कोट करेंसियां

Updated Mon, 13 Dec 2021 12:21 AM IST
14 लाख करेंसी के साथ दो लोगों को दबोचा
नेपालगंज से भारत आते समय शुक्रवार को एक महिला समेत दो लोगों को जांच के दौरान नेपाल पुलिस ने 14 लाख आठ हजार 80 रुपये नई भारतीय करेंसी के साथ पकड़ लिया। बरामद रुपयों मेें नए दो हजार और पांच सौ के भारतीय नोट हैं। बरामद भारतीय मुद्रा के नकली होने का अनुमान लगाया जा रहा है। फिलहाल भारतीय मुद्रा को सीज कर दोनों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।
भारत-नेपाल की खुली कोट करेंसियां सीमा के बीच अबाध तरीके से आवागमन होता है, जिसके चलते तस्करी भी होती है। सुबह नेपालगंज से रुपईडीहा की ओर आ रहे एक महिला और पुरुष को नेपालगंज के चौलिक्का रोड पर स्थित जांच चौकी पर एपीएफ (आर्म्स पुलिस फोर्स) व नेपाल पुलिस ने संयुक्त जांच अभियान के दौरान रोक कर तलाशी ली तो दोनों के बैग से नई 14 लाख आठ हजार 80 रुपये भारतीय मुद्रा बरामद हुई।
इनमें दो हजार के 436 नोट, 500 के 982 नोट, 100 के 443 नोट, 50 के 12 नोट, 20 के तीन नोट और 10 के 12 नोट बरामद हुए। पकड़े गए दोनों लोगों की पहचान हरीश चंद डांगी निवासी जुमला वार्ड नंबर एक व सुनीता शाही निवासी रुकुम कोट वार्ड नंबर एक के रूप में हुई।
नई भारतीय मुद्रा के नकली होने का अनुमान लगाया जा रहा है। बड़े पैमाने पर भारतीय मुद्रा की बरामदगी के चलते दोनों को हिरासत में लेकर नेपाल पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। एपीएफ के प्रहरी उपनिरीक्षक राजू अधिकारी ने बताया कि दोनों को जिला प्रहरी कार्यालय बांके ले जाया गया है। बरामद मुद्रा सीज कर दी गई है। जांच पूरी होने और नोटों की पुष्टि के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
नेपालगंज से भारत आते समय शुक्रवार को एक महिला समेत दो लोगों को जांच के दौरान नेपाल पुलिस ने 14 लाख आठ हजार 80 रुपये नई भारतीय करेंसी के साथ पकड़ लिया। बरामद रुपयों मेें नए दो हजार और पांच सौ के भारतीय नोट हैं। बरामद भारतीय मुद्रा के नकली होने का अनुमान लगाया जा रहा है। फिलहाल भारतीय मुद्रा को सीज कर दोनों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।
भारत-नेपाल की खुली सीमा के बीच अबाध तरीके से आवागमन होता है, जिसके चलते तस्करी भी होती है। सुबह नेपालगंज से रुपईडीहा की ओर आ रहे एक महिला और पुरुष को नेपालगंज के चौलिक्का रोड पर स्थित जांच चौकी पर एपीएफ (आर्म्स पुलिस फोर्स) व नेपाल पुलिस ने संयुक्त जांच अभियान के दौरान रोक कर तलाशी ली तो दोनों के बैग से नई 14 लाख आठ हजार 80 रुपये भारतीय मुद्रा बरामद हुई।
इनमें दो हजार के 436 नोट, 500 के 982 नोट, 100 के 443 नोट, 50 के 12 नोट, 20 के तीन नोट और 10 के 12 नोट बरामद हुए। पकड़े गए दोनों लोगों की पहचान हरीश चंद डांगी निवासी जुमला वार्ड नंबर एक व सुनीता शाही निवासी रुकुम कोट वार्ड नंबर एक के रूप में हुई।
नई भारतीय मुद्रा के नकली होने का अनुमान लगाया जा रहा है। बड़े पैमाने पर भारतीय मुद्रा की बरामदगी के चलते दोनों को हिरासत में लेकर नेपाल पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। एपीएफ के प्रहरी उपनिरीक्षक राजू अधिकारी ने बताया कि दोनों को जिला कोट करेंसियां प्रहरी कार्यालय बांके ले जाया गया है। बरामद मुद्रा सीज कर दी गई है। जांच पूरी होने और नोटों की पुष्टि के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
अफ्रीकी देश व उनकी मुद्रा/करेंसी की सूची
विनिमय (Exchange) के माध्यम के लिए चुने गए धन (Money) के किसी भी रूप,विशेषकर बैंकनोट व सिक्कों, को मुद्रा या करेंसी कहा जाता है | सामान्य रूप से मुद्रा या करेंसी को किसी देश की धन प्रणाली (system of money ) के रूप में समझा जा सकता है |
विनिमय (Exchange) के माध्यम के लिए चुने गए धन (Money) के किसी भी रूप,विशेषकर बैंकनोट व सिक्कों, को मुद्रा या करेंसी कहा जाता है | सामान्य रूप से मुद्रा या करेंसी को किसी देश की धन प्रणाली (system of money ) के रूप में समझा जा सकता है |
वर्चुअल करेंसी में निवेश का झांसा दे 35 लोगों से 15 लाख ठगे
गाजियाबाद ब्यूरो
Updated Mon, 13 Dec 2021 12:21 AM IST
वर्चुअल करेंसी में निवेश का झांसा दे 35 लोगों से 15 लाख ठगे
गाजियाबाद। बिटक्वाइन और क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने पर मोटे मुनाफे का झांसा देकर साइबर जालसाजों ने एक महीने में 35 लोगों से करीब 15 लाख रुपये ठग लिए। किसी को फोन करके तो किसी को सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर लिंक भेजकर झांसे में फंसाया गया है। इसके पीछे साइबर ठगों का गैंग काम कर रहा है। एक महिला की शिकायत पर मधुबन बापूधाम पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है। कई अन्य मामलों में साइबर सेल गिरोह की कुंडली खंगालने में जुटी है।
मधुबन बापूधाम के गांव सदरपुर निवासी निशा सिंह का कहना है कि उनके मोबाइल पर अनजान नंबर से कॉल आई। कॉल करने वाली एक महिला था, जिसने अपना नाम कृप्ति अग्रवाल बताया। उसने कहा कि वह बिटक्वॉइन जैसे वर्चुअल करेंसी में निवेश कराती हैं। इस कारोबार में अच्छा-खासा मुनाफा होता है। उसने कहा कि पांच हजार रुपये निवेश करने पर 32 हजार रुपये मिलेंगे। निशा का कहना है कि महिला की बातों में आकर उन्होंने पेटीएम से जरिये 5 हजार रुपये का भुगतान कर वर्चुअल करेंसी में निवेश करने के लिए कहा। महिला ने उनसे जल्द 32 हजार रुपये मिलने की बात कही।
कभी सिक्योरिटी तो कभी किसी बहाने से डलवाई रकम
निशा सिंह का कहना है कि उन्होंने महिला को फोन कर मुनाफे के साथ रकम मांगी तो तकनीकी कमी बता दी। महिला ने कहा कि उन्हें सिक्योरिटी मनी के रूप में 10 हजार रुपये जमा कराने होंगे, जिसके बाद 2.90 लाख रुपये रिलीज हो जाएंगे। उन्होंने पैसे ट्रांसफर कर दिए। तीसरी बार में महिला ने कहा कि उनकी रकम बिटक्वॉइन में कन्वर्ट कर दी गई है। खाते में रकम लेने के लिए 15 हजार रुपये और डालने होंगे। उन्होंने यह रकम भी ट्रांसफर कर दी। इसके बाद उनका नंबर ब्लॉक कर दिया गया।
वर्चुअल करेंसी के नाम पर इनसे हुई ठगी
- कविनगर एफ-ब्लॉक निवासी शांतनु सिंह से डेढ़ लाख रुपये ठगे।
- चिरंजीव विहार निवासी जयप्रकाश शर्मा से 70 हजार रुपये ठगे।
- इंद्रगढ़ी निवासी जयवीर सिंह से 23 हजार रुपये ठगे।
- आदर्श कॉलोनी निवासी शैलेंद्र तिवारी से 62 हजार रुपये की ठगी।
- सेवियर्स सोसायटी निवासी कमलप्रकाश से 1.65 लाख की ठगी।
- मोदीनगर के इंद्रपुरी निवासी योगेश गिरी से 15 हजार की ठगी।
इनसेट.
सोशल मीडिया को हथियार बना रहे जालसाज
साइबर एक्सपर्ट कर्मवीर सिंह का कहना है कि वर्चुअल करेंसी में निवेश के नाम पर लोगों से ठगी के मामले सामने आ रहे हैं। इस ट्रेंड को साइबर अपराधी अपना रहे हैं। वह लोगों को कॉल करके या सोशल प्लेटफॉर्म पर मेसेज या लिंक के जरिये मोटे मुनाफेका लालच देकर लोगों को लुभा रहे हैं। इनके झांसे में आकर लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं।
कोट.
वर्चुअल करेंसी के नाम पर ठगी के मामले में मधुबन बापूधाम पुलिस ने केस दर्ज किया है। जालसाजों तक पहुंचने के लिए साइबर सेल की मदद ली जा रही है। लोगों से अपील है कि वह मोटे मुनाफे के लालच में न फंसें। - अवनीश कुमार, सीओ
गाजियाबाद। बिटक्वाइन और क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने पर मोटे मुनाफे का झांसा देकर साइबर जालसाजों ने एक महीने में 35 लोगों से करीब 15 लाख रुपये ठग लिए। किसी को फोन करके तो किसी को सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर लिंक भेजकर झांसे में फंसाया गया है। इसके पीछे साइबर ठगों का गैंग काम कर रहा है। एक महिला की शिकायत पर मधुबन बापूधाम पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है। कई अन्य मामलों में साइबर सेल गिरोह की कुंडली खंगालने में जुटी है।
मधुबन बापूधाम के गांव सदरपुर निवासी निशा सिंह का कहना है कि उनके मोबाइल पर अनजान नंबर से कॉल आई। कॉल करने वाली एक महिला था, जिसने अपना नाम कृप्ति अग्रवाल बताया। उसने कहा कि वह बिटक्वॉइन जैसे वर्चुअल करेंसी में निवेश कराती हैं। इस कारोबार में अच्छा-खासा मुनाफा होता है। उसने कहा कि पांच हजार रुपये निवेश करने पर 32 हजार रुपये मिलेंगे। निशा का कहना है कि महिला की बातों में आकर उन्होंने पेटीएम से जरिये 5 हजार रुपये का भुगतान कर वर्चुअल करेंसी में निवेश करने के लिए कहा। महिला ने उनसे जल्द 32 हजार रुपये मिलने की बात कही।
कभी सिक्योरिटी तो कभी किसी बहाने से डलवाई रकम
निशा सिंह का कहना है कि उन्होंने महिला को फोन कर मुनाफे के साथ रकम मांगी तो तकनीकी कमी बता दी। महिला ने कहा कि उन्हें सिक्योरिटी मनी के रूप में 10 हजार रुपये जमा कराने होंगे, जिसके बाद 2.90 लाख रुपये रिलीज हो जाएंगे। उन्होंने पैसे ट्रांसफर कर दिए। तीसरी बार में महिला ने कहा कि उनकी रकम बिटक्वॉइन में कन्वर्ट कर दी गई है। खाते में रकम लेने के लिए 15 हजार रुपये और डालने होंगे। उन्होंने यह रकम भी ट्रांसफर कर दी। इसके बाद उनका नंबर ब्लॉक कर दिया गया।
वर्चुअल करेंसी के नाम पर इनसे हुई ठगी
- कविनगर एफ-ब्लॉक निवासी शांतनु सिंह से डेढ़ लाख रुपये ठगे।
- चिरंजीव विहार निवासी जयप्रकाश शर्मा से 70 हजार रुपये ठगे।
- इंद्रगढ़ी निवासी जयवीर सिंह से 23 हजार रुपये ठगे।
- आदर्श कॉलोनी निवासी शैलेंद्र तिवारी से 62 हजार रुपये की ठगी।
- सेवियर्स सोसायटी निवासी कमलप्रकाश से 1.65 लाख की ठगी।
- मोदीनगर के इंद्रपुरी निवासी योगेश गिरी से 15 हजार की ठगी।
इनसेट.
सोशल मीडिया को हथियार बना रहे जालसाज
साइबर एक्सपर्ट कर्मवीर सिंह का कहना है कि वर्चुअल करेंसी में निवेश के नाम पर लोगों से ठगी के मामले सामने आ रहे हैं। इस ट्रेंड को कोट करेंसियां साइबर अपराधी अपना रहे हैं। वह लोगों को कॉल करके या सोशल प्लेटफॉर्म पर मेसेज या लिंक के जरिये मोटे मुनाफेका लालच देकर लोगों को लुभा रहे हैं। इनके झांसे में आकर कोट करेंसियां लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं।
कोट.
वर्चुअल करेंसी के नाम पर ठगी के मामले में मधुबन बापूधाम पुलिस ने केस दर्ज किया है। जालसाजों तक पहुंचने के लिए साइबर सेल की मदद ली जा रही है। लोगों से अपील है कि वह मोटे मुनाफे के लालच में न फंसें। - अवनीश कुमार, सीओ
रूस की करेंसी रूबल ने कैसे पाबंदियों के बावजूद किया डॉलर का मुक़ाबला
यूक्रेन पर हमले के बाद रूस आधुनिक इतिहास के सबसे कड़े आर्थिक प्रतिबंधों का सामना कर रहा है.
लेकिन रूबल को मजबूत से होने से पश्चिमी देशों की ये कार्रवाई भी नहीं रोक पाई.
दो महीने पहले ये ऐसी बात थी जिसकी कल्पना करना मुश्किल था. डॉलर के सामने रूबल की हैसियत गिरकर एक सेंट से भी कम हो गई थी.
लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ, और करेंसी मार्केट पर नज़र रखने वाले चौंक गए.
वो सात मार्च की तारीख़ थी. डॉलर के मुक़ाबले रूबल ऐतिहासिक रूप से अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई थी.
तब एक डॉलर के मुक़ाबले रूबल 0.007 पर था. तब से डॉलर के मुक़ाबले रूबल की स्थिति में लगभग 15 फ़ीसदी सुधार हुआ है और अब ये 0.016 पर ट्रेड कर रहा है.
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रूस में एटीएम मशीनों के बाहर नकदी निकालने के लिए लंबी-लंबी कतारें देखी गईं
रूस-यूक्रेन युद्ध
विश्लेषक इसकी वजह बताते हैं कि यूक्रेन पर हमले की शुरुआत के बाद से ही क्रेमलिन ने करेंसी के प्रवाह पर नियंत्रण के लिए कड़े कदम उठाए थे.
लोगों में इसे लेकर एक तरह के डर का माहौल था और एटीएम मशीनों के बाहर नकदी निकालने के लिए लंबी-लंबी कतारें देखी गईं.
रूस ने अपने लोगों पर विदेशी मुद्रा खरीदने के लिए रूबल खर्च करने पर रोक लगा दी.
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने रूस के इस कदम को चालाकी करार दिया.
रूस के इन कदमों की वजहों से उसके विदेशी मुद्रा भंडार का बड़ा हिस्सा फ्रीज़ हो गया.
ये ऐसे वक़्त में हुआ जब उसे इन संसाधनों की सख़्त ज़रूरत थी ताकि देश से बाहर जा रही पूंजी और यूक्रेन पर सैनिक हमले के खर्च की भरपाई की जा सके.
ये जंग उम्मीद से ज़्यादा लंबी खिंचने वाली थी.
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साल 2001 में अर्जेंटीना की सरकार ने लोगों के बैंक खातों से पैसा निकालने पर रोक लगा दी थी
तुर्की और अर्जेंटीना का मामला
रूबल की इस रिकवरी में जो बात सामान्य नहीं लगती है वो तुर्की या अर्जेंटीना जैसे देशों का उदाहरण है.
एक वक़्त में अर्जेंटीना और तुर्की जैसे देशों को भी ऐसे ही कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा था.
लेकिन उनके यहां रूस जैसे नतीज़े नहीं मिले थे. लीरा और पेसो दोनों ही मुद्राओं की हालत ख़राब हो गई थी.
दोनों ही मुद्राएं रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गईं और आज भी उबरने के लिए संघर्ष कर रही हैं.
रूस को जैसे ही ये एहसास हुआ कि अंतरराष्ट्रीय पाबंदियां लगने वाली हैं, उसने फौरन कदम उठाने शुरू कर दिए.
रूस की नई पीढ़ी के लिए ये सबकुछ नया था. ख़ासकर उन लोगों के लिए जिन्होंने सोवियत संघ के ज़माने का मुश्किल दौर नहीं देखा था.
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वित्तीय फर्म 'ईटोरो' में वैश्विक बाज़ार मामलों के जानकार बेन लैडलर बीबीसी मुंडो से कहते हैं, "रूस के केंद्रीय बैंक को पश्चिमी देशों की पाबंदियों के जवाब में ब्याज दरें बढ़ानी पड़ी और पूंजी के प्रवाह पर नियंत्रण भी सख़्त करना पड़ा."
"रूस में ब्याज़ दरें दोगुनी से भी ज़्यादा बढ़ाकर 20 फ़ीसदी कर दी गई हैं. रूस के निर्यातकों को ये आदेश दिया गया है कि विदेशों से होने वाली आमदनी का 80 फ़ीसदी हिस्सा उन्हें रूबल में बदलना होगा. और गिने चुने लोगों को ही अपना पैसा कोट करेंसियां विदेश भेजने के लिए इजाजत दी गई है और बाहर भेजे जाने वाली इस रकम की भी एक निश्चित हद होगी."
पश्चिमी देशों ने रूस पर जो पाबंदी लगाई है, उसके तहत विदेशों में रूस के बैंक ख़ातों को फ्रीज़ कर दिया गया है.
अपनी करेंसी को सुरक्षित करने के लिए रूस ने एक और कदम उठाया. रूस से प्राकृतिक गैस खरीदने वाले यूरोपीय संघ के देशों से मांग की गई कि वो डॉलर या यूरो के बजाय बिल का भुगतान रूबल में करें.
राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की पूर्वी यूक्रेन में फ्रंटलाइन पर अपने सैनिकों से मिलने पहुंचे.
यूरोप से बदला लेने का तरीका
देश और दुनिया की बड़ी ख़बरें और उनका विश्लेषण करता समसामयिक विषयों का कार्यक्रम.
दिनभर: पूरा दिन,पूरी ख़बर
यूरोप के देश रूस से आने वाली गैस पर बहुत ज़्यादा निर्भर करते हैं. यूरोपीय संघ इस योजना पर काम कर रहा है कि किस तरह से एनर्जी सप्लाई के वैकल्पिक तरीके खोजें जाएं.
लेकिन रूस से गैस खरीदना बंद करने में भी यूरोप को सालों लग जाएंगे. रूस की सरकारी कंपनी गैज़प्रोम के सबसे बड़े खरीदारों में से एक जर्मनी ने पहले ही रूबल में भुगतान को लेकर अपनी रज़ामंदी दे दी है. और रूस को ये सहूलियत देने वालों में जर्मनी यूरोप का अकेला देश नहीं है.
वित्तीय फर्म स्कोप रेटिग्ंस के सीनियर एनालिस्ट लेवोन केमरयान बताते हैं, "रूस ने यूरोपीय संघ से बदला लेने के लिए रणनीतिक तरीका अपनाया है. उसने यूरोप को नैचुरल गैस सप्लाई करने मुख्य स्रोत की अपनी हैसियत का पूरा फायदा उठाया. यूक्रेन पर हमले से पहले यूरोप अपनी ज़रूरत का 40 फ़ीसदी गैस रूस से खरीद रहा था."
और आख़िर में तेल-गैस की महंगी क़ीमत से भी रूस को काफी मदद मिली.
तेल-गैस महंगा होने का मतलब था कि रूस के खरीदारों को प्रति बैरल तेल के लिए ज़्यादा डॉलर चुकाना पड़ता और इसका मतलब था कि खरीदारों को ज़्यादा रूबल की ज़रूरत पड़ने वाली थी.
क्वॉड से भारत आख़िर क्या हासिल करना चाहता है, टोक्यो समिट के भारत के लिए क्या मायने हैं.
फौरी उपाय
हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि कड़े मौद्रिक उपायों, ऊंची ब्याज़ दरों और तेल-गैस कोट करेंसियां की महंगी क़ीमतों से रूस को केवल फौरी राहत ही मिलने वाली है. रूस की अर्थव्यवस्था के लिए एक बुरे साल में इन कदमों से हालात और बिगड़ने की रफ़्तार बस थोड़ी कोट करेंसियां सुस्त हुई है.
ब्लूमबर्ग इकोनॉमिक्स में रूसी अर्थव्यवस्था के जानकार स्कॉट जॉनसन कहते हैं, "रूस के भीतर रूबल अचानक से महंगा हो गया है. इससे निर्यातकों और कुछ घरेलू उत्पादकों के लिए परेशानियां बढ़ गई हैं. इसका मतलब ये भी है कि बजट के लिए रूस के पास कम आमदनी होगी."
रूबल जिस तरह से मजबूत हुआ है, उससे ये सवाल उठने लगे हैं कि पश्चिमी देशों ने रूस पर जो आर्थिक पाबंदियां लगाई हैं, वो कारगर भी हो पा रही हैं या नहीं?
स्कॉट जॉनसन का कहना है, "रूस के बाहर लोगों को ऐसा कोट करेंसियां लग रहा है कि रूबल मजबूत हो रहा है और प्रतिबंधों का वैसा असर नहीं हो रहा है जैसा कि सोचा गया था. लेकिन ये बात पूरी तरह से सच नहीं है."
"रूबल की मजबूती की बड़ी वजह निर्यात से होने वाली आमदनी को घरेलू मुद्रा में बदलने की शर्त और मौद्रिक प्रवाह पर लगाए गए अन्य किस्म के नियंत्रण हैं. इसी तरीके से विदेशों से आने वाली नकदी के प्रवाह को नियंत्रित किया गया है."
वो कहते हैं, "रूबल भुगतान संतुलन की सही तस्वीर पेश करता है लेकिन ये अर्थव्यवस्था की स्थिति को बयान नहीं करता है जहां तस्वीर धुंधली दिखाई दे रही है."
स्कॉट जॉनसन की दलीलों से बेन लैडलर भी सहमत हैं. वे कहते हैं, "मुमकिन है कि रूबल का उफान अब थम जाए. रूबल के मज़बूत होने ने रूस के निर्यात को कम प्रतिस्पर्धी बना दिया है और कड़े अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण उसके कर्ज़ अदायगी में डिफॉल्ट के ख़तरे को बढ़ा दिया है."
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'RBI के रूल्स से करेंसी फ्यूचर्स का वॉल्यूम कम'
पिछले साल रुपए में कमजोरी रोकने के लिए आरबीआई द्वारा उठाए गए कदमों का इंडियन करेंसी फ्यूचर्स वॉल्यूम पर असर पड़ा है.
पिछले साल मई में आरबीआई ने कहा था कि इंडियन बैंकों के लिए रुपी ओपन पोजीशन लिमिट्स में करेंसी फ्यूचर्स और ऑप्शंस सेगमेंट में ली गई पोजीशन शामिल नहीं होगी। रेग्युलेटर ने बैंकों को फॉरवर्ड के मुकाबले फ्यूचर्स में पोजीशन ऑफसेट करने से रोक दिया था। आरबीआई ने करेंसी फ्यूचर्स और ऑप्शंस में ट्रेडिंग के लिए बैंकों के वास्ते पोजीशन की लिमिट तय की है। यह आउटस्टैंडिंग ओपन इंटरेस्ट का 15 फीसदी या 10 करोड़ डॉलर में से कम होगी।
प्रसाद ने कहा, 'इस कदम से फ्यूचर्स एंड फॉरवर्ड मार्केट में दिलचस्पी घटी है। इससे एक ही एसेट के लिए दो अलग-अलग प्राइसेज हो गए हैं। हेजर्स ने फ्यूचर्स मार्केट में प्राइस की वैधता पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं। वॉल्यूम और ओपन इंटरेस्ट के लिहाज से हमारी ग्रोथ कम करने में इसका बड़ा हाथ रहा है।' बैंकों द्वारा ऑफर किए जाने वाले ओवर-दी-काउंटर मार्केट का इस्तेमाल करने वाली कंपनियां अब एक्सचेंज के मुकाबले बैंकों द्वारा कोट किए जाने वाले प्राइस पर भरोसा कर रही हैं। दोनों के बीच भारी अंतर से सिचुएशन खराब हो रही है। एमसीएक्स-एसएक्स पर वन-मंथ फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट में अभी 54.39 प्रति डॉलर पर ट्रेड हो रहा है। इसके मुकाबले ओवर-दी-काउंटर पर 1 महीने के फॉरवर्ड में 54.49 पर ट्रेड हो रहा है। इससे दोनों के बीच प्राइस गैप का पता चलता है।
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