड क्या है?
डेट फंड म्यूचुअल फंड में निवेश का एक कैटेगरी है. डेट म्यूचुअल फंड फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटी में पैसा लगाते हैं. इनमें बॉन्ड, गवर्नमेंट सिक्योरिटी, ट्रेजरी बिल और नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर वगैरह शामिल हैं. यानी सुरक्षित जगह पर निवेश किया जाता है. आमतौर पर डेट फंड की तय मैच्योरिटी डेट होती है. यहां पैसा इक्विटी फंड के मुकाबले सुरक्षित होता है.
डेट म्यूचुअल फंड की विभिन्न कैटेगरी हैं. कुछ स्कीम्स शॉर्ट-टर्म सिक्योरिटीज में निवेश करती हैं. वहीं, दूसरी लंबी अवधि के बॉन्ड में पैसा लगाती हैं. इन सभी कैटेगरी में जोखिम भी अलग-अलग तरह का होता है. इसलिए निवेश से पहले सही कैटेगरी का चयन जरूरी है.
डेट फंड के फायदे
डेट फंड का मुख्य उद्देश्य निवेशकों को सुरक्षित निवेश के जरिए अच्छा रिटर्न देना होता है. डेट फंड को ही लिक्विड (Liquid Fund) भी कहा जाता है. क्योंकि इसमें लिक्विडिटी की भी कोई समस्या नहीं होती है. यानी जब चाहें आप अपना पैसा निकाल सकते हैं. इन फंडों से पैसे निकालने के आवेदन करने के एक दिन के भीतर आपके खाते में पैसा आ जाता है. वहीं फिक्स्ड डिपॉजिट में समय से पहले पैसे निकालने पर भारी नुकसान होता है. (Photo: Getty Images)
Debt funds से मुनाफे पर टैक्स का प्रावधान है. डेट फंड को 3 साल के बाद भुनाने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) लगता है. 3 साल के पहले डेट म्यूचुअल फंड यूनिट्स को बेचने से हुए मुनाफे पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना पड़ता है. इस शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन को आपकी कुल आमदनी में जोड़ा जाएगा और फिर Tax Slab के हिसाब से Tax की गणना की जाएगी. (Photo: Getty Images)