USD तकनीकी आउटलुक

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लाभ : | +42.76% |
एब्स. लाभ: | +42.75% |
दैनिक | 4.03% |
मासिक: | 42.76% |
गिरावट: | 7.56% |
बकाया: | |
इक्विटी: | (100.00%) |
अधिकतम: | |
लाभ: | |
ब्याज़ |
जमा राशियां: |
निकासी: |
अपडेट है | 1 Hour ago |
ट्रैकिंग | 0 |
जैसे कि, एक आंकड़ा 'का इस महीने $100.00 (-$52.00)' का मतलब है कि खाते को लाभ हुआ है $100 का, जो $52 कम है पिछले USD तकनीकी आउटलुक महीने से.'> | लाभ (अंतर) | लाभ (अंतर) | पीप्स (अंतर) | जीत प्रतिशत(अंतर) | ट्रेडों (अंतर) | बहुत सारे (अंतर) |
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आज | - | - | - | - | - | - |
इस सप्ताह | - | - | - | - | - | - |
इस महीने | +42.76% ( - ) | +216,988.4 ( - ) | 99% ( - ) | 2,437 ( - ) | ||
इस साल | +42.76% ( - ) | +216,988.4 ( - ) | 99% ( - ) | 2,437 ( - ) |
- बढ़ोतरी
- पीप्स
- लाभ
- बहुत सारे
- विजेताएं बनाम हरनेवाले
- लंबे बनाम छोटे
- MAE Vs. ट्रेड के परिणाम
- MFE Vs. ट्रेड के परिणाम
- MAE बनाम MFE - विजेताऐं बनाम हारनेवालें
लंबी जीत: | (1,955/1,968) 99% |
छोटी जीत: | (466/469) 99% |
सबसे बड़िया ट्रेड ($): | |
सबसे खराब ट्रेड ($): | |
सबसे बड़िया ट्रेड (Pips): | (Nov 18) 871.0 |
सबसे खराब ट्रेड (Pips): | (Nov 18) -1,329.0 |
औसत. ट्रेड लंबाई: | 5h 57m |
लाभ का कारण: | 4.86 |
स्टैंडर्ड डिविएशन: | |
शारपे अनुपात | 0.14 |
Z-अंक (अनुमान): | -24.12 (99.99%) |
अपेक्षा | 89.0 USD तकनीकी आउटलुक पीप्स / |
AHPR: | 0.01% |
GHPR: | 0.01% |
- बदलाव करें
- लाभ
- बहुत सारे
- पीप्स
उच्च जोखिम चेतावनी: फॉरन एक्सचेंज ट्रेडिंग में उच्च स्तर का खतरा होता है जो हर निवेशकों के लिए सही नहीं हो सकता. लीवरेज अधिकतम खातर और हानि के अनावरण को उत्पन्न करता है. इससे पहले कि आप निर्णय लें फॉरन एक्सचेंज में ट्रेड करने का, ध्यान अपने निवेश के उद्देश्यों, अनुभव स्तर, और खतरा उठाने की सहिष्णुता पर विचार करें. आप कुछ या अपनी प्रारंभिक निवेश को खो सकते हैं. बिल्कुल भी उस पैसे को निवेश ना करें जो आप खोने को बर्दाश्त नहीं कर सकते. अपने आप को शिक्षित करें उन खतरों से जो फॉरन एक्सचेंज ट्रेडिंग से संबंधित हैं, और सलाह लें किसी स्वतंत्र आर्थिक या कर सलाहकार से अगर आपके पास कोई भी प्रश्न हैं तो. कोई भी डाटा या जानकारों जो दी जाती है वे केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है, और यब ट्रेडिंग आशय या सलाह पर नियत नहीं है. पिछले निष्पादन भविष्य के परिणामों के लिए परियाचक नहीं हैं.
Dollar vs Rupee: डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड नए निचले स्तर पर लुढ़का रुपया, एक हफ्ते में 0.60% हुआ कमजोर
Rupee vs Dollar: रुपया पिछले सत्र में डॉलर के USD तकनीकी आउटलुक मुकाबले 79.26 के अपने सबसे निचले स्तर पर बंद हुआ था. अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया एक हफ्ते में 0.60 फीसदी कमजोर हुआ है. डॉलर के सामने इस साल मे 6.5% नीचे आया है.
डॉलर के मुकाबले रुपया इस साल 6.5 फीसदी USD तकनीकी आउटलुक गिरा है. (ZeeBiz.com)
Rupee vs Dollar: डॉलर के मुकाबले रुपये (Rupee record new level) में कमजोरी जारी है. सोमवार को भी रुपये में गिरावट दर्ज की गई है. घरेलू शेयर बाजार (Stock Market) में सुस्ती और जोखिम से बचने के रुख के चलते रुपया आज शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड नए निचले स्तर 79.38 पर आ गया. रुपया पिछले सत्र में डॉलर के मुकाबले 79.26 के अपने सबसे निचले स्तर पर बंद हुआ था. अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया एक हफ्ते में 0.60 फीसदी कमजोर हुआ है. डॉलर के सामने इस साल मे 6.5% नीचे आया है.
रिकॉर्ड निचले स्तर पर रुपया
रुपए में इस साल 6.5% की गिरावट आ चुकी है. डॉलर में तूफानी तेजी का असर है.इस बीच छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर इंडेक्स 0.31 फीसदी बढ़कर 107.34 पर पहुंच गया. विदेशी मुद्रा कारोबारियों के अनुसार हालांकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने रुपये की कमजोरी को थामने में मदद की.
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रुपये का निचला स्तर
5 जुलाई - 79.37/$
1 जुलाई - 79.12/$
28 जून - 78.57/$
22 जून - 78.39/$
13 June -78.29/$
10 जून - 77.85/$
रुपए में कमजोरी की वजह
डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी की कई वजह हैं. डॉलर इंडेक्स 20 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. डॉलर इंडेक्स 107 के पार निकल गया है. एक साल में डॉलर इंडेक्स में 16.3% की मजबूती आई है. डॉलर इंडेक्स में मजबूती से सभी करेंसी धड़ाम हुए है. अधिकतर करेंसीज महीने भर में 2-13% गिरी है.
इसके अलावा, फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (FIIs) की ओर से निकासी भी एक बड़ी वजह है. विदेशी निवेशकों ने बाजार से 2.88 लाख करोड़ रुपये की निकासी की है. वहीं, ग्लोबल आर्थिक मंदी गहराने और महंगाई की बढ़ती चिंता से रुपया कमजोर हुआ है.
कच्चे तेल की कीमतों में तेजी, अप्रैल 2019 के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर
बिजनेस डेस्कः कच्चे तेल की कीमतों में उबाल जारी है। ब्रेंट अप्रैल, 2019 के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर है। मंगलवार को ब्रेंट के भाव आज 75 डॉलर के ऊपर निकल गए जो 26 महीने का ऊपरी स्तर है। इस साल WTI क्रूड में 50 फीसदी की तेजी आई है। बेहतर डिमांड आउटलुक से क्रूड में जोश आया है। ईरान के साथ न्यूक्लीयर डील पर बातचीत बेनतीजा रहा है। US में गेसोलीन 3 साल के ऊपरी स्तर पर नजर आरहा है। BoA ML ने कहा कि 2022 में ब्रेंट 100 डॉलर तक जा सकता है।
सोमवार को कच्चा तेल की कीमत 31 रुपए की तेजी के साथ 5,320 रुपए प्रति बैरल थी। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में कच्चा तेल के जुलाई डिलीवरी वाले अनुबंध की कीमत 31 रुपए अथवा 0.59 प्रतिशत की तेजी के साथ 5,320 रुपए प्रति बैरल हो गई जिसमें 7,932 लॉट के लिए कारोबार हुआ।
बाजार विश्लेषकों ने कहा कि मजबूत हाजिर मांग के कारण कारोबारियों द्वारा अपने सौदों का आकार बढ़ाने से वायदा कारोबार में कच्चा तेल कीमतों में तेजी आई। वैश्विक स्तर पर, न्यूयॉर्क में वेस्ट टैक्सास इंटरमीडिएट कच्चे तेल का दाम 0.40 प्रतिशत की तेजी के साथ 71.93 डालर प्रति बैरल हो गया। जबकि, वैश्विक मानक माने जाने वाले ब्रेंट क्रूड का दाम 0.33 प्रतिशत बढ़कर 73.75 डॉलर प्रति बैरल हो गया।
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Asset Allocation: लंबी अवधि में बाजार में बनेगा पैसा, नहीं लेना चाहते हैं रिस्क? एसेट अलोकेशन है बेहतर स्ट्रैटेजी
Asset Allocation: एक्सपर्ट का मानना है कि मौजूदा समय में अस्थिरता के चलते बाजार में कुछ और गिरावट आ सकती है, लेकिन लंबी अवधि में बाजार का आउटलुक मजबूत है.
महंगाई, जियोपॉलिटिकल टेंशन, रेट हाइक और मंदी की आशंका जैसे फैक्टर ने बाजार में अस्थिरता बढ़ाई है.
Equity Market Investment: इस साल घरेलू शेयर बाजार में उतार चढ़ाव रहा है. महंगाई, जियोपॉलिटिकल टेंशन, रेट हाइक और मंदी की आशंका जैसे फैक्टर ने बाजार में अस्थिरता बढ़ाई है. हालांकि भारतीय बाजारों ने पियर्स की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है. बाजार में घरेलू निवेशकों का भरोसा कायम रहा है. एक ओर जहां एफआईआई द्वारा लगातार बिकवाली की गई, घरेलू निवेशकों ने बाजार में पैसे लगाए हैं. एक्सपर्ट का मानना है कि मौजूदा समय में अस्थिरता के चलते बाजार में कुछ और गिरावट आ सकती है, लेकिन लंबी अवधि में बाजार का आउटलुक मजबूत है.
एसेट अलोकेशन स्ट्रैटेजी
PGIM इंडिया म्यूचुअल फंड के इक्विटी हेड, अनिरुद्ध नाहा का कहना है कि बाजार में अभी अनिश्चितता कायम है, जिससे अभी कुछ और गिरावट आ सकती है. लेकिेन लंबी अवधि में बाजार का आउटलुक बेहतर नजर आ रहा है. अभी निवेशकों के पास सही निवेश चुनकर लंबी अवधि में पैसा बनाने का अच्छा मौका है. उनका कहना है कि रिस्क नहीं लेना चाहते हैं तो बैलेंस्ड एडवांटेज फंड का रुख कर सकते हैं; यहां एसेट अलोकेशन स्ट्रैटेजी का फायदा मिलेगा.
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बाजार का आउटलुक मजबूत
अनिरुद्ध नाहा का कहना है कि भारतीय बाजार बेहतर प्रदर्शन करने वाले बाजारों में शामिल हैं और अभी भी अन्य उभरते बाजारों के मुकाबले बेहतर प्रीमियम पर ट्रेड कर रहे हैं. घरेलू स्तर पर अब इक्विटी में निवेश बढ़ रहा है. पिछले दिनों एफआईआई की बिकवाली को घरेलू निवेशकों ने काफी हद तक संभाला है. लंबी अवधि में पैसा बनाने के लिए इक्विटी में आवंटन बढ़ाने के लिए यह एक अच्छा समय हो सकता है.
बैलेंस्ड एडवांटेज फंड क्यों बेहतर
बैलेंस्ड एडवांटेज फंड (बीएएफ) की खासियत है कि ये एक्टिव एसेट अलोकेशन, बेहतर रिस्क-एडजस्टेड रिटर्न और कुशल टैक्सेशन पर निवेशकों के साथ तालमेल बिठाते हैं. बीएएफ कम भाव पर खरीदने और ज्यादा पर बेचने की स्ट्रैटेजी पर काम करते हैं. बीएएफ लंबी अवधि में एक एग्रेसिव हाइब्रिड फंड कैटेगरी की तुलना में कम अस्थिरता, बेहतर टैक्सेशन और एक कंजर्वेटिव हाइब्रिड कटेगिरि की तुलना में आमतौर पर हाई रिटर्न प्रोफाइल ऑफर करते हैं. इनकी खासियत है कि यह एक रणनीति के रूप में एक निवेशक के लिए इक्विटी टैक्सेशन के लाभ के साथ एक्टिव अलोकेशन की जरूरत को हल करते हैं.
फंड की खासियत
पीजीआईएम इंडिया बैलेंस्ड एडवांटेज फंड लंबी अवधि में इक्विटी बाजार में भाग लेने और निवेशकों के लिए रिस्क-एडजस्टेड रिटर्न देने का एक स्मार्ट तरीका प्रोवाइड करता है. यह फंड डायनमिक वेरिएशन बेस्ड मॉडल के साथ पी/ई रेश्यो के एक फंडामेंटल इंडिकेटर पर काम करता है. यह मॉडल अस्थिरता से निपटने और एक हद तक जोखिम को कम करने में मदद करता है.
मार्केट की गिरावट का असर कम
जब मार्केट का वैल्युएशन उच्च स्तर पर होता है, तो फंड आमतौर पर अपने इक्विटी एक्सपोजर के एक हिस्से को हेज करता है और अपनी डेट होल्डिंग्स को भी बढ़ाता है. इससे मार्केट में गिरावट का असर कम होता है. जब मार्केट का वैल्युएशन कम होता है तो फंड इक्विटी में एग्रेसिव तरीके से निवेश करता है. यह फंड लार्ज, मिड और स्मॉल कैप शेयरों में पैसा लगाता है. वहीं डेट कैटेगरी में यह फंड एनसीडी, सीडी और टी-बिल USD तकनीकी आउटलुक USD तकनीकी आउटलुक में निवेश करता है.
मॉर्गन स्टेनली का अनुमान- सबसे तेजी से दौड़ेगी इंडियन इकोनॉमी
नई दिल्लीः भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है। USD तकनीकी आउटलुक भारत की इकोनॉमी दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ सकती है। यह अनुमान मॉर्गन स्टेनली का है। मॉर्गन स्टेनली के एनालिस्ट्स के अनुसार, 2022-23 में भारत की इकोनॉमी पूरे एशिया में सबसे तेज गति से विकास कर सकती है। मॉर्गन स्टेनली ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी 7 फीसदी औसतन रहने का अनुमान है, जो कि पूरे एशिया की अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक रहने वाला है।
क्या है वजह?
मॉर्गन स्टेनली भारत के आउटलुक को लेकर बेहद पाॅजिटिव हैं। उनकी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था एक दशक से अधिक समय में अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए तैयार है। ऐसा इसलिए क्योंकि रुकी हुई मांग को पूरा किया जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, कमोडिटी की कीमतों में कमी और अर्थव्यवस्था फिर से खुलने से मांग बढ़ रही है, इससे तेजी से आर्थिक रिकवरी हो रही है। मोबिलिटी कोराना के पहले वाले लेवल पर पहुंचा चुका है।
भारत अन्य विकसित देशों की तुलना में बेहतर
हाल ही में वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक द्वारा एक रिपोर्ट जारी की गई थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारती की जीडीपी वित्त वर्ष 2022 में 7.4 और 2023 में 6.1 रहने की उम्मीद है, जो अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं जैसे अमेरिका, यूरो एरिया, जर्मनी, फ्रांस, इटली, स्पेन, जापान व यूनाइटेड किंगडम की तुलना में कहीं बेहतर है। लेटेस्ट वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक ग्रोथ प्रोजेक्शन में भारत 2021 में भारत एक बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरकर सामने आया है। 2021 में बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत की जीडीपी सबसे ऊपर 8.7 रही, जिससे पता चलता है कि भारत की स्थिति अन्य विकसित देशों की तुलना में बेहतर है।
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