अगर डॉलर गिरता है तो मुझे क्या निवेश करना चाहिए

बेशक, डॉलर को युआन के मुकाबले मजबूत करना शुरू करना चाहिए, यह चीन में कारोबार करने वाली कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए एक और एफएक्स हेडविंड बना सकता है। यह संभावित रूप से इन व्यवसायों के लिए राजस्व और आय पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा, संभावित रूप से उन कंपनियों पर और तनाव जोड़ देगा जो इस साल पहले ही एफएक्स हिट देख चुके हैं।
Value Of Indian Rupee: जब गिरीं कई देशों की करेंसी, रूसी रूबल और अमेरिकी डॉलर कैसे हो रहे मजबूत
- नई दिल्ली,
- 20 जुलाई 2022,
- अपडेटेड 11:12 PM IST
आपको पता ही होगा कि भारतीय रुपया 1 डॉलर के मुकाबले 80 से ज्यादा हो गया है, और ऐसा पहली बार हुआ है. आप रुपये के गिरने का अर्थशास्त्र भी सुन और पढ़ रहे होंगे, लेकिन रुपये का गिरना अर्थशास्त्रियों का नहीं बल्कि आम आदमी का विषय है. दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं को यूक्रेन युद्ध की वजह से सबसे बड़ा झटका लगा है. लेकिन समझने की बात ये है कि इस युद्ध से दुनिया के लगभग सभी देशों की करेंसी कमजोर हुई है. इसलिए आसान भाषा में रुपये के गिरने का मतलब समझें.
We very well know about the decreasing value of the Indian Rupee. Everyone today is thinking that why the value of the Indian Rupee is continuously decreasing. To understand this thing in a very easy way, watch this video.
डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत कैसे तय होती है?
किसी भी देश की करेंसी की कीमत अर्थव्यवस्था के बेसिक सिद्धांत, डिमांड और सप्लाई पर आधारित होती है. फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में जिस करेंसी की डिमांड ज्यादा होगी उसकी कीमत भी ज्यादा होगी, जिस करेंसी की डिमांड कम होगी उसकी कीमत भी कम होगी. यह पूरी तरह से ऑटोमेटेड है. सरकारें करेंसी के रेट को सीधे प्रभावित नहीं कर सकती हैं.
करेंसी की कीमत को तय करने का दूसरा एक तरीका भी है. जिसे Pegged Exchange Rate कहते हैं यानी फिक्स्ड एक्सचेंज रेट. जिसमें एक देश की सरकार किसी दूसरे देश के मुकाबले अपने देश की करेंसी की कीमत को फिक्स कर देती है. यह आम तौर पर व्यापार बढ़ाने औैर महंगाई को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है.
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उदाहरण के तौर पर नेपाल ने भारत के साथ फिक्सड पेग एक्सचेंज रेट अपनाया है. इसलिए एक भारतीय रुपये की कीमत नेपाल में 1.6 नेपाली रुपये होती है. नेपाल के अलावा मिडिल ईस्ट के कई देशों ने भी फिक्स्ड एक्सचेंज रेट अपनाया है.
डॉलर दुनिया की सबसे बड़ी करेंसी है. दुनियाभर में सबसे ज्यादा कारोबार डॉलर में ही होता है. हम जो सामान विदेश से मंगवाते हैं उसके बदले हमें डॉलर देना पड़ता है और जब हम बेचते हैं तो हमें डॉलर मिलता है. अभी जो हालात हैं उसमें हम इम्पोर्ट ज्यादा कर रहे हैं और एक्सपोर्ट कम कर रहे हैं. जिसकी वजह अगर डॉलर गिरता है तो मुझे क्या निवेश करना चाहिए से हम ज्यादा डॉलर दूसरे देशों को दे रहे हैं और हमें कम डॉलर मिल रहा है. आसान भाषा में कहें तो दुनिया को हम सामान कम बेच रहे हैं और खरीद ज्यादा रहे हैं.
Rupee: गिरता रुपया भी है बड़े काम का, समझिए आपके लिए अगर डॉलर गिरता है तो मुझे क्या निवेश करना चाहिए कैसे हो सकता है फायदेमंद
रुपये का मजबूत होना और गिरना दो देशों के बीच की बात है. कोई देश सिर्फ अपने स्तर पर न अपनी मुद्रा को मजबूत बना सकता है न कमजोर होने से बचा सकता है. दूसरे देशों का एक छोटा सा बदलाव भी आपकी मुद्रा को कमजोर या मजबूत बना सकता है. वैसे मोटे तौर पर कुछ चीजें ऐसी अगर डॉलर गिरता है तो मुझे क्या निवेश करना चाहिए हैं जो मुद्रा की कमजोरी या मजबूती को प्रमुख रूप से प्रभावित करती हैं. ये हैं मुद्रास्फीति, व्याज दर में बदलाव, सार्वजनिक ऋण, मजबूत आर्थिक प्रदर्शन आदि.
रुपए में बदलाव कैसे आता है?
आपको हम बताते हैं रुपया कमजोर और मजबूत कैसे होता है. रोज सुबह जब बैंक खुलते हैं तो उनके पास बहुत सारे ग्राहक आते हैं. कुछ को विदेश यात्रा पर जाने के लिए डॉलर या कोई और मुद्रा चाहिए होती है तो कुछ को विदेश में पढ़ रहे अपने बच्चों की फीस भरने के लिए. इसी तरह किसी को विदेश में इलाज के लिए, निवेश के लिए या आयात के लिए. सरकारी कंपनियों को पेट्रोलियम, सोना, हथियार आदि खरीदने के लिए विदेशी मुद्रा की जरूरत होती है. उन लोगों को भी विदेशी मुद्रा की जरूरत होती है जिन्होंने शेयर बाजार में निवेश किया हुआ है और कुछ शेयर बेचकर पैसा अपने देश ले जाना चाहते हैं. सरकार या कंपनियों को विदेशों से लिए गए कर्ज को चुकाने के लिए भी विदेशी मुद्रा की जरूरत पड़ती है. अब सवाल ये है कि ये मुद्रा आएगी कहां से ?
Crypto Trading : कैसे करते हैं क्रिप्टोकरेंसी में निवेश और कैसे होती है इसकी ट्रेडिंग, समझिए
Cryptocurrency Trading : क्रिप्टोकरेंसी में निवेश को लेकर है बहुत से भ्रम. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) एन्क्रिप्शन के जरिए सुरक्षित रहने वाली एक डिजिटल करेंसी है. माइनिंग के जरिए नई करेंसी या टोकन जेनरेट किए जाते हैं. माइनिंग का मतलब उत्कृष्ट कंप्यूटरों पर जटिल गणितीय समीकरणों को हल करने से है. इस प्रक्रिया को माइनिंग कहते हैं और इसी तरह नए क्रिप्टो कॉइन जेनरेट होते हैं. लेकिन जो निवेशक अगर डॉलर गिरता है तो मुझे क्या निवेश करना चाहिए होते हैं, वो पहले से मौजूद कॉइन्स में ही ट्रेडिंग कर सकते हैं. क्रिप्टो मार्केट में उतार-चढ़ाव का कोई हिसाब नहीं रहता है. मार्केट अचानक उठता है, अचानक गिरता है, इससे अगर डॉलर गिरता है तो मुझे क्या निवेश करना चाहिए बहुत से लोग लखपति बन चुके हैं, लेकिन बहुतों ने अपना पैसा भी उतनी ही तेजी से डुबोया है.
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अगर आपको क्रिप्टो ट्रेडिंग को लेकर कुछ कंफ्यूजन है कि आखिर यह कैसे काम करता है, तो आप अकेले नहीं हैं. बहुत से लोग यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि वर्चुअल करेंसी में कैसे निवेश करें. हम इस एक्सप्लेनर में यही एक्सप्लेन करने की कोशिश कर रहे हैं कि आप क्रिप्टोकरेंसी में कैसे निवेश कर सकते हैं, और क्या आपको निवेश करना चाहिए.
क्रिप्टोकरेंसी क्या है, ये समझने के लिए समझिए कि यह क्या नहीं है. यह हमारा ट्रेडिशनल, सरकारी करेंसी नहीं है, लेकिन इसे लेकर स्वीकार्यता बढ़ रही है. ट्रेडिशनल करेंसी एक सेंट्रलाइज्ड डिस्टिब्यूशन यानी एक बिंदु से वितरित होने वाले सिस्टम पर काम करती है, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी को डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नॉलजी, ब्लॉकचेन, के जरिए मेंटेन किया जाता है. इससे इस सिस्टम में काफी पारदर्शिता रहती है, लेकिन एन्क्रिप्शन के चलते एनॉनिमिटी रहती है यानी कि कुछ चीजें गुप्त रहती हैं. क्रिप्टो के समर्थकों का कहना है कि यह वर्चुअल करेंसी निवेशकों को यह ताकत देती है कि आपस में डील करें, न कि ट्रेडिशनल करेंसी की तरह नियमन संस्थाओं के तहत.
क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग कैसे होती है?
इसके लिए आपको पहले ये जानना होगा कि यह बनता कैसे है. क्रिप्टो जेनरेट करने की प्रक्रिया को माइनिंग कहते हैं. और ये काम बहुत ही उत्कृष्ट कंप्यूटर्स में जटिल क्रिप्टोग्राफिक इक्वेशन्स यानी समीकरणों को हल करके किया जाता है. इसके बदले में यूजर को रिवॉर्ड के रूप में कॉइन मिलती है. इसके बाद इसे उस कॉइन के एक्सचेंज पर बेचा जाता है.
कौन कर सकता है ट्रेडिंग?
ऐसे लोग जो कंप्यूटर या टेक सैवी नहीं हैं, वो कैसे क्रिप्टो निवेश की दुनिया में प्रवेश कर सकते हैं? ऐसा जरूरी नहीं है कि हर निवेशक क्रिप्टो माइनिंग करता है. अधिकतर निवेशक बाजार में पहले से मौजूद कॉइन्स या टोकन्स में ट्रेडिंग करते हैं. क्रिप्टो इन्वेस्टर बनने के लिए माइनर बनना जरूरी नहीं है. आप असली पैसों से एक्सचेंज पर मौजूद हजारों कॉइन्स और टोकन्स में से कोई भी खरीद सकते हैं. भारत में ऐसे बहुत सारे एक्सचेंज हैं तो कम फीस या कमीशन में ये सुविधा देते हैं. लेकिन यह जानना जरूरी है कि क्रिप्टो में निवेश जोखिम भरा है और मार्केट कभी-कभी जबरदस्त उतार-चढ़ाव देखता है. इसलिए फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स निवेशकों से एक ही बार में बाजार में पूरी तरह घुसने की बजाय रिस्क को झेलने की क्षमता रखने की सलाह देते हैं.
यह समझना भी जरूरी है कि सिक्योर इन्वेस्टमेंट, सेफ इन्वेस्टमेंट नहीं होता है. यानी कि आपका निवेश ब्लॉकचेन में तो सुरक्षित रहेगा लेकिन बाजार में उतार-चढ़ाव का असर इसपर होगा ही होगा, इसलिए निवेशकों को पैसा लगाने से पहले जरूरी रिसर्च करना चाहिए.
अमेरिकी डॉलर ने अभी अपना अगला शिकार पाया है
अमेरिकी डॉलर सूचकांक फिर से आगे बढ़ रहा है और अपने हाल के उच्च स्तर पर जाने के करीब पहुंच रहा है। ऐसा लगता है कि डॉलर को मजबूत करने के लिए एक नई मुद्रा मिल गई है, और इस बार यह चीनी युआन के मुकाबले है।
2022 में डॉलर की अधिकांश मजबूती यूरो और येन के मुकाबले आई है। यूरो बनाम डॉलर का गिरता मूल्य कमजोर यूरोपीय अर्थव्यवस्था और एक यूरोपीय सेंट्रल बैंक के कारण है जो अधिक आक्रामक फेडरल रिजर्व से पिछड़ गया है। इस बीच, बैंक ऑफ जापान की दरों को कम रखने की प्रतिज्ञा ने डॉलर को येन के मुकाबले रैली करने की अनुमति दी है।
चीनी अर्थव्यवस्था के लड़खड़ाने, प्रोत्साहन के नए दौर और यहां तक कि दरों में कटौती के साथ, डॉलर युआन के मुकाबले अधिक बढ़ गया है। अप्रैल और मई के बीच युआन के मुकाबले डॉलर में मजबूती आई है, लगभग 6.35 से बढ़कर लगभग 6.75 हो गया लेकिन रुक गया।