बाइनरी ऑप्शन टिप्स

ट्रेडिंग और निवेश का क्या मतलब है

ट्रेडिंग और निवेश का क्या मतलब है
Trading Tips: बाजार की मौजूदा उतार-चढ़ाव के बीच ट्रेडर्स को मॉनीटरी रूझान पर निगाह बनाए रखना चाहिए ताकि अपने पैसों को डूबने से बचा सकें. (Image- Pixabay)

निवेश बनाम अटकलें (सट्टेबाज़ी): प्रमुख अंतर

लोग अक्सर खुद से सवाल पूछते हैं: मैं वित्तीय बाजार में कैसे सही तरीके से ट्रेड कर सकता हूँ? क्या लंबी अवधि के लिए क्रॉस-करेंसी जोड़े, शेयर या ETF खरीदना उचित होगा, या क्या यह उन्हें केवल कुछ घंटों के लिए रखकर ट्रेडिंग और निवेश का क्या मतलब है बेच देना पर्याप्त होगा? हम अगले लेख में इस प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

क्या कार किराए पर लेना बेहतर है या एकमुश्त खरीदना?

एक ऐसी स्थिति की कल्पना करें जहां आप दूसरे शहर जा रहे हैं। आपने एक नया घर खरीदा, अपना सामान स्थानांतरित किया, लेकिन अब एक समस्या आन पड़ी है। काम पर कैसे जाएंगे। कार्यालय घर से काफी दूर है, और सार्वजनिक परिवहन की पहुँच वहाँ नहीं है।

इसके अलावा, आप को ट्रेडिंग और निवेश का क्या मतलब है यात्रा करना पसंद है, लेकिन आप विमानों से यात्रा करना नहीं चाहते हैं। आपके पास दो विकल्प हैं: आप काम और यात्रा के लिए एक कार खरीद सकते हैं, या आप हर दिन किराए पर कार ले सकते हैं। आपको इस बात से सहमत होना होगा कि दोनों विकल्पों के अपने फायदे और नुकसान हैं।

यदि आप अपनी खुद की कार खरीदते हैं तो:

  1. यह महंगी है।
  2. आप को मरम्मत और बीमा शुल्क देने होंगे।
  3. यह भी संभव है कि आप कार से असंतुष्ट हो जाएं और उसे बेच दें, और बिक्री की कीमत आपके द्वारा खरीदी गई कीमत से कम होगी।

दूसरी ओर, आप अपनी कार की देखभाल करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि यह कभी बिगड़े ना। इसके अलावा, यह कई सालों तक चल सकती है और यहां तक ​​कि यदि यह एक अच्छी कार है तो यह आपके बच्चों को भी विरासत में मिल सकती है।

यदि आप कार किराए पर लेते हैं तो:

  1. आपको कार की सवारी के लिए हर दिन भुगतान करना होगा, और लंबी अवधि के बाद, यह आपको अपनी कार खरीदने से अधिक पैसे खर्च कराएगा।
  2. उदाहरण के लिए, यदि आप को समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है यदि, आप दुर्घटना में पड़ जाते हैं, या आपकी गलती के कारण कार खराब हो जाती है।

हालांकि, अगर आपको कार पसंद नहीं आती है, तो आप इसे किसी भी समय व्यावहारिक रूप से वही शुल्क पर बदल सकते हैं।

निवेश क्या है?

निवेश करना और सट्टा लगाना (स्पेक्युलेट करना) काम और यात्रा के लिए कार चुनने जैसा है। निवेश मुख्य रूप से एक लंबी अवधि की प्रतिबद्धता है, ठीक उसी तरह जैसे अपनी खुद की कार खरीदना। इस प्रकार के निवेश के लिए अपेक्षाकृत बड़ी राशि की आवश्यकता होती है।

आपको एक उदाहरण देने के लिए, यदि आप शेयरों में अपना पैसा निवेश करने का निर्णय लेते हैं, तो Apple की कीमत वर्तमान में $133 प्रति शेयर, Amazon $3,400 और Tesla $680 है। निश्चित रूप से, आप एक कंपनी का एकल स्टॉक खरीद सकते हैं, लेकिन तब आप द्वारा पैसे कमा नहीं पाने (अपनी कार से दुर्घटना होने) की जोखिम काफी बढ़ जाती है।

इन जोखिमों को न्यून करने के लिए, आपको एक पोर्टफोलियो बनाने की आवश्यकता होगी जिसमें तथाकथित सुरक्षित स्टॉक सहित विभिन्न स्टॉक शामिल हैं, जिसका अर्थ है कंपनियों के स्टॉक या एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) जो बाजार में गिरावट आने पर बढ़ते हैं। यह कार बीमा खरीदने जैसा है।

कल्पना कीजिए कि आप अपनी निजी कार से छुट्टियों में जाने की योजना बना रहे हैं। सड़क पर उतरने से पहले, आपको अपनी कार, तेल का स्तर, टायर के दबाव आदि की जांच करनी पड़ेगी। इसलिए, आपको अपनी कार के बारे में कम से कम थोड़ी जानकारी तो होनी ही चाहिए, ताकि यात्रा सुखद रहे। इसी तरह, निवेश करते समय, आपको यह समझना होगा कि आप जिस कंपनी में निवेश कर रहे हैं, वह कैसे कार्य कर रही है और भविष्य में मूल्य गतिविधियों से क्या अनुमान लगाया जाए।

इस प्रकार के विश्लेषण को मूलभूत (फंडामेंटल) विश्लेषण कहा जाता है, और इसका उद्देश्य दीर्घकालिक मूल्य प्रवृत्ति की भविष्यवाणी करना है। मूलभूत विश्लेषण सीखना आपकी कार के साथ क्या हो रहा है यह समझने जैसा ही है। इस मामले में, अप्रत्याशित रूप से खराब होने की जोखिम बहुत न्यून हो जाती है।

इसलिए, जैसे आपको नियमित रूप से अपनी कार की देखभाल करनी होगी और इसे मरम्मत के लिए ले जाना होगा ताकि यह अप्रत्याशित रूप से खराब न हो, आपको भी हर समय अपने पोर्टफोलियो का ध्यान रखना होगा। इसका मतलब यह है कि आप को, एक निवेशक के रूप में, नियमित रूप से अपने निवेश की निगरानी करनी होगी और यदि आवश्यक हो, तो पोर्टफोलियो में कुछ स्टॉक को जोड़ने या इसके विपरीत, कुछ को निकालने होंगे।

एक विश्वसनीय कार की तरह जिसकी नियमित रूप से देखभाल की गई हो, एक स्टॉक पोर्टफोलियो कई वर्षों तक चल सकता है, जिससे निवेशक को एक स्थिर आय प्राप्त होती रहती है। उदाहरण के लिए, पिछले पांच वर्षों में, Apple के स्टॉक 376%, Amazon के स्टॉक 940% और Tesla के स्टॉक लगभग 1500% बढ़ा है।

आपके बच्चे और पोते-पोतियां भी एक उपयुक्त ढंग से संकलित पोर्टफोलियो विरासत में हासिल कर सकते हैं।

सट्टेबाज़ी (स्पेक्युलेशन) क्या है?

जहां तक ​​सट्टेबाज़ी की बात है, यह कार किराए पर लेने जैसा ही है। सबसे पहले, आपको सट्टा लगाने के लिए बहुत अधिक धन की आवश्यकता नहीं होती है। ट्रेड करने के लिए, आप अपने ब्रोकर द्वारा उपलब्ध कराए गए फंड का उपयोग लीवरेज या गुणक के रूप में कर सकते हैं।

उदाहरण के लिए, X500 का गुणक ट्रेड राशि को 500 गुना बढ़ा देता है, जिसका अर्थ है कि यदि आप अपने स्वयं के फंड के केवल 10 डॉलर के साथ ट्रेड खोलते हैं, तो आप $5,000 तक का ट्रेड कर सकते हैं। दूसरी ओर, कार किराए पर लेने की तरह, आपको कमीशन के रूप में नियमित किराया देना होगा। बार-बार ट्रेडिंग करने के चलते, लंबी अवधि में, कमीशन पर्याप्त मात्रा में हो सकता है।

आप द्वारा किराये की कार में लंबी यात्रा करने की संभावना बहुत न्यून है। हालाँकि, आपको शायद तेल के स्तर और ईंधन के बारे में सोचने की ज़रूरत नहीं होगी। आप रास्ते और बिंदु ए से बी तक पहुंचने की सबसे कम दूरी के बारे में सोच रहे होंगे। इसी तरह, सट्टा (स्पेक्युलेट) ट्रेडिंग और निवेश का क्या मतलब है लगाते समय, आपको कारोबार में क्या हो रहा है या, उदाहरण के लिए, देश की अर्थव्यवस्था जिसकी मुद्रा आप खरीद या बेच रहे हैं, के बारे में समझने की ज़रूरत नहीं है।

आपको केवल थोड़े समय के लिए मूल्य गतिविधि की भविष्यवाणी करनी होगी। इसके लिए आप एक अन्य प्रकार के विश्लेषण का उपयोग कर सकते हैं जिसे तकनीकी विश्लेषण कहा जाता है। इस प्रकार का विश्लेषण चार्ट और मूल्य गतिविधि का ही मूल्यांकन करता है। तकनीकी विश्लेषण विभिन्न परिसंपत्तियों या वित्तीय साधनों के लिए भविष्य की मूल्य गतिविधि और बर्ताव का काफी सफलतापूर्वक अनुमान लगा सकता है।

निवेश के विपरीत, जहां आपको लाभ कमाने के लिए अक्सर काफी समय तक इंतजार करना पड़ता है, सट्टा आपको काफी कम समय में लाभ दिलाता है, और ट्रेडर को अक्सर परवाह नहीं होता है कि कीमत कहाँ जाएगी – ऊपर या नीचे। केवल गतिविधि की अल्पकालिक दिशा की भविष्यवाणी करना ही महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, Apple के शेयरों पर एक नज़र डालें। यदि आप एक अटकलबाज़ी (स्पेक्युलेटिव) दृष्टिकोण अपनाते हैं, तो आप ऊपर और नीचे दोनों में ट्रेड करके अपनी आय में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकते हैं।

एक कार किराए पर लेने के समान, जहां आप इसे दूसरे से जल्दी से बदल सकते हैं, एक ट्रेडर कुछ परिसम्पत्तियों के ट्रेडिंग से दूसरों में स्विच कर सकता है। इस मामले में, नियमित रूप से पोर्टफोलियो की देखभाल करने की कोई आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि इस प्रकार का पोर्टफोलियो अक्सर मौजूद नहीं होता है या समायोजित किया जा सकता है। निसंदेह, इस पद्दति के साथ, ट्रेडों की संख्या के कारण जोखिम काफी बढ़ जाती हैं।

निष्कर्ष

प्रश्न यह है कि क्या चुनेंगे – ट्रेडिंग के लिए एक निवेश या सट्टा (स्पेक्युलेटिव) दृष्टिकोण? सच्चाई, हमेशा की तरह, बीच में है। यात्रा करने के लिए, आपकी अपनी कार होना बेहतर है, लेकिन साथ ही, कभी-कभार यात्राओं के लिए किराये की कार उपयोग को कोई भी मना नहीं करता है।

आप अपने निवेश पोर्टफोलियो में दो पद्धतियों को आसानी से जोड़ सकते हैं, जिससे आपको लंबी अवधि में लाभ होगा। वहीं, आपके पैसों के एक हिस्से को सट्टे (स्पेकुलेशन) में लगा सकते हैं, जिससे आप बाजार के अल्पकालिक उतार-चढ़ाव से आय अर्जित कर सकते हैं।

ट्रेडिंग का मतलब क्या होता है जानिए अगर कमाना है लाखों रूपये

शेयर बाजार में ट्रेडिंग का मतलब क्या होता है ? इसे जानना आपके लिए जरूरी है यदि आप शेयर मार्केट से रेगुलर पैसा बनाना चाहते हैं। बहुत से लोगों का सवाल रहता है कि, क्या हम शेयर बाजार से रेगुलर इनकम कर सकते हैं जिससे हमारे घर का खर्चा चल सके?

तो हमेशा मेरा जबाव यही रहता है कि यदि आपको घर का खर्चा चलाने की जरूरत रहती है तो आपको इससे दूर रहना चाहिए।

स्पष्ट तरीके से कहें तो इसे आप इनकम का स्रोत तब तक नहीं बना सकते, जब तक आप इसमें करोड़ों रुपये निवेश न कर दें।

और यदि आपके पास इतना पैसा है, कि दैनिक खर्चों के बारे में नहीं सोंचना पड़ता है। तब आप उन पैसों को और बढ़ाने के लिए आप शेयर बाजार में ट्रेडिंग और निवेश कर सकते हैं।

ट्रेडिंग कैसे किया जा सकता है इसे समझने के लिए आपका पहला कदम यह होना चाहिए कि, आप ट्रेडिंग को समझें और बेसिक जानें कि, ट्रेडिंग का मतलब क्या होता है एवं शुरुआत में किन बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है जिसमें ट्रेडिंग की शुरुआत में नुकसान न उठाना पड़े।

ट्रेडिंग का मतलब क्या होता है

ट्रेडिंग का मतलब क्या होता है ?

ट्रेडिंग का मतलब होता है किसी कंपनी का स्टॉक खरीद कर उसे बेंच देना।

ट्रेडिंग दो तरीके से किया जा सकता है

1 – डे ट्रेडिंग
2 – स्विंग ट्रेडिंग

डे ट्रेडिंग

यदि आप कोई शेयर खरीद कर उसी दिन बेंच देते हैं तो वह डे ट्रेडिंग कहलाती है।

स्विंग ट्रेडिंग

यदि आप कोई शेयर खरीदकर उस दिन न बेचें उसके अगले दिन या बाद में बेचें तो यह स्विंग ट्रेडिंग कहलाता है।

किसी एक बिजनेस में हम कोई प्रोडक्ट खरीदते हैं और उस पर थोड़ा सा प्रॉफिट लेकर उसे मँहगें में बेच देते हैं। हमारी दुनिया में इसे ट्रेडिंग कहा जाता है।

लेकिन शेयर बाजार की दुनिया थोड़ी सी अलग है।

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग का मतलब क्या होता है और यह साधारण बाजार से कैसे अलग है, इसे समझते हैं।

1 – शेयर बाजार में आप खरीदते तो अपनी मर्जी से हैं किन्तु बेंचने के लिए एक समय निर्धारित होता है। यदि आप इंट्रा डे ट्रेडिंग कर रहे हैं तो अगर आपने बाजार बंद होने से पहले अपने शेयर ट्रेडिंग और निवेश का क्या मतलब है नहीं बेचें तो वह अपने आप बिक जाता है। चाहे आपका फायदा हो रहा हो या नुकसान।

अधिक जानें : स्पर्ट म्यूचुअल फंड का भविष्य कैसा देखते हैं

लेकिन यदि आप स्विंग ट्रेडिंग करते हैं तो उसमें समय का बंधन नहीं होता है।

2 – आम दुनिया में हम प्रोडक्ट को खरीद कर उसे बेंचते हैं जबकि शेयर बाजार में हम प्रोडक्ट नहीं बल्कि वैल्यू खरीद कर उसे बेंचते हैं।

3 – शेयर बाजार की ट्रेडिंग के लिए आपके पास डी-मैट एकाउंट होना चाहिए एवं बिना ब्रोकर के इसमें ट्रेडिंग नहीं कर सकते हैं जबकि आम दुनिया में ट्रेडिंग आप सीधे तौर पर कर सकते हैं।

Trading Tips: ट्रेडिंग करते समय इन पांच बातों का रखें ख्याल, नहीं डूबेगा शेयर मार्केट में पैसा

Trading Tips: किसी भी तरीके से आप फैसले लें, ट्रेडिंग करते समय कुछ चीजों का आपको हमेशा ख्याल रखना चाहिए.

Trading Tips: ट्रेडिंग करते समय इन पांच बातों का रखें ख्याल, नहीं डूबेगा शेयर मार्केट में पैसा

Trading Tips: बाजार की मौजूदा उतार-चढ़ाव के बीच ट्रेडर्स को मॉनीटरी रूझान पर निगाह बनाए रखना चाहिए ताकि अपने पैसों को डूबने से बचा सकें. (Image- Pixabay)

Trading Tips: बाजार की मौजूदा उतार-चढ़ाव के बीच ट्रेडर्स को मॉनीटरी रूझान पर निगाह बनाए रखना चाहिए ताकि अपने पैसों को डूबने से बचा सकें. चाहे आप मार्केट में ट्रेड करें या इंवेस्टमेंट, बाजार की इस उतार-चढ़ाव के बीच बेहतर फैसला लेना होता है ताकि रिस्क को घटा सकें और अपने रिटर्न को बढ़ा सकें. हालांकि किसी भी तरीके से आप फैसले लें, ट्रेडिंग करते समय कुछ चीजों का आपको हमेशा ख्याल रखना चाहिए.

अफोर्डेबल रिल्क

अगर सब कुछ आपकी रणनीति के मुताबिक ही रहा तो शेयरों की ट्रेडिंग से आप शानदार मुनाफा कमा सकते हैं लेकिन शेयर मार्केट में उतना ही रिस्क लेना चाहिए जितनी आपकी क्षमता हो. रिस्क का मतलब है कि आप कितनी पूंजी गंवाने की क्षमता रखते हैं. कभी भी ऐसे पैसे को निवेश करें जिसे आप गंवाना नहीं अफोर्ड कर सकते हैं. कोशिश करें कि शेयर मार्केट में ट्रेडि्ंग पिरामिड अप्रोच के साथ करें. रिस्क पिरामिड का मतलब है कि रिस्क के हिसाब से अपनी पूंजी को बांटकर ट्रेडिंग करना.

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‘स्टॉप लॉस’ और ‘टेक प्रॉफिट’ के साथ करें ट्रे़डिंग

ट्रेडिंग के दौरान भाव में उतार-चढ़ाव को लगातार ट्रैक करना लगभग असंभव है. चूकने पर भारी नुकसान भी हो सकता है और बंपर मुनाफा भी. हालांकि रिस्क मैनेज करने के लिए जरूरी है कि आप स्टॉप लॉस का इस्तेमाल करें और बाजार की विपरीत परिस्थितियों में अपने प्रॉफिट को सुरक्षित करें. स्टॉप लॉस का मतलब सौदा शुरू करने से पहले ऐसा प्राइस लेवल तय करना है जिसके नीचे आप रिस्क नहीं लेना चाहते हैं. वहीं दूसरी तरफ टेक प्रॉफिट एक लिमिट ऑर्डर है जिसका इस्तेमाल एक खास भाव पहुंचने पर मुनाफा कमाने के लिए किया जाता है.

तकनीकी का करें इस्तेमाल

ट्रेडिंग में संभवतः टाइम फैक्टर सबसे महत्वपूर्ण टूल है. बाजार को लेकर सटीक अनुमान से आप बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं. काफी समय पहले फॉरेक्स ट्रेडर्स को स्टॉक एक्सचेंज ऑफिसों से फॉरेक्स मार्केट के उतार-चढ़ाव की जानकारी लेनी होती थी लेकिन अब तकनीक का जमाना आ गया है जिससे ट्रेडर्स को रीयल टाइम में मार्केट डेटा मिल जाता है.

अपना रिसर्च करें

शेयरों की खरीद-बिक्री से पहले रिसर्च जरूर करना चाहिए. इससे आपको यह तय करने में आसानी होगी कि किस भाव पर आपको अपनी पोजिशन को स्क्वॉयर ऑफ करना है. शेयर मार्केट से पैसे बनाने के लिए हमेशा किस्मत ही नहीं, एनालिसिस भी बहुत महत्पूर्ण भूमिका निभाती है. बाजार के रूझानों की बजाय स्पष्ट संकेत मिलने पर ही ट्रेडिंग करें. फंडामेंटल रूप से मजबूत कंपनी में निवेश कपना बेहतर फैसला है.

स्ट्रेटजी के साथ करें ट्रेडिंग

अगर आप शेयरों की खरीद-बिक्री यानी ट्रेडिंग करते हैं तो आपको एक स्ट्रेटजी के साथ मार्केट में प्रवेश करना चाहिए. इससे आपको यह स्पष्ट रूप से पता रहेगा कि आप किस तरह से ट्रेड करना चाहिए. जब आप स्ट्रेटजी के हिसाब से चलेंगे तो न सिर्फ आपका समय बचेगा बल्कि आप बड़े स्तर पर चीजों को देख-समझ सकेंगे जो समय, इकनॉमिक ट्रेंड और मार्केट एक्सपेक्ट्स के हिसाब से बदलती रहती हैं.
(Article: Marc Despallieres, Chief Strategy & Trading Officer at Vantage)ट्रेडिंग और निवेश का क्या मतलब है

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ट्रेडिंग का मतलब क्या होता है जानिए अगर कमाना है लाखों रूपये

शेयर बाजार में ट्रेडिंग का मतलब क्या होता है ? इसे जानना आपके लिए जरूरी है यदि आप शेयर मार्केट से रेगुलर पैसा बनाना चाहते हैं। बहुत से लोगों का सवाल रहता है कि, क्या हम शेयर बाजार से रेगुलर इनकम कर सकते हैं जिससे हमारे घर का खर्चा चल सके?

तो हमेशा मेरा जबाव यही रहता है कि यदि ट्रेडिंग और निवेश का क्या मतलब है आपको घर का खर्चा चलाने की जरूरत रहती है तो आपको इससे दूर रहना चाहिए।

स्पष्ट तरीके से कहें तो इसे आप इनकम का स्रोत तब तक नहीं बना सकते, जब तक आप इसमें करोड़ों रुपये निवेश न कर दें।

और यदि आपके पास इतना पैसा है, कि दैनिक खर्चों के बारे में नहीं सोंचना पड़ता है। तब आप उन पैसों को और बढ़ाने के लिए आप शेयर बाजार में ट्रेडिंग और निवेश कर सकते हैं।

ट्रेडिंग कैसे किया जा सकता है इसे समझने के लिए आपका पहला कदम यह होना चाहिए कि, आप ट्रेडिंग को समझें और बेसिक जानें कि, ट्रेडिंग का मतलब क्या होता है एवं शुरुआत में किन बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है जिसमें ट्रेडिंग की शुरुआत में नुकसान न उठाना पड़े।

ट्रेडिंग का मतलब क्या होता है

ट्रेडिंग का मतलब क्या होता है ?

ट्रेडिंग का मतलब होता है किसी कंपनी का स्टॉक खरीद कर उसे बेंच देना।

ट्रेडिंग दो तरीके से किया जा सकता है

1 – डे ट्रेडिंग
2 – स्विंग ट्रेडिंग

डे ट्रेडिंग

यदि आप कोई शेयर खरीद कर उसी दिन बेंच देते हैं तो वह डे ट्रेडिंग कहलाती है।

स्विंग ट्रेडिंग

यदि आप कोई शेयर खरीदकर उस दिन न बेचें उसके अगले दिन या बाद में बेचें तो यह स्विंग ट्रेडिंग कहलाता है।

किसी एक बिजनेस में हम कोई प्रोडक्ट खरीदते हैं और उस पर थोड़ा सा प्रॉफिट लेकर उसे मँहगें में बेच देते हैं। हमारी दुनिया में इसे ट्रेडिंग कहा जाता है।

लेकिन शेयर बाजार की दुनिया थोड़ी सी अलग है।

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग का मतलब क्या होता है और यह साधारण बाजार से कैसे अलग है, इसे समझते हैं।

1 – शेयर बाजार में आप खरीदते तो अपनी मर्जी से हैं किन्तु बेंचने के लिए एक समय निर्धारित होता है। यदि आप इंट्रा डे ट्रेडिंग कर रहे हैं तो अगर आपने बाजार बंद होने से पहले अपने शेयर नहीं बेचें तो वह अपने आप बिक जाता है। चाहे आपका फायदा हो रहा हो या नुकसान।

अधिक जानें : स्पर्ट म्यूचुअल फंड का भविष्य कैसा देखते हैं

लेकिन यदि आप स्विंग ट्रेडिंग करते हैं तो उसमें समय का बंधन नहीं होता है।

2 – आम दुनिया में हम प्रोडक्ट को खरीद कर उसे बेंचते हैं जबकि शेयर बाजार में हम प्रोडक्ट नहीं बल्कि वैल्यू खरीद कर उसे बेंचते हैं।

3 – शेयर बाजार की ट्रेडिंग के लिए आपके पास डी-मैट एकाउंट होना चाहिए एवं बिना ब्रोकर के इसमें ट्रेडिंग नहीं कर सकते हैं जबकि आम दुनिया में ट्रेडिंग आप सीधे तौर पर कर सकते हैं।

Trading क्या है Trading कितने प्रकार कि होती है?

Trading क्या है? यह प्रश्न ज्यादातर स्टॉक मार्केट में नए लोगों को परेशान करता है। आज कई small retailers स्टॉक मार्केट में है जो trading और investment में अंतर नहीं समझ पाते है। अगर आपको भी ट्रेडिंग शब्द का मतलब नहीं पता है। तो आज कि लेख में हम आपको trading meaning in hindi के बारे में बारीकी से समझाएंगे। इसलिए आज का पोस्ट आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है इसलिए इस अंत तक पढ़े। तो फिर आइए जानते हैं।

Trading क्या है?

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Trading को आसान शब्दों में व्याख्या करें तो हिंदी में इसे " व्यापार " कहा जाता है। यानी कि किसी वस्तु या सेवा का आदान प्रदान करके मुनाफा कमाना।

Stock Market Trading भी इसी तरह होता है। जैसे कि हम किसी वस्तु को खरीद और बिक्री करके मुनाफा कमाते हैं। बिल्कुल वैसे ही स्टॉक मार्केट में वस्तु की जगह कंपनियों के शेयर कि खरीद और बिक्री करके मुनाफा कमाया जाता है। ट्रेडिंग कि समय अवधि 1 साल की होती है। मतलब यह हुआ कि 1 साल के अंदर शेयर को खरीदना और बेचना है। अगर एक साल के बाद शेयर को बेचते हैं तो यह निवेश कहलाता है। यह एक तरह का ऑनलाइन पर आधारित बिजनेस होता है।

उदाहरण के तौर पर अगर हम share market में शेयर खरीद रहे हैं तो हमारे जैसे कोई अन्य व्यक्ति होगा जो उन शेयर को बेच रहा होगा। चलिए इसे अब अपने डेली लाइफ से जोड़ते हैं। मान लीजिए आपने होलसेल स्टोर से कोई सामान ₹50 खरीदा और उसे बाद में ₹60 लगा कर कस्टमर्स को बेच दिया। अगर यह आप रोजाना करते हैं तो इसे ट्रेडिंग कहा जाता है।

बिल्कुल ऐसे ही शेयर बाजार में भी होता है। आप शेयर को खरीदते हैं और 1 साल के अंदर खरीदे हुए शेयर को प्राइस बढ़ने के बाद बेच देते है। तो यह Stock Market Trading कहलाता है।

Trading को काफी रिस्की कहा जाता है क्योंकि इसमें यह कोई नहीं जानता कि कुछ समय बाद शेयर के भाव में क्या मूवमेंट आयेगा। अगर शेयर से जुड़ी न्यूज़ अच्छी आती है तो शेयर के भाव में तेजी दिखाई देगी। वहीं इसका उल्टा करे तो शेयर से जुड़ी न्यूज़ खराब आती है तो शेयर के भाव में मंदी देखने को मिल सकती है।

Stock Market Trading कितने प्रकार के होते हैं?

  1. Scalping Trading
  2. Intraday Trading
  3. Swing Trading
  4. Positional Trading

Scalping Trading क्या है?

Scalping Trading वह trade जो कुछ सेकंड या मिनट के लिए trade किया जाए। यानी मतलब यह हुआ कि वह traders जो केवल कुछ सेकंड या मिनट के लिए शेयर की खरीद और बिक्री करते हैं। ऐसे ट्रेडर्स को scalpers कहा जाता है। बता दू कि scalping trading को सबसे जायदा रिस्की होता है।

Intraday Trading क्या है?

Intraday Trading वह trade जो 1 दिन के लिए trade किया जाए। यानी मतलब यह हुआ कि वह traders जो Market (9:15 am) के खुलने के बाद शेयर खरीद लेते हैं। और मार्केट बंद(3:30 pm) होने से पहले शेयर को बेच देते है। ऐसे ट्रेडर्स को Intraday ट्रेडर्स कहा जाता है। बता दू कि Intraday ट्रेडिंग scalping trading से थोड़ा कम रिस्की होता है। इंट्राडे ट्रेडिंग के बारे में अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए पोस्ट को पढ़े।

Swing Trading क्या है?

Swing Trading वह trade जो कुछ दिनों के लिए शेयर को खरीदते और बेचते ट्रेडिंग और निवेश का क्या मतलब है है। यानी मतलब यह हुआ कि वह traders जो एक दो हफ़्ते के लिए शेयर को खरीदने के बाद बेच देते हैं। इसमें ट्रेडर को पूरे दिन चार्ट को देखना नहीं पड़ता है। यह उन लोगो ( जॉब, स्टूडेंट्स आदि) के लिए बेहतर होता है जो ट्रेडिंग में अपना पूरा दिन नहीं दे सकते हैं।

Positional Trading क्या है?

Positional Trading वह ट्रेड जो कुछ महीने के लिए होल्ड किए जाएं। यह मार्केट का long term movement को कैप्चर करने के लिए किया जाता है। ताकि एक अच्छा मुनाफा हो सके। शेयर बाजार की रोजाना के up-down से इन पर जायदा असर नहीं होता है। यह बाकी सभी trading से कम रिस्की होता है।

Trading और Investment में क्या अंतर है?

  1. Trading में शेयर को short term के लिए खरीदा जाता है। वहीं Investment में शेयर को लंबे समय के लिए खरीद लिया जाता है।
  2. Trading में टेक्निकल एनालिसिस की जानकारी होना जरूरी होता है। वहीं Investment में fundamental analysis की जानकारी प्राप्त होनी चाहिए।
  3. Trading कि अवधि 1 साल तक की होती है। वहीं निवेश कि अवधि 1 साल से ज्यादा कि होती है।
  4. Trading करने वाले लोगों को traders कहा जाता है। वहीं निवेश (Investment) करने वाले लोगों को निवेशक (Invester) कहां जाता है।
  5. Trading short term मुनाफे को कमाने के लिए किया जाता है वहीं निवेश लंबी अवधि के मुनाफे को कमाने के लिए किया जाता है।

आपने क्या जाना

जैसे कि आपने हमारी आज के लेख में trading kya hai के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की है। आज आपने ट्रेडिंग के साथ साथ ट्रेडिंग के प्रकार और निवेश से ट्रेडिंग किस तरह अलग होता है यह भी जाना है। अगर आपको भी share market में trade करना है तो सबसे पहले इसके बारे में विस्तार से जानकारी अवश्य ले। नहीं तो आपको अच्छा खासा नुकसान झेलना पड़ सकता है।

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