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दीर्घकालीन वित्त के स्रोत

दीर्घकालीन वित्त के स्रोत
3. व्यापारिक बैंक ( Trading bank ) – व्यापार की अल्पकालीन ऋणों की आवश्यकता को पूरा करते हैं। इनके द्वारा प्रदत ऋणों को चालू पूंजी के रूप में प्रयुक्त किया जा सकता है।

वित्तीय प्रबन्ध (Financial Management)

वित्तीय प्रबन्ध Financial Management पुस्तक का यह संशोधित संस्करण विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग, सेंट जेवियर्स काॅलेज, रांची एवं जमशेदपुर वूमेन्स काॅलेज, जमशेदपुर के बी. काॅम. (ऑनर्स) के सेमेस्टर V के नए पाठ्यक्रम के अनुरूप प्रकाशित किया गया है।

पुस्तक की मुख्य विशेषताएं:

  • पुस्तक के प्रत्येक अध्याय के अन्त में दीर्घ उत्तरीय, लघु उत्तरीय एवं वस्तुनिष्ठ प्रश्नों को सम्मिलित किया गया है।
  • अध्यायों के अन्त में दिए गए अभ्यासार्थ प्रश्नों को विभिन्न शीर्षकों के अन्तर्गत दिया गया है जो इस पुस्तक की एक प्रमुख अद्वितीय विशेषता है।
  • प्रत्येक अध्याय में विषय के सैद्धान्तिक पक्ष के साथ-साथ व्यावहारिक पक्ष को भी अनेक उदाहरणों की सहायता से सरल बनाने का प्रयास किया गया है।
  • प्रत्येक अध्याय के अन्त में दीर्घ उत्तरीय एवं लघु उत्तरीय प्रश्न तथा बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर सहित दिए गए हैं।
  • स्व-मूल्यांकन हेतु प्रत्येक अध्याय के अन्त में लघु क्रियात्मक एवं दीर्घ क्रियात्मक प्रश्नों को उत्तर सहित सम्मिलित किया गया है।
  • लाभांश नीति के अध्याय को कम्पनी अधिनियम, 2013 के अनुसार संशोधित किया गया है।
  • विभिन्न विश्वविद्यालयों की परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्नों का समावेश।
  • पुस्तक में व्यावहारिक प्रश्न दीर्घकालीन वित्त के स्रोत अन्य पुस्तकों की अपेक्षा स्तरीय एवं सबसे अधिक हैं।

Financial Sources

1. साधारण अंश या समता अंश ( Ordinary fraction )- समता अंश वे हैं दीर्घकालीन वित्त के स्रोत दीर्घकालीन वित्त के स्रोत जिनके धारकों को कंपनी के संचालन की सामान्य जोखिम को उठाना होता है। इन अंशों के धारकों कंपनी के प्रबंध एवं संचालन को नियमित एवं नियंत्रित करने का अधिकार होता है।

2. पूर्वाधिकार अंश ( Preference share )- उन अंशों से हैं, जिन पर अंश धारियों को एक निश्चित दर से प्रतिवर्ष लाभांश पाने का अधिकार होता है तथा समापन के समय पूंजी की वापसी का पूर्व अधिकार होता है।

3. ऋण पत्र ( Loan letter )- ऋण पत्र कंपनी के सार्वमुद्रा के अधीन जारी एक ऐसा प्रलेख है जो कंपनी पर ऋण को प्रमाणित करता है तथा ऋण की प्रमुख शर्तों को प्रकट करता है।

4. अर्जित आय का पुनः निवेश ( Re-invested income )- कम्पनी या संस्था लाभ का एक भाग दीर्घकालीन वित्त के स्रोत भविष्य की आवश्यकता के लिए संचय करके रख लेती है। संचित लाभ को कंपनी अपनी पूंजी के रूप में प्रयोग कर लेती है। उसे अर्जित आय का पुनः निवेश कहते हैं।

अल्पकालीन वित्त के स्रोत ( Short term finance sources )

1. सार्वजनिक निक्षेप या जमाएं ( Public deposits or deposits )- एकाकी व्यापार या साझेदारी संस्थाएं केवल अपने संबंधियों से ही व्यवसायिक उद्देश्यों के लिए जमाएं स्वीकार कर सकते हैं तथा केवल निजी कार्यों के लिए ही जन सामान्य से जमाएं स्वीकार कर सकते हैं।

2. व्यापारिक ऋण या साख ( Trade credit or credit ) –

  • चालू उधार खाता – कुछ स्थायी ग्राहक होते हैं। वह माल क्रय करते हैं। ऐसी दशा में उनके खातों में एक निश्चित राशि का माल उधार बेचने की शर्त हो सकती है। उधार की राशि की सीमा का निर्धारण क्रेता की आर्थिक स्थिति एवं भुगतान प्रवृत्ति को ध्यान में रखकर किया जाता है।
  • विनिमय विपत्र – – विक्रेता व्यापारी माल बेचते समय ही माल के भुगतान के लिए विनिमय विपत्र लिख देता है तथा क्रेता उसे स्वीकार कर लेता है।
  • प्रतिज्ञा पत्र – कई व्यापारी माल खरीदने के साथ ही माल के मूल्य के भुगतान की तिथि का एक प्रतिज्ञा पत्र लिख देते हैं। इन में लिखी तिथि पर विक्रेता क्रेता से धन की मांग कर लेता है तथा क्रेता भुगतान कर देता है।
  • हुण्डियां – व्यापारी कई बार माल क्रय करने के साथ ही हुण्डी लिखकर देते हैं। हुण्डी में लिखित तिथि को भुगतान हो जाता है।
  • अदत्त खर्चे- कुछ खर्चे देय होने के बहुत दिनों बाद भुगतान करना पड़ता है। उदाहरण – बिक्री कर, आयकर, बिजली के बिल की राशि आदि।

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  • राष्ट्रीय अवसंरचना वित्त पोषण (फाइनांसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर) और विकास बैंक बिल, 2021 को लोकसभा में 22 मार्च, 2021 को पेश किया गया। बिल इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनांसिंग के लिए मुख्य विकास वित्तीय संस्थान (डीएफआईज़) के तौर पर राष्ट्रीय अवसंरचना वित्त पोषण और दीर्घकालीन वित्त के स्रोत विकास बैंक (एनबीएफआईडी) की स्थापना करने का प्रयास करता है। डीएफआईज़ की स्थापना अर्थव्यवस्था के उन क्षेत्रों को दीर्घकालीन वित्त पोषण प्रदान करने के लिए की जाती है जहां जोखिम वाणिज्यिक बैंकों और दूसरे सामान्य वित्तीय संस्थानों की स्वीकार्य सीमा से परे होता है। बैंकों से अलग डीएफआईज़ लोगों से डिपॉजिट नहीं लेते। वे दीर्घकालीन वित्त के स्रोत बाजार, सरकार, बहुपक्षीय संस्थानों से धनराशि जुटाते हैं और सरकारी गारंटियों के जरिए समर्थित होते हैं।
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