मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है

मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है
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"मुद्रा वह है जो मुद्रा का कार .
Solution : मुद्रा विनिमय का साधन है। इसमें क्रय शक्ति होती है। इसलिए मुद्रा के द्वारा वस्तुओं और सेवाओं की खरीद-बिक्री की जाती है।
मुद्रा के अर्थ को स्पष्ट करने के लिए विभिन्न विद्वानों और अर्थशास्त्रियों ने मुद्रा की परिभाषा देकर इसके अर्थ को स्पष्ट किया है। इनमें प्रो. हार्टले विदर्स का भी महत्त्वपूर्ण स्थान है। इन्होंने मुद्रा को परिभाषा देते हुए यह कहा है कि "मुद्रा वह है जो मुद्रा का कार्य करती है।" इसका अर्थ यह है कि प्रत्येक पदार्थ या वस्तु जिसमें क्रय शक्ति मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है होती है और जिसे लोग मुद्रा के रूप में स्वीकार करते हैं वही मुद्रा कहलाती है। यह मुद्रा विनिमय का कार्य करती है।
देश में ओ मुद्रा चलन के रूप में मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है रहती है वही मुद्रा है और वही मुद्रा, मुद्रा का कार्य भी करती है। यह विनिमय का साधन है। इसके आधार पर मुद्रा मूल्य का संचय किया जाता है। साथ ही मुद्रा का एक निश्चित मूल्य होता है जिसके आधार पर अर्थव्यवस्था में ऐसी मुद्रा चलन में रहती है और जिसके द्वारा वस्तुओं और सेवाओं की खरीद-बिक्री की जाती है। भारत में सिक्के और कागजी नोट चलन मुद्रा (Currency) हैं। जिनके आधार पर विनिमय का कार्य होता है। अतः यह कथन बिल्कुल सही है कि मुद्रा वही है जो मुद्रा का कार्य करती है।
मुद्रा क्या है? मुद्रा की परिभाषा | मुद्रा का अर्थ एवं प्रकार
मुद्रा के बिना आधुनिक अर्थव्यवस्था की कल्पना ही नहीं की जा सकती है. किसी राज्य में यदि कोई आर्थिक गतिविधि होती है तो उसमे कही न कही मुद्रा का केंद्रीय स्थान होता है. मुद्रा क्या है ये तो मोटा-मोटा सभी को पता होगा लेकिन मुद्रा की परिभाषा कम ही लोग जानते होंगे।
इस आर्टिकल में मैं आपको मुद्रा का अर्थ एवं प्रकार सब-कुछ समझाऊंगा। यदि यह जानकारी आपको अच्छी लगे तो इसे दोस्तों के साथ शेयर भी करें।
Table of Contents
मुद्रा क्या है? मुद्रा का अर्थ
मुद्रा शब्द अंग्रेजी के शब्द ‘Money’ का हिंदी रूपांतरण है। Money को लैटिन भाषा के Moneta शब्द से लिया गया है।
मुद्रा की परिभाषा
मुद्रा एक ऐसी वस्तु है जो सामान्य रूप में विनिमय (exchange) मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है के माध्यम, मूल्य के माप, धन के संचय तथा ऋणों मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है के भुगतान के रुप में स्वीकार की जाती है। मुद्रा को राजकीय मान्यता तथा संरक्षण भी प्राप्त होता है|
दूसरे शब्दों में कहें तो मुद्रा (currency) धन के उस रूप को कहते हैं जिस से दैनिक जीवन में क्रय और विक्रय (buying and selling) की क्रियाएं होती है।
क्राउथर के अनुसार, “मुद्रा वह वस्तु है मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है जो विनिमय के माध्यम के रूप में सामान्यतया स्वीकारी जाती है और साथ ही साथ में मुद्रा के मापऔर मुद्रा के संग्रह का कार्य भी करे।”
मुद्रा के कार्य
मुद्रा क्या है ये जानने के बाद यदि हम मुद्रा के कार्यों की बात करे, तो इसके दो मुख्य कार्य है-
- विनिमय का माध्यम
- मूल्य का मापक
विनिमय का माध्यम
इसका अर्थ होता है कि मुद्रा के द्वारा कोई भी व्यक्ति अपनी वस्तुओं को दूसरे व्यक्ति को बेचता है तथा उसके स्थान में मुद्रा के माध्यम से ही मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है दूसरी वस्तुओं को खरीदता है। मुद्रा के प्रयोग ने क्रय तथा विक्रय दोनों को काफी आसान बना दिया है।
मूल्य का मापक
प्राचीन काल में जब वस्तु विनिमय प्रणाली (barter system) होती थी तो उसमें वस्तुओं के मूल्यों को मापने में बहुत कठिनाई होती थी। आज के समय में जब हम मुद्रा का प्रयोग मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है करते है, तो वस्तुओं के मूल्यों को मापने में ऐसी कठिनाई नहीं आती है क्योंकि अब मुद्रा का मूल्य के मापदण्ड के रूप में प्रयोग किया जाता है।
मुद्रा के कुछ द्वितीयक कार्य मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है भी होते है-
- स्थगित भुगतानों का मान
- मूल्य का संचय
- मूल्य का हस्तांतरण
मुद्रा के प्रकार
मुद्रा के कई प्रकार है. यदि मुद्रा के वर्गीकरण के बारे बात की जाये तो इसे हम निम्न प्रकार से वर्गीकृत कर सकते है-
भीतरी मुद्रा (Inside money)
वह मुद्रा जो अर्थव्यवस्था की भीतरी निजी इकाइयों के ऋण पर आधारित हो| जैसे बैंक में जमा का उस सीमा तक भाग जो उसके द्वारा निजी क्षेत्र को दिए गए ऋण के मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है बराबर हो उसे भीतरी मुद्रा कहते है|
बाहरी मुद्रा (outside money)
बाहरी मुद्रा लोगो का शुद्ध धन होता है| बाहरी मुद्रा जैसे- सोना, सरकारी प्रतिभूति आदि तथा भीतरी मुद्रा जैसे बैंक बैलेंस।
फिएट मनी या लीगल टेंडर (Fiat money)
ये मुद्रा सरकार के अनुसार चलती हैं. और सरकार फ़िएट मनी को ही लीगल टेंडर घोषित मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है करती है. जिसे देश के सभी लोगों और संस्थाओं को भुगतान के साधन के रूप में स्वीकार करना होता है.
भारत में एक रूपये का सिक्का या नोट एक सीमित ग्राह्य लीगल टेंडर है. अर्थात एक रूपये के सिक्कों या नोट से आप एक सीमा तक ही भुगतान कर सकते है. सीमा के बाहर इनको स्वीकार करने की कोई वैधानिक अनिवार्यता नहीं है.
नॉन लीगल टेंडर
इस प्रकार की मुद्रा को स्वीकार करने के लिए कोई भी वैधानिक अनिवार्यता (Statutory obligation) नहीं होता है। यह मुद्रा स्वीकृति प्राप्त करने वाले व्यक्ति की इच्छा एवं देने वाले व्यक्ति की साखऔर ईमानदारी पर निर्भर करती है। जैसे: Cheque, Bill of Exchange, Promissory note इत्यादि
मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है
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मुद्रा गुणक क्या है? इसका मूल्य आप कैसे निर्धारित करेंगे? मुद्रा गुणक के मूल्य के निर्धारण में किस अनुपातों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है?
मुद्रा गुणक से अभिप्राय अर्थव्यवस्था में मुद्रा के स्टॉक और शक्तिशाली मुद्रा के स्टॉक के अनुपात से हैं। इसे निम्नलिखित सूत्र द्वारा निर्धारित किया जाता हैं:
मुद्रा गुणक = M/H
यहाँ,
M = मुद्रा का स्टॉक
H = शक्तिशाली मुद्रा
चूँकि मुद्रा का स्टॉक सामान्यता शक्तिशाली मुद्रा के मूल्य से अधिक होता है, इसलिए मुद्रा गुणक का मूल्य 1 से अधिक होता है।
मुद्रा गुणक के मूल्य के निर्धारण में निम्नलिखित अनुपातों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है:
1. करेंसी जमा अनुपात: करेंसी जमा अनुपात का सूत्र निम्नलिखित है:
करेंसी जमा अनुपात = CU/DD
यहाँ, CU = लोगों के पास रखी हुई करेंसी
DD = व्यवसायिक बैंक की कोष्ठ नकदी
2. रिज़र्व जमा अनुपात: रिज़र्व जमा अनुपात का सूत्र निम्नलिखित है:
रिज़र्व जमा अनुपात = व्यावसायिक बैंक का रिज़र्व /व्यावसायिक बैंक का कुल जमा
मुद्रा के मूल्य से क्या अभिप्राय है
मुद्रा मापना संकल्पना का क्या .
मुद्रा मापना संकल्पना का क्या अभिप्राय है ? वह एक तत्व बताइये किसके कारण एक वर्ष के मुद्रा मूल्यों की तुलना दूसरे वर्ष के मुद्रा मूल्यों से करने में कठिनाई आ सकती है ?