बाइनरी ऑप्शन टिप्स

लहर मूल्य विश्लेषण

लहर मूल्य विश्लेषण
ना जाने तेरा साहब कैसा है,
मस्जिद भीतर मुल्ला पुकारे, क्या साहब तेरा बहिरा है,
पंडित होय के आसन मारे लंबी माला जपता है।
अंतर तेरे कपट कतरनी, सो भी साहब लखता है।

लहर मूल्य विश्लेषण

पंद्रहवीं शताब्दी में संतकाल के प्रारंभ में सारा भारतीय वातावरण क्षुब्ध था। बहुत से पंडित जन इस क्षोभ का कारण खोजो में व्यस्त थे और अपने- अपने ढ़ंग पर समाज और धर्म को संभालने का प्रयत्न कर रहे थे। इस अराजकता का कारण इस्लाम जैसे एक सुसंगठित संप्रदाय का आगमन था। इसके बाद देश के उथल- पुथल वातावरण में महात्मा कबीर ने काफी संघर्ष किया और अपने कड़े विरोधों तथा उपदेशों से समाज को बदलने का पूरा प्रयास किया। सांप्रदयिक भेद- भाव को समाप्त करने और जनता के बीच खुशहाली लाने के लिए निमित्त संत- कबीर अपने समय के एक मजबूत स्तंभ साबित हुए। वे मूलतः आध्यात्मिक थे। इस कारण संसार और सांसारिकता के संबंध में उन्होंने अपने काल में जो कुछ कहा, उसमें भी आध्यात्मिक स्वर विशेष रुप से मुखर है।

इनके काजी मुल्ला पीर पैगम्बर रोजा पछिम निवाज।
इनके पूरब दिसा देव दिज पूजा ग्यारिसि गंगदिवाजा।
कहे कबीर दास फकीरा अपनी राह चलि भाई।
हिंदू तुरुक का करता एकै ता गति लखी न जाई।

कबीर- व्यवहार में भेद- भाव और भिन्नता रहने के कारण सांप्रदायिक कटुता बराबर बनी रही। कबीर दास इसी कटुता को मिटाकर, भाई चारे की भावना का प्रसार करना चाहते थे। उन्होंने जोरदार शब्दों में यह घोषणा की कि राम और रहीम में जरा भी अंतर नहीं है :-

कबीर ने अल्लाह और राम दोनों को एक मानकर उनकी वंदना की है, जिससे यह सिद्ध होता है कि उन्होंने अध्यात्म के इस चरम शिखर की अनुभूति कर ली थी, जहाँ सभी भिन्नता, विरोध- अवरोध तथा समग्र द्वेैत- अद्वेैत में प्रतिष्ठित हो जाते हैं। प्रमुख बात यह है कि वे हिंदू- मुसलमान के जातीय और धार्मिक मतों के वैमनष्य को मिटाकर उन्हें उस मानवीय अद्वेैत धरातल पर प्रतिष्ठित करने में मानवता और आध्यात्म के एक महान नेता के समान प्रयत्नशील हैं। उनका विश्वास था कि ""सत्य के प्रचार से ही वैमनष्य की भावना मिटाई जा सकती है। इस समस्या के समाधान हेतु, कबीर ने जो रास्ता अपनाया था, वह वास्तव में लोक मंगलकारी और समयानुकूल था। अल्लाह और राम की इसी अद्वेैत अभेद और अभिन्न भूमिका की अनुमति के माध्यम से उन्होंने हिदूं- मुसलमान दोनों को गलत कार्य पर चलने के लिए वर्जित किया और लगातार फटकार लगाई।

ना जाने तेरा साहब कैसा है,
मस्जिद भीतर मुल्ला पुकारे, क्या साहब तेरा बहिरा है,
पंडित होय के आसन मारे लंबी माला जपता है।
अंतर तेरे कपट कतरनी, सो भी साहब लखता है।

हिंदू- मुसलमान दोनों का विश्वास भगवान में है। कबीर ने इसी विश्वास के बल पर दोनों जातियों को एक करने का प्रयत्न किया। भाईचारे की भावना उत्पन्न करने की चेष्टा की।

सबद सरुपी जिव- पिव बुझों,
छोड़ो भय की ढेक।
कहे कबीर और नहिं दूज।
जुग- जुग हम तुम एक।

कबीर शब्द- साधना पर जोर दे रहे हैं। इनका कथन है, तुम श्रम तज कर शब्द साधना करो और अमृत रस का पान करो, हम तुम कोई भेद नहीं हैं, हम दोनों इसी एक पिता की संतान हैं। इसी अर्थ में कबीर दास हिंदू और मुसलमान के स्वयं विधायक हैं।

बड़े कठोर तप, त्याग, बलिदान और संकल्प शक्ति को अपना कवच बनाकर भारत की जनता ने अपनी खोई हुई स्वतंत्रता को प्राप्त कर ली, लेकिन इसके साथ ही सांप्रदायिकता की लहर ने इस आनंद बेला में विष घोल दिया। भारत का विभाजन हुआ। इस विभाजन के बाद असंख्य जानें गई, लाखों घर तबाह हुए और बूढ़े, बच्चे, जवान, हिंदू, मुस्लिम सब समाज विरोधी तत्वों के शिकार हुए। इन तमाम स्थितियों से निबटने के लिए मानवतावादी सुधार की आवश्यकता थी, यह काम अध्यात्म से ही संभव था। कबीर ने अपने समय और अब हमलोग भी एक दिन चले जाएँगे। उनके कहने का तात्पर्य यह है कि जीवन अल्प है। इस अवधि का सदुपयोग इस स्मरण में करना चाहिए। सांसारिक हर्ष- विषाद को विशेष महत्व नहीं देना चाहिए।

पंडितों का ढोंगपूर्ण रवैया देखकर उन्हें चेतावनी देते हुए कहते हैं :-

पंडित होय के आसन मारे, लंबी माला जपता है,
अंतर तेरे कपट कतरनी, सो सो भी साहब लगता है,
ऊँचा निचा महल बनाया, गहरी नेव जमाता है,
कहत कबीर सुनो भाई साधो हरि जैसे को तैसा है।

कबीर शोषणकर्ता को रोषपूर्ण आगाह करते है कि भगवान के दरबार में न्याय होने पर उन्हें अपने किए का फल अवश्य भुगतना पड़ेगा। दूसरी ओर निरीह जनता को वे समझाते हुए कहते हैं :-

कबीर नौवति आपणी, दिन दस लेहु बजाई,
ऐ पुर पारन, एक गली, बहुरि न देखें आई।

महात्मा कबीर कहते हैं कि यह जीवन कुछ ही दिनों के लिए मिला है, अतः इसका उपयोग सार्थक ढंग से खुब आनंदपूर्वक करना चाहिए।

जो करेंगे सो भरेंगे, तू क्यों भयो उदास,
कछु लेना न देना, मगन रहना,
कहे कबीर सुनो भाई साधो,
गुरु चरण में लपटे रहना।

""महात्मा कबीर साहब संतप्त जनता को समझाते हुए कहते हैं कि कर्तव्य निर्विकार रुप से करो, व्यर्थ के प्रपंच में मत पड़ो, सर्वदा अपने मन को गुरु में लगाए रहो।''

महात्मा कबीर दास ने पीड़ित जनता के दुख- दर्द को दूर करने के लिए ""राम रसायन'' का आविष्कार किया। कबीर साहब ने पहली बार जनता को उसकी विपलता में ही खुश रहने का संदेश दिया।

कबीर मध्यकाल के क्रांतिपुरुष थे। उन्होंने देश की अंदर और बाहर की परिस्थितियों पर एक ही साथ धावा बोलकर, समाज और भावलोक को जो प्रेरणा दी, उसे न तो इतिहास भुला सकता है और न ही साहित्य इतनी बलिष्ठ रुढियों पर जिस साहस और शक्ति से प्रहार किया, यह देखते ही बनता है।

संतों पांडे निपुण कसाई,
बकरा मारि भैंसा पर धावै, दिल में दर्द न आई,
आतमराम पलक में दिन से, रुधिर की नदी बहाई।

कबीर ने समाज की दुर्बलता और अद्योगति को बड़ी करुणा से देखकर, उसे ऊपर उठाने के मौलिक प्रयत्न किया। उन्होंने भय, भत्र्सना और भक्ति जैसे अस्रों का उपयोग राजनैतिक विभिषिकाओं और सामाजिक विषमताओं जैसे शत्रु को परास्त करने के लिए किया। कबीर साहब यह बात समझ चुके थे कि इन शत्रुओं के विनाश होने पर ही जनता का त्राण मिल सकता है। अतः उनका सारा विरोध असत्य, हिंसा और दुराग्रह से था। उनका उद्देश्य जीवन के प्रति आशा पैदा करना था।

कबीर का तू चित वे, तेरा च्यता होई,
अण च्यता हरि जो करै, जो तोहि च्यंत नहो।

महात्मा कबीर शोकग्रस्त जनता को सांत्वना देते हैं ""तुम चिंता क्यों करते हो ? सारी चिंता छोड़कर प्रभु स्मरण करो।''

केवल सत्य विचारा, जिनका सदा अहार,
करे कबीर सुनो भई साधो, तरे सहित परिवार।

कब उनके अनुसार जो सत्यवादी होता है, उसका तो भला होता ही है, साथ- साथ उसके सारे परिवार का भी भला होता है और वे लोग सुख पाते हैं। वह कहते हैं, सारे अनर्थों की जड़, असत्य और अन्याय है, इनका निर्मूल होने पर ही शुभ की कल्पना की जा सकती है। इसी अध्यात्म का सहारा लेकर हिंदू- मुस्लिम के भेद- भाव को मिटाने का प्रयत्न किया था, इसके साथ- साथ ही उन्होंने अपने नीतिपरक पदों के द्वारा जनता का मनोबल बढ़ाने का प्रयत्न किया था। इसके साथ- साथ ही उन्होंने अपने नीतिपरक पदों के द्वारा जनता का मनोबल बढ़ाने का प्रयत्न किया था। आज के परिवेश में भी इन्हीं उपायों की आवश्यकता है।

सांप्रदायिक मतभेदों या दंगों का कारण अज्ञान या नासमझी है। इस नासमझी या अज्ञान को दूर करने के लिए कबीर दास द्वारा बताए गए उपायों का प्रयोग किया जाना आवश्यक है। कबीर की वाणी ही समस्त समस्याओं का निवारण करने में समर्थ है।

ऊँच- नीच, जाति- पाति का भेद मिटाकर सबको एक समान सामाजिक स्तर देने का कार्य किया। आज के संदर्भ में भी इसी चीज की जरुरत है।

गुप्त प्रगट है एकै दुधा, काको कहिए वामन- शुद्रा
झूठो गर्व भूलो मति कोई, हिंदू तुरुक झूठ कुल दोई।।

वर्तमान समस्याएँ चाहे सांप्रदायिक हो चाहे वैयक्तिक, सबका समुचित समाधान नैतिक मूल्य प्रस्तुत करते हैं।

कबीर दर्शन में जाति- धर्म का कोई बंधन स्वीकार नहीं है। सारे अलगाववादी विधानों को तोड़कर वह एक शुद्र मानव जाति का निर्माण करता है, इसलिए आज के संदर्भ में इसकी उपयोगिता बढ़ गई है।

Content Prepared by Mehmood Ul Rehman

Copyright IGNCA© 2004

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दवा मूल्य नियामक रिपोर्ट पर घुटना प्रत्यारोपण कीमतों में कमी ला सकती है सरकार

नई दिल्ली: राष्ट्रीय फार्मास्युटिकल्स मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) के विश्लेषण में अस्थि रोग संबंधित रोगों के निदान संबंधी घुटना प्रत्यारोपण के कारोबार में 313 प्रतिशत तक का औसत व्यापार लाभ कमाए जाने का मामला सामने आया है। इसको लेकर एनपीपीए ने कहा कि आयातकों, वितरकों और अस्पतालों ने भारी व्यापार मुनाफा कमाया है जो कि 67 प्रतिशत से लेकर 449 प्रतिशत तक के बीच हो सकता है। एनपीपीए ने सरकार ने घुटना प्रत्यारोपण मूल्यों में कमी लाने की सिफारिश की है।

कुल औसत व्यापार लाभ 313 प्रतिशत तक
दवा मूल्य नियामक एनपीपीए ने कहा कि उसने आधिकारिक सूत्रों विनिर्माताओं और आयातकों से उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर ऑर्थापेडिक घुटना प्रत्यारोपण पर व्यापार के लाभ का विश्लेषण किया है। घुटना प्रत्यारोपण पर आयातकों का औसत लाभ 76 प्रतिशत पाया गया जबकि वितरकों और अस्पतालों का औसत लाभ 135 प्रतिशत तक है। एनपीपीए ने कहा कि उसके विश्लेषण के अनुसार घुटना प्रत्यारोपण पर कुल औसत व्यापारिक लाभ 313 प्रतिशत तक था।

उपकरणों से कमाया जा रहा मोटा मुनाफा
विश्लेषण से पता चला है कि पर्याप्त व्यापार लाभ के अलावा, आयातित घुटने के प्रत्यारोपण और उनके एमआरपी मूल्य में एक बड़ी असमानता है। बाजार में उपलब्ध उत्पादों की कीमत काफी भिन्न होती है। उदाहरण के लिए घुटने के प्रत्यारोपण सर्जरी में इस्तेमाल होने वाले एक उपकरण फेमोरल की अधिकतम लैंडिंग की कीमत 29,470 रुपये है, जबकि उसका एमआरपी 1,69,123 रुपये है। वहीं यह उपकरण डिस्ट्रीब्यूटर को 83,000 रुपये में उपलब्ध है। विश्लेषण में पता चला है कि घुटने के प्रत्यारोपण की कुल एमआरपी 4,13,095 रुपये है, जबकि आयातक के लिए लैंडिड प्राइज 65,781 रुपये है। पता चलता है कि डिस्ट्रीब्यूटर को जो उत्पाद 1,67,162 रुपए में मिलता है उस पर वह 2,45,297 रुपए या 147 प्रतिशत का लाभ कमाता है।

कम हो सकते हैं प्रत्यारोपण शुल्क
शुरुआत में नियामक ने लहर मूल्य विश्लेषण 19 सामान्य इस्तेमाल किए गए चिकित्सा उपकरणों जैसे कैटलर, हार्ट वॉल्व, आर्थोपेडिक इम्प्लांट्स और इंट्राक्लोरल लेंस को आवश्यक दवाई की लिस्ट में रखा था और स्वास्थ्य मंत्रालय से इन दवाओं के मूल्य में कमी लाने की सिफारिश की थी। माना जा रहा है कि एनपीपीए की ओर से किया गया गई घुटने के प्रत्यारोपण के मूल्य के आंकड़ों का विश्लेषण सरकार को कीमत नियंत्रण में लाने के लिए एक मजबूत आधार देता है। हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय है क आदेश के बाद ही दन उपकरणों को एनएलईएम के तहत रखा जा सकता है, जिसके बाद एनपीपीए को घुटने के प्रत्यारोपण के मूल्यों को कैप करने का अधिकार दिया जाएगा।

Third Covid wave : देश में कोरोना की तीसरी लहर शुरू हो गई लहर मूल्य विश्लेषण या दूसरी समाप्त ही नहीं हुई? एक्सपर्ट्स भी उलझन में

देश में कोरोना के मामलों में फिर से बढ़ोतरी के ट्रेंड के बीच सवाल उठ रहा है कि क्या भारत में महामारी की तीसरी लहर शुरू हो चुकी है या दूसरी लहर ही अभी खत्म नहीं हुई। इस पर एक्सपर्ट्स का कहना है कि तीसरी लहर घोषित करना जल्दबाजी होगी।

हरियाणा स्थित अशोक विश्वविद्यालय में भौतिक शास्त्र और जीविज्ञान विभाग में प्रोफेसर गौतम मेनन ने कहा, उदाहरण के लिए पूर्वोत्तर राज्यों में मामले न्यूनतम स्तर पर नहीं गए जैसा कि दिल्ली और अन्य उत्तरी राज्यों में देखने को मिला। उन्होंने कहा, ‘इस प्रकार, संभव है कि हम दूसरी लहर की निरंतरता को देख रहे हैं बजाय कि नई कोविड-19 लहर की शुरुआत होने की।’

चेन्नई स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ मैथमेटिकल साइसेंज के रिसर्चर्स ने नवीनतम विश्लेषण के मुताबिक सात मई के बाद पहली बार भारत में ‘आर’ संख्या यानी RO वैल्यू या R फैक्टर (एक संक्रमित के जरिए दूसरे लोगों को संक्रमित करने की संभावना संख्या में) एक को पार कर गई है।

महामारी की शुरुआत से ही ‘आर’ वैल्यू पर नजर रख रहे चेन्नई स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ मैथमेटिकल साइसेंज के रिसर्चर सीताभ्र सिन्हा ने कहा कि यह चिंताजनक स्थिति है कि आर वैल्यू किसी एक क्षेत्र में मामले बढ़ने से नहीं बढ़ी है बल्कि कई राज्यों में ‘आर’ वैल्यू एक से अधिक हो गई है।

सिन्हा ने भाषा से कहा, ‘केरल में एक महीने से आर मूल्य एक से अधिक है जबकि पूर्वोत्तर राज्यों में जहां दूसरी लहर का प्रकोप अब तक कम नहीं हुआ है जुलाई की शुरुआत से ही यह उच्च स्तर पर बना हुआ है। हमने देखा कि पिछले एक सप्ताह में कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा और संभवत: उत्तराखंड में ‘आर’ (रिप्रोडक्शन) मूल्य एक को पार कर गया है। चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु और दिल्ली जैसे शहरों में भी आर मूल्य एक से ऊपर दिखाई दे रहा है। यह संकेत कर रहा है कि देश के विभिन्न हिस्सों में बिखरे सक्रिय मामलों को नियंत्रित करने में मुश्किल आएगी।

सिन्हा ने कहा कि समय की मांग है कि हम कोविड अप्रोप्रिएट बिहैवियर के पालन पर जोर दें।

दिल्ली के फिजिशियन और महामारी विशेषज्ञ चंद्रकांत लहरिया ने भाषा से कहा, ‘हमें महामारी के लिए तैयार रहना चाहिए लेकिन भयभीत नहीं। यह समय है कि लोग मास्क पहने और टीका लगवाएं।’ उन्होंने कहा कि संक्रमण के मामले संकेत दे रहे हैं कि सतर्क रहने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, ‘हमें भारत में सामने आ रहे मामलों में राज्यों की हिस्सेदारी नहीं देखनी चाहिए। यह बहुत मददगार साबित नहीं होगी बल्कि हमें राज्यों की तुलना बंद करनी चाहिए। इसके बजाय बेहतर रिपोर्टिंग प्रणाली और निगरानी को बीमारी की कमजोर पहचान प्रणाली से तुलना करनी चाहिए। महामारी की लहर या चक्र का केवल अकादमिक महत्व है। अगर मामले बढ़ रहे हैं तो इससे फर्क नहीं पड़ता कि वह दूसरी लहर है या नई लहर शुरू हो गई है।’

वैज्ञानिक गौतम मेनन ने भी सहमति जताई कि अभी महामारी की तीसरी लहर घोषित करना जल्दबाजी होगी और कहा कि बढ़ते मामले चिंता का सबब है।

दिल्ली-एनसीआर स्थित शिव नादर यूनिवर्सिटी में प्रकृति विज्ञान स्कूल के डीन संजीव गलांडे का मानना है कि यह तीसरी लहर की शुरुआत है या नहीं इसका पूर्वानुमान लगाना अभी जल्दबाजी होगी।

उन्होंने कहा, राष्ट्रीय स्तर पर औसत मामलों में उल्लेखनीय बदलाव नहीं आया है। कुछ राज्यों में मामूली वृद्धि देखी गई है। ऐसे में तीसरी लहर की शुरुआत के बारे में पूर्वानुमान लगाना अभी जल्दबाजी होगी।

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डॉलर: आज 17 मार्च हाईटियन बाजार मूल्य

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हालांकि पिछले 7 दिनों की तुलना में अमेरिकी डॉलर में 0.78% की कमी आई है, फिर भी यह वर्ष के दौरान 16.19% बढ़ा है। पिछले दिन के आंकड़ों के साथ इस डेटा का विश्लेषण करते हुए, लहर मूल्य विश्लेषण दो दिवसीय सकारात्मक प्रवृत्ति समाप्त होती है। पिछले कुछ दिनों में अस्थिरता 18.82% थी, जो वार्षिक अस्थिरता के आंकड़े (17.19%) से कुछ अधिक है, जो सामान्य मूल्य प्रवृत्ति की तुलना में अधिक परिवर्तन दिखाती है।

वार्षिक तस्वीर में, अमेरिकी डॉलर बदलकर 105.64 गौरडे हो गया और सबसे निचला स्तर 97.87 गौरडे था। अमेरिकी डॉलर अपने सबसे कम मूल्य की तुलना में अपने मूल्य के करीब स्थित है।

नाजुक हाईटियन

गौर्डे ला गौर्डे (“प्रांत” के रूप में अनुवादित) हैती लहर मूल्य विश्लेषण में एक आधिकारिक रूप से उपयोग की जाने वाली मुद्रा है, जिसे एचजीटी के रूप में संक्षिप्त किया गया है, जिसे 100 सेंट में विभाजित किया गया है, और इसकी छपाई हैती गणराज्य के बैंक द्वारा विनियमित है

इसका नाम फ्रांसीसी मूल का है, लेकिन इसके मूल का अर्थ स्पेनिश मुद्रा “गॉर्डोस” है। कुछ नागरिक इसे “गौड” कहते हैं, इसलिए यह अंग्रेजी शब्द “मूड” के समान लगता है।

नौ पाउंड को बदलने के लिए 1813 में पेश किया गया, यह अब 5, 10, 20, 50 सेंट और 1, 10 लौकी में पाया जा सकता है, लेकिन 5, 10 और 20 सेंट के सिक्के अल्पसंख्यक हैं क्योंकि वे नियमित रूप से उपयोग नहीं किए जाते हैं।

टिकटों में 10, 20, 25, 50, 100, 250 और 1000 लौकी शामिल हैं। एक हाईटियन गौर्डे वर्तमान में अमेरिकी डॉलर की 0.0097 इकाइयों और 0.0085 यूरो इकाइयों के बराबर है।

पूरे इतिहास में, 1872 में आखिरी बार गौरडे में तीन प्रसारण हुए, जो अब उपयोग में है। 1912 में, मुद्रा को अमेरिकी डॉलर में तय किया गया था, लेकिन 1989 में इसे इस तथ्य के बावजूद जारी किया गया था कि नागरिकों के पास हाईटियन डॉलर के पक्ष में एक स्थान था, इसके बाद दूसरी सबसे स्वीकृत मुद्रा, अमेरिकी डॉलर थी।

ध्यान दिया जाना चाहिए कि चूंकि हैती एक कमजोर अर्थव्यवस्था वाला देश है, इसलिए यह निर्यातक नहीं है और जीवित रहने के लिए पूरी तरह से कृषि पर निर्भर करता है, इसलिए देश के बाहर मुद्रा की मांग कम है। इसके अलावा, वार्षिक बजट को विदेशी सहायता में 20% तक वित्तपोषित किया जाता है।

इस बीच, हाईटियन बैंकनोट्स ने ऐतिहासिक हस्तियों की छवियों को चुना है जैसे कि मार्चे वलिएरेस, प्रसिद्ध पैदल यात्री बाजार, और कैथरीन फ्लॉन, हाईटियन क्रांति का प्रतीक, जिन्होंने 1803 में हैती के पहले झंडे को सिल दिया था। हथियारों का कोट हर सिक्के के पीछे दिखाई देता है।

अर्थव्यवस्था के बारे में, सूरीनाम और वेनेजुएला जैसे देशों के साथ लैटिन अमेरिका और कैरिबियन (ECLAC) के लिए आर्थिक आयोग ने बताया कि हैती पुरानी मुद्रास्फीति का सामना कर रही है, जो कोरोनोवायरस महामारी द्वारा आंशिक रूप से समाप्त हो गई है।

इसके अलावा, पिछले एक साल में, राष्ट्रपति जोवेनेल मोइज़ की हत्या के बाद देश को राजनीतिक अस्थिरता का सामना करना पड़ा, अप्रैल 2021 में हुई हिंसा की लहर, एक बड़े पैमाने पर भूकंप।

मानव संसाधन प्रबंधन में स्नातकोत्तर कार्यक्रम (पीजीपी-एचआरएम)

पीजीपी-एचआरएम एक अत्याधुनिक प्रबंधन कार्यक्रम है जो उद्योग को मूल्य प्रदान करने के लिए अत्याधुनिक एनालिटिक्स प्रदान करने की क्षमता वाले एचआर पेशेवरों की एक नई लहर को पोषित करने हेतु प्रतिबद्ध है, जो आज एक रोमांचक ज्ञान क्रांति के शिखर पर खड़ा है, अब तक अनदेखी जटिलता और अद्वितीय अवसर उपलब्ध कराता है।

आईआईएम इंदौर में मानव संसाधन प्रबंधन में स्नातकोत्तर कार्यक्रम (पीजीपी-एचआरएम) दो वर्ष का, पूर्णकालिक, आवासीय कार्यक्रम है। कार्यक्रम शैक्षणिक वर्ष 2018 से शुरू हुआ। कार्यक्रम का उद्देश्य प्रतिभागियों को एक क्षमता के साथ पेशेवर प्रबंधकों के रूप में तैयार करना है:लहर मूल्य विश्लेषण

  • गतिशील वातावरण में उभर रहे मानव संसाधन और व्यावसायिक मुद्दों को एकीकृत करना
  • संगठनों और समाज में मूल्य के दोहन के लिए व्यवहार सिद्धांतों की समझ को लागू करना
  • धारणीय और नवोन्मेषी मूल्य सृजन ढांचे के निर्माण में एक विश्लेषणात्मक अभिविन्यास लागू करना

मिशन:

प्रबंधकों का पोषण करने के लिए जो व्यवहार विज्ञान, विश्लेषण और उभरते संगठनात्मक रूपों में प्रगति पर भरोसा करके मानव संसाधन और व्यावसायिक मुद्दों को एकीकृत करने में सक्षम हैं।

अधिगम और कार्यक्रम के उद्देश्य:

पीजीपी-एचआरएम लहर मूल्य विश्लेषण के शिक्षण और कार्यक्रम के उद्देश्य संस्थान के मिशन के अनुरूप हैं।

पीजीपी-एचआरएम कार्यक्रम प्रतिभागियों को उन व्यावसायिक तर्कसंगतताओं को समझने में सक्षम करेगा जो संगठनों में मानव व्यवहार को संचालित करते हैं। उन्हें संगठनों के भीतर मानवीय संबंधों को आकार देने में साइकोमेट्रिक उपकरणों और अनुप्रयुक्त मनोवैज्ञानिक उपकरणों को आकर्षित करने का अधिकार दिया जाएगा। प्रतिभागियों को उन तकनीकों से परिचित कराया जाएगा जिसके माध्यम से वे संगठनों में मानव व्यवहार को समझने और साक्ष्य आधारित हस्तक्षेपों को आकार देने में एक विश्लेषणात्मक अभिविन्यास को तैनात कर सकते हैं। वे विभिन्न एचआरएम कार्यों के संबंध में व्यावहारिक कौशल का निर्माण करेंगे।

प्रतिभागियों को दर्शन और सामाजिक सिद्धांत पर आधारित संगठनों में मानव व्यवहार की गहरी समझ के प्रति संवेदनशील बनाया जाएगा। वे आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक मुद्दों के साथ समग्र जुड़ाव विकसित करके संगठनों के भीतर मानवीय अंतःक्रियाओं की एक सूक्ष्म समझ विकसित करेंगे। संगठनों में कार्यों में फैले एचआरएम मुद्दों में हस्तक्षेप करने के लिए प्रतिभागियों को क्षमताओं और दक्षताओं के संदर्भ में सशक्त बनाया जाएगा। अंततः प्रतिभागी मूल्य सृजन के लिए संगठनों के अंदर मानवीय संबंधों को आकार देने की क्षमता विकसित करेंगे।

पीजीपी-एचआरएम दो वर्षों में विभक्त है, प्रत्येक वर्ष तीन टर्म से मिलकर बनता है। अधिकांश पाठ्यक्रमों के लिए कक्षाओं का पहला वर्ष पीजीपी प्रतिभागियों के साथ होगा। पहला वर्ष कार्यक्रम का एक मौलिक आश्रय है और मजबूत पीयर लर्निंग और व्यावसायिक मुद्दों की सराहना का संदर्भ प्रदान करेगा। दूसरा वर्ष विशेष पाठ्यक्रमों और उद्योग परियोजनाओं पर केंद्रित होगा। कार्यक्रम का दूसरा वर्ष प्रतिभागियों को उद्योग परियोजनाओं को शुरू करते समय उद्योग और व्यापार जगत के नेताओं के साथ निकटता से संवाद करने में सक्षम बनाता है। पहले वर्ष के अंत में, प्रतिभागी एचआरएम और संगठनात्मक नेतृत्व के क्षेत्र में काम कर रहे एक व्यावसायिक संगठन में ग्रीष्मकालीन परियोजना पर आठ सप्ताह बिताते हैं। शैक्षणिक वर्ष जून/जुलाई में शुरू होता है और अगले वर्ष मार्च/अप्रैल में समाप्त होता है।

.पीजीपी-एचआरएम के पाठ्यक्रम को कॉर्पोरेट क्षेत्र से फीडबैक, मानव संसाधन प्रबंधन और व्यावसायिक शिक्षा में उभरते रुझानों और विश्लेषण और व्यवहार विज्ञान से अंतर्दृष्टि को एकीकृत करके तैयार किया गया है।

कौशल विकास पाठ्यक्रम

इनमें भर्ती और चयन, मुआवजा, सीखने और विकास, और प्रदर्शन मूल्यांकन जैसे मानव संसाधन के कार्यात्मक क्षेत्रों के लिए कौशल निर्माण के लिए साइकोमेट्रिक उपकरणों, विश्लेषण और उद्योग परियोजनाओं की एक श्रृंखला पर पाठ्यक्रम शामिल थे।

सम्मिश्रण सिद्धांत और व्यवहार

पाठ्यक्रम उद्योग परियोजनाओं को पाठ्यक्रम कार्य के साथ एकीकृत करके सिद्धांत और व्यवहार को मिश्रित करेगा। प्रतिभागियों को इन परियोजनाओं में व्यवहार संबंधी अंतर्दृष्टि, वैचारिक शिक्षा और विश्लेषणात्मक अभिविन्यास को लागू करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। मजबूत डिलिवरेबल्स के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करके, प्रतिभागी व्यवहारिक अंतर्दृष्टि को मानवीय आत्म में व्यावसायिक तर्कसंगतताओं से जोड़ने में सक्षम होंगे।

आईआईएम इंदौर एक विशिष्ट कार्यक्रम उपलब्ध कराता है जो एक मजबूत मूल्य प्रस्ताव बनाने में मदद करता है:

  • प्रथम वर्ष का कोर्स आईआईएम इंदौर में पीजीपी प्रतिभागियों के साथ कार्य करता है ताकि प्रतिभागियों को मजबूत व्यावसायिक तर्कसंगतता प्राप्त करने में सक्षम बनाया जा सके और उन साथियों के साथ बातचीत की जा सके जो सामान्य प्रबंधक बनने हेतू प्रशिक्षण ले रहे हैं।

प्रतिभागियों को व्यवहार विज्ञान में नवाचारों और सर्वोत्तम प्रथाओं से परिचित कराने हेतु साइकोमेट्रिक उपकरणों, व्यवहार प्रयोगशालाओं एवं मूल्यांकन केंद्रों पर जोर देना

  • साक्ष्य आधारित तरीकों से प्रतिभागियों को मानव संसाधन और व्यावसायिक मुद्दों को जोड़ने में सक्षम बनाने के लिए विश्लेषण पर जोर देना
  • उद्योग परियोजनाओं पर जोर ताकि प्रतिभागियों को मानव संसाधन के विभिन्न कार्यात्मक क्षेत्रों में समृद्ध कौशल और दक्षता प्राप्त हो सके
  • मानव संसाधन और अन्य व्यावसायिक मुद्दों के सामाजिक सिद्धांत और दर्शन आधारित परिसर में गहराई से सीखने के अवसर

शिक्षा शास्त्र

आईआईएम इंदौर विभिन्न शिक्षण विधियों जैसे केस, प्रोजेक्ट, सिमुलेशन, कंप्यूटर एडेड निर्देश, समूह चर्चा, व्याख्यान, सेमिनार, प्रतिभागियों द्वारा प्रस्तुतीकरण और उद्योग व सरकार के अतिथि वक्ताओं द्वारा व्याख्यान के संयोजन का उपयोग करता है। केस विधि प्रमुख शैक्षणिक उपकरण है। यह प्रतिभागियों के विश्लेषणात्मक कौशल को तीक्ष्ण करता है और बहु-कार्यात्मक दृष्टिकोण से समस्याओं का विश्लेषण करने में मदद करता है। प्रशिक्षक मुख्य रूप से समूह का मार्गदर्शन करते हैं, प्रतिभागियों को तर्क विकसित करने और बचाव करने और निर्णय लेने के लिए प्रेरित करते हैं। कार्यक्रम में प्रतिभागियों को व्यवहारिक प्रयोगशालाओं, साइकोमेट्रिक उपकरणों और मूल्यांकन केंद्रों से भी परिचित कराया जाएगा।

संरचना

पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम छह ट्राइमेस्टर तक चलता है, जो दो वर्ष में विभक्त होता है, जिसमें पहले वर्ष के अंत में एक समर प्रोजेक्ट होता है। आठ सप्ताह का यह कार्यक्रम प्रतिभागियों के लिए विभिन्न क्षेत्रों की स्थापित और प्रतिष्ठित कंपनियों में अपने विचारों और कौशल को कार्यान्वित करने का एक अवसर है।

प्रथम वर्ष के प्रतिभागियों को मौलिक ज्ञान, विश्लेषणात्मक कौशल और तकनीक, प्रासंगिक समझ, पर्यावरण जागरूकता और समग्र परिप्रेक्ष्य दिया जाता है, जो कार्यक्रम के लिए आधार के रूप में कार्य करेगा। कवर किए गए क्षेत्र विपणन, वित्त, मानव संसाधन प्रबंधन, संचालन, अर्थशास्त्र और रणनीति हैं। पहले वर्ष में प्रतिभागियों को साइकोमेट्रिक इंस्ट्रूमेंट्स, बिहेवियरल लैब्स, एनालिटिक्स और असेसमेंट सेंटर्स से भी परिचित कराया जाता है।

दूसरे वर्ष में इलेक्टिव्स प्रतिभागियों को मानव संसाधन के विभिन्न कार्यात्मक और विषयगत डोमेन की गहरी समझ प्रदान करते हैं। प्रतिभागियों को विशिष्ट डोमेन जैसे एनालिटिक्स, बातचीत और संघर्ष प्रबंधन, संगठन विकास और परिवर्तन, प्रतिभा प्रबंधन और योग्यता आधारित दृष्टिकोण और नेतृत्व जैसे पाठ्यक्रमों का चयन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। परियोजनाओं, समूह अभ्यासों और केस चर्चाओं के रूप में प्राप्त ज्ञान के अनुप्रयोग पर जोर दिया गया है। अतिथि व्याख्यान और कार्यशालाएं उनके सीखने को और समृद्ध बनाती हैं।

नोट: कार्यक्रम संबंधी पूछताछ के लिए PGPHRM कार्यालय से 0731-2439-775/[email protected] पर संपर्क करें।

प्रवेश से संबंधित किसी भी पूछताछ के लिए, आप प्रवेश कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं

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