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इंट्राडे ट्रेडिंग और स्विंग ट्रेडिंग में क्या अंतर है?

इंट्राडे ट्रेडिंग और स्विंग ट्रेडिंग में क्या अंतर है?
Trading Kya Hai और Trading Kitne Prakar Ki Hoti Hai

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कितने प्रकार से की जाती हैं

आज हम समझेंगे Types of Trading Style कि हम कितने प्रकार से ट्रेडिंग कर सकते हैं जब एक बार आप शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने का निर्णय ले लेते हैं तो उसके बाद सबसे बड़ा निर्णय यह होता है कि आप किस प्रकार की शेयर ट्रेडिंग करना चाहते हैं शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने के बहुत सारे तरीके मौजूद हैं आज इन्ही तरीकों को समझने का प्रयास करेंगे ट्रेडिंग करने का कोई सा भी तरीका बहुत ज्यादा अच्छा या बुरा नहीं होता है बल्कि आपकी बाजार से उम्मीदें बाजार की जानकारी और रिस्क लेने की क्षमता के अनुसार ट्रेडिंग स्टाइल आपके लिए सही या गलत हो सकता है एक अच्छा ट्रेडिंग स्टाइल चुनने के लिए आपको आपके इमोशन Technical Analysis की जानकारी और ट्रेडिंग साइकोलॉजी का Analysis करना पड़ता है यह जानने के लिए कि कौन सा ट्रेडिंग स्टाइल आपके लिए अच्छा है ट्रेडिंग की शुरुआत में आप सभी ट्रेडिंग स्टाइल को ट्राई करके जरूर देखें और उसके बाद यह Analysis करिए कि कौन से ट्रेडिंग स्टाइल में आपका सक्सेस रेट अच्छा है उसके बाद जिस ट्रेडिंग स्टाइल पर आपको पूरा विश्वास है कि आप उसे सही तरीके से कर सकते हैं उसी ट्रेडिंग स्टाइल को चुनिए

तो चलिए अब हम कुछ ट्रेडिंग टाइप को समझ लेते हैं जो कि शेयर बाजार में बहुत ही पॉपुलर हैं सबसे पहले हम समझते हैं स्कल्पिन ट्रेडिंग को

दोस्तों यह ट्रेडिंग करने का सबसे छोटे समय का तरीका है स्कल्पिग ट्रेडिंग में शेयर्स को लेने के बाद कुछ सेकंड से लेकर कुछ मिनटओं में बेच दिया जाता है इससे बाजार में जो छोटे-छोटे मोमेंट आते हैं उनका फायदा उठाया जाता है और बाजार के बंद होने तक बहुत सारे ट्रेड किए जाते हैं उदाहरण के लिए मान लीजिए ABC शेयर का प्राइस ₹100 और आपने ₹100 के प्राइस पर 10000 शेयर खरीद लिए आप जैसे ही ABC शेयर का प्राइस ₹100 से बढ़कर ₹100.50 पैसे हो जाता है आप यह 10000 शेयर बेच देते हैं तो इसमें आपको ₹5000 का प्रॉफिट होगा इसे ही स्कल्पिग ट्रेडिंग कहते हैं

शेयर मार्केट में कितने प्रकार से ट्रेडिंग की जाती हैं

अब हम समझते हैं दूसरा तरीका इसे कहते हैं BTSTऔर STBT मतलब कि Buy Today Sell Tomorrow, Sell Today Buy Tomorrow इस में शेयर्स को आज के दिन की आखरी कैंडल में खरीदा या बेचा जाता है और अगले दिन बाजार आज की कैंडल के क्लोज प्राइस से ज्यादा या कम ओपन होता है इसका फायदा उठाने को बीटीएसपी और एसटीबीटी ट्रेडिंग कहते हैं

उदाहरण:- के लिए मान लीजिए कि abc शेयर का प्राइस आज 10% गिर चुका है और आपको Technical Analysis की मदद से यह लगता है कि कल शेयर और गिरेगा यह शेयर बहुत गिर चुका है कल यह थोड़ा सा ऊपर जाएगा तो इस आधार पर अगर आप आज शेयर खरीदारी करते हैं या बिकवाली करते हैं और कल बाजार खुलते ही Exit कर लेते हैं इसे ही बीटीएसटी एंड एसटीबीटी ट्रेडिंग कहते हैं

अब हम समझते हैं इंट्राडे ट्रेडिंग को जिसे day ट्रेडिंग भी कहते हैं इंट्राडे ट्रेडिंग के अंदर शेयर्स को खरीदकर कुछ घंटों या मार्केट बंद होने से पहले बेंच दिया जाता है इसमें दिन के दरमियान आने वाले मोमेंट का फायदा उठाया जाता है

उदाहरण:- के लिए मान abc शेयर की कीमत ₹100 आपने इस शेयर को ₹100 की प्राइस पर खरीद लिया है अब बाजार बंद होने से पहले abc शेयर का जो भी प्राइस हो आपको प्रॉफिट हो या लॉस। बुक करके निकलना ही होगा इसे ही इंट्राडे ट्रेडिंग कहते हैं

हम समझते हैं स्विंग ट्रेडिंग को जब शेयर्स को कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों तक रखकर सेल कर दिया जाता है तो इससे स्विंग ट्रेडिंग कहते हैं उदाहरण:- के लिए मान लीजिए abc शेयर अभी 100 रुपए पर चल रहा है और शेयर ने आज ही breakout दिया है तो आने वाले 1 से 2 हफ्तों में जो शेयर का मोमेंट होगा उसका फायदा उठा कर पैसा कमाना स्विंग ट्रेडिंग कहलाता है

अब हम समझते हैं पोजीशनल ट्रेडिंग को इसमें किसी शेयर को खरीद कर कुछ हफ्तों से लेकर कुछ महीनों या 1 साल के अंदर बेच दिया जाता है इसे पोजीशनल ट्रेडिंग कहते हैं इसमें लंबे मूवमेंट का फायदा उठाकर प्रॉफिट कमाया जाता है

उदाहरण के लिए मान लीजिए कि abc शेयर्स जिसका प्राइस ₹100 और अपने कंपनी के फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस की मदद से यह जान लिया है कि abc शेयर आने वाले 8 से 10 महीनों में 140 से ₹150 तक जा सकता है और शेयर खरीदकर 10 महीने बाद बेच देते हैं इसे ही पोजीशनल ट्रेडिंग कहते हैं

शेयर मार्केट में कितने प्रकार से ट्रेडिंग की जाती हैं

अब हम समझते हैं मोमेंटम ट्रेडिंग को जब किसी शेयर में ब्रेक आउट होता है तो उस ब्रेकआउट पर ट्रेडिंग करने को मोमेंटम ट्रेडिंग कहते हैं ब्रेकआउट कई प्रकार के होते हैं

Trading क्या है – Trading कितने प्रकार की होती है, ट्रेडिंग किसे कहते है

बाज़ार में कम समय के अन्दर मुनाफा कमाने के लिए लोग ट्रेडिंग करते है और यह Trading कई प्रकार कि चीजों पर कि जाती है. मुख्य रूप से ट्रेडिंग में लोग सबसे ज्यादा शेयर पर ट्रेडिंग करते है और स्टॉक पर ट्रेडिंग करके एक ही दिन में लाखों और हजारों रूपये कमा लेते है.

अगर आप भी ट्रेडिंग कि मदद से हजारों और लाखों रूपये कमाना चाहते है तो उसके लिए आपको ट्रेडिंग को समझना होगा तो चलिए जानते है Trading Kya Hai और Trading Kitne Prakar Ki Hoti Hai है.

Trading Kya Hai और Trading Kitne Prakar Ki Hoti Hai

Trading Kya Hai और Trading Kitne Prakar Ki Hoti Hai

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Trading Kya Hai

ट्रेडिंग क्या है: Trading में हम शेयर मार्केट से शेयर को खरीदने और बेचने का काम करते है. जहाँ हम शेयर को stock exchange से कम price पर buy कर लेते है और उस शेयर की price high होने पर उसे sell कर देते है. इस प्रक्रिया को हम ट्रेडिंग कहते है.

ट्रेडिंग का मुख्य मकसद किसी भी वास्तु या सेवा को खरीद व बैच कर कम समय में लाभ कमाना होता है. यही कारण है कि Trading Share Market में सबसे ज्यादा कि जाती है और लोग हर रोज शेयर पर ट्रेडिंग करके हजारों और लाखों रूपये कमा लेते है.

Trading Kya Hoti Hai

What Is Trading in Hindi: Trading का मतलब Buy और Sell करना होता है जहाँ हम किसी भी चीज को कम भाव में खरीद लेते है और उसके बाद जब उसका भाव बढ़ जाता है तो उसे बैच देते है.

इस प्रकार कम पैसे में खरीदी गई चीज़ को जब ज्यादा दम में बेचा जाता है तो हमे उस पर कुछ पैसों का मुनाफा होता है जिसे हम ट्रेडिंग कहते है.

तो अगर आप Share पर ट्रेडिंग करके पैसे कमाना चाहते है तो सबसे पहले आपको शेयर मार्केट ट्रेडिंग को समझना होगा चलिए जानते है शेयर मार्केट ट्रेडिंग क्या है ?.

Share Market Trading Kya Hai

शेयर मार्केट ट्रेडिंग क्या है: शेयर मार्केट ट्रेडिंग, शेयर पर होने वाली ट्रेडिंग को कहते है. जब सुबह 9:15 AM पर शेयर मार्केट खुलती है तब ट्रेडर कम दाम में शेयर को खरीद लेते है.

और दोपहर के 3:30 PM के पहले शेयर को बेच देते है . क्योंकि शेयर मार्केट सुबह 9:15 AM पर खुलती है और 3:30 PM पर बंद हो जाती है. इस बीच ट्रेडर अपने ख़रीदे हुए शेयर पर अनुमानित मुनाफे को देख कर शेयर को बेच के मुनाफा कमा लेते है.

लेकिन शेयर मार्केट में ट्रेडिंग अलग-अलग प्रकार कि होती है और ट्रेडर अपनी सुविधा और जोखिम के अनुसार ट्रेडिंग करते है.

Trading Kitne Prakar Ki Hoti Hai

ट्रेडिंग कितने प्रकार के होते हैं: Trading तीन प्रकार की होती है जिसे हम Intraday Trading, Scalping Trading, Swing Trading कहते है. शेयर मार्केट में लोग इन्ही तीनो ट्रेडिंग की मदद से शेयर बाज़ार में पैसा लगाते है और रोज हजारों रूपए कमाते है.

Types of Trading

  • Intraday Trading
  • Scalping Trading
  • Swing Trading

Intraday Trading Kya Hai

इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है: शेयर मार्केट के खुलने से लेकर उसके बंद होने के पहले शेयर को खरीद कर बेचने को Intraday Trading कहते है.

इसमें ट्रेडर 9:15 AM से 3:30 PM के बीच शेयर को खरीदता और बेचता है. जिससे उसे एक ही दिन में शेयर पर ट्रेडिंग करने पर मुनाफा मिलता है और इसी तरह इंट्राडे ट्रेडिंग की जाती है.

Intraday Trading के बारे में और भी अधिक जानने के लिए आप हमारी पोस्ट पड़ सकते है जिसमे इंट्राडे ट्रेडिंग के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है.

Scalping Trading Kya Hai

स्कैल्पिंग ट्रेडिंग क्या है: सकैलपिंग ट्रेडिंग भी शेयर मार्केट के खुलने से उसके बंद होने के बीच में कि जाती है. लेकिन Scalping Trading में पुरे दिन ट्रेडिंग नहीं कि जाती.

यह ट्रेडिंग ज्यादा से ज्यादा पैसों के साथ कुछ ही मिनट या घंटे के लिए कि जाती है. जैसे 9:15 AM पर शेयर को खरीद कर 10:05 AM इंट्राडे ट्रेडिंग और स्विंग ट्रेडिंग में क्या अंतर है? पर ही शेयर बेच कर मुनाफा कमा लेना.

Scalping Trading के बारे में और भी अच्छे से जानने के लिए आप हमारी टॉप क्लास स्काल्पिंग ट्रेडिंग की पोस्ट पढ़े उसमे आपको विस्तार से जानकरी मिलेगी.

Swing Trading Kya Hai

स्विंग ट्रेडिंग क्या है: Swing Trading बाकि दोनों सकैलपिंग, ट्रेडिंग और इंट्राडे ट्रेडिंग से अलग है यह कुछ दिन और हफ़्तों के लिए की जाती है. लेकिन इसमें भी शेयर को खरीदना और बेचना का काम शेयर मार्केट के खुलने और बंद होने के बीच ही किया जाता है .

स्विंग ट्रेडर पहले शेयर मार्केट में कम दाम पर शेयर खरीद लेते है और फिर उन्हें hold करके रख लेते है. उसके बाद जब कुछ दिन या हफ्ते में उनके शेयर कि price ज्यादा हो जाती है. तो उन्हें बेच कर मुनाफा कमा लेते है.

Swing Trading के बारे में और भी विस्तार से जानने के लिए आप हमारी स्विंग ट्रेडिंग पर लिखी पोस्ट को पड़े इसमें आपको विस्तार से जानकारी मिलेगी स्विंग ट्रेडिंग के बारे में.

Trading Kise Kahate Hain

Trading को समझना बहुत ही आसान है हम नीचे एक उदहारण की मदद से ट्रेडिंग को समझेंगे.

उदहारण: मान लेते है आप शेयर बाज़ार इंट्राडे ट्रेडिंग और स्विंग ट्रेडिंग में क्या अंतर है? में शेयर मार्केट में से SBI का 1 share खरीदना चाहते है. मार्केट के 9:15 AM पर खुलते ही शेयर की कीमत 99 रूपए रहती है और दिन में 1 PM तक शेयर की price 100 रूपए हो जाती है.

अब ऐसे में अगर आप शेयर को सुबह खरीद लेते तो 99 रूपए का आपको 1 शेयर मिलता जिसे आप 100 रूपए में बैच सकते थे. अगर आप ऐसा करते तो आपको 1 रूपए का मुनाफा होता जिसे हम profit कहते है और इस पूरी प्रोसेस को हम ट्रेडिंग कहते है.

Trading Account Kya Hai

Trading account वह account होता है जिसकी मदद से आप शेयर मार्केट में शेयर की ट्रेडिंग करते है और शेयर को ख़रीदे और बेचने का काम करते है.

बिना ट्रेडिंग account के आप शेयर मार्केट में ट्रेडिंग नहीं कर सकते न ही आप किसी शेयर पर buy का order लगा सकते और न ही sell का.

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करने के लिए सबको अपना एक ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना पड़ता है जो की वह अपने demat account broker से भी खुलवा सकते है.

ट्रेडिंग अकाउंट के बारे में और आधिक जानने के लिए आप हमारी ट्रेडिंग अकाउंट की पोस्ट पढ़े जिसमे हम ने ट्रेडिंग अकाउंट क्या है और ट्रेडिंग अकाउंट कैसे खोले इसके बारे में पूरी जानकारी दी है.

Trading Ke – FAQs

Trading का मतलब हिंदी में “व्यापार” होता है. आसान भाषा में कहे तो Trading Meaning in Hindi = खरीदने और बेचने का व्यापार .

Trading का मतलब (Buy & Sell) होता है जिसे हम खरीदना और बेचना भी कहते है.

अब आप जान गए है Trading Kya Hai और Trading Kitne Prakar Ki Hoti Hai . इस जानकारी को अपने दोस्तों और परिवार के लोगों के साथ शेयर करे.

अगर आपके मन में कोई सवाल है ट्रेडिंग क्या होती है से लेकर तो आप नीचे अपना सवाल पोस्ट करे हम आपके सभी सवालों के जबाब देंगे.

Bullish Flag Chart Pattern की सम्पूर्ण जानकारी हिंदी मे

Flag chart pattern तब बनता है जब शेयर प्राइस एक तेज अपट्रेंड के बाद कंसोलिडेशन में चला जाता है। कंसोलिडेशन के दौरान शेयर प्राइस में गिरावट के बाद, प्राइस एक छोटी रेंज में रहता है। उसके बाद ब्रेकआउट होने पर प्राइस वापस अपट्रेंड में चला जाता है। चलिए जानते हैं- बुलिश फ्लैग चार्ट पैटर्न (Bullish Flag Chart Pattern) की पूरी जानकारी हिंदी इंट्राडे ट्रेडिंग और स्विंग ट्रेडिंग में क्या अंतर है? में।Bullish Flag Chart Pattern kya hai in Hindi.

Bullish Flag

Flag pole का अर्थ होता है, झंडे का डंडा। फ्लैग पैटर्न शॉर्ट-टर्म और मीडियम टर्म-ट्रेडिंग के काम आने वाला पैटर्न है। यह एक कंटिन्यूएशन पैटर्न है, Flag Chart Patter दो प्रकार के होते हैं-

बुलिश फ्लैग चार्ट पैटर्न शेयर में तेजी जारी रहने का संकेत देते हैं। यानी कि वर्तमान में जो Uptrend चल रहा है, वह आगे भी जारी रहेगा। बुलिश फ्लैग चार्ट पैटर्न कैसे बनता है? इसके बनने के दौरान आपको कौन सी निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए। Falling Wedge Chart Pattern

Bullish Flag Chart Patten कैसे बनता है?

चार्ट पर आपको एक तेज अपमूव दिखाई दे रहा होगा। यह पैटर्न तभी बनता है जब के शेयर के शुरुआत में एक शार्प तेजी हो। इस शार्प तेजी को ही फ्लैग पैटर्न का पोल, यानी कि झंडे का डंडा कहते हैं।

शेयर में शार्प अपट्रेंड के दौरान सामान्य से हाई ट्रेडिंग वॉल्यूम रहता है। इस दौरान प्राइस एक रजिस्टेंस बनता है और फिर प्राइस एक कंसोलिडेशन पीरियड में चला जाता है। कंसोलिडेशन के दौरान प्राइस एक सीमित रेंज में रहता हैं, इस कंसोलिडेशन का झुकाव नीचे की तरफ होता है।

इस दौरान छोटे-छोटे सपोर्ट और रेजिस्टेंस बनते हैं, जब चार्ट पर दो सपोर्ट और दो रेजिस्टेंस बन जाए। तब आपको दोनों रेजिस्टेंस को छूते हुए पहली ट्रेंड ट्रेन लाइन खींचनी चाहिए। इसी तरह दोनों सपोर्ट को छूते हुए दूसरी ट्रेंड लाइन खींचनी चाहिए।

ध्यान देने योग्य बातें हेडिंग

दोनों ट्रेंड लाइन एक दूसरे के समानांतर होनी चाहिए, यह बहुत जरूरी है। Bullish Flag Chart Pattern एक छोटे से प्राइस चैनल जैसा दिखाई देता है। इसके बाद जब प्राइस रजिस्टेंस लाइन को तोड़कर ऊपर चला जाए, तब यह पैटर्न संपूर्ण होता है। Rising Wedge Chart Pattern

इसी के साथ अपट्रेंड फिर से स्टार्ट हो जाता है, जब बुलिश फ्लैग पैटर्न में ब्रेकआउट होता है। ब्रेकआउट के दौरान ट्रेडिंग वॉल्यूम भी बढ़ने लगता है। इस प्रकार बुलिश फ्लैग चार्ट पैटर्न बनता है।

Bullish Flag Chart Pattern के हिसाब से खरीदारी कैसे करें?

अगर आपको चार्ट पर नयाबुलिश फ्लैग चार्ट पैटर्न बनता हुआ दिखाई दे रहा है। तब आपको सबसे पहले कंसोलिडेशन पीरियड के दौरान बनने वाले दोनों रेजिस्टेंस लेवल के हाई प्राइस को छूते हुए एक ट्रेंड लाइन खींचनी है।

इसी तरह दोनों सपोर्ट लेवल के लो प्राइस को छुते हुए दूसरी ट्रेंड लाइन खींचनी चाहिए। अब आपको यहां पर खरीदारी का पॉइंट ढूंढने के लिए यह देखना है। जब कोई कैंडल कंसोलिडेशन पीरियड पूरा होने के बाद रजिस्टेंस लाइन के ऊपर क्लोज दे।

तब उसके बाद वाली कैंडल में आपको खरीदारी करना चाहिए तथा खरीदारी करने के तुरंत बाद आपको स्टॉपलॉस लगाना चाहिए। जिस कैंडल ने ट्रेंड लाइन के ऊपर क्लोजिंग दिया है, आपको उस कैंडल के लो प्राइस का स्टॉपलॉस लगाना चाहिए।

ध्यान देने योग्य बातें

आपको एक बात का विशेष ध्यान रखना है। कि आपके शेयर में खरीदारी करने के पॉइंट से स्टॉप-लॉस लगाने के पॉइंट के बीच का अंतर रिश्क-रिवार्ड के 2% के नियम के अनुसार होना चाहिए।

तभी आपको भी ट्रेड लेना चाहिए अन्यथा नहीं, यदि यह अंतर रिश्क-रिवार्ड रिश्क-रिवार्ड के 2% के नियम के बराबर नहीं है। तब आपको ट्रेड नहीं लेना चाहिए, ट्रेड लेने के बाद आपको ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस का उपयोग करना चाहिए।

प्रॉफिट बुक कहां पर करें?

प्रॉफिट बुक करने के लिए आपको यह देखना है कि जहां से फ्लैग के पोल की शुरुआत होती है। वहां से लेकर पहले रेजिस्टेंस के बीच, बनने बनने वाली कैंडल के बराबर आपको टारगेट रखना चाहिए।

यानी कि यदि इस बीच में यदि दस कैंडल बनती है, तो आपको रेजिस्टेंस लाइन को ब्रेक करके क्लोजिंग देने वाली कैंडल दस कैंडल ऊपर का टारगेट रखना चाहिए। यदि आप धनवान बनना चाहते हैं तो आप रिच डैड पुअर डैड बुक को पढ़ सकते हैं।

जब प्राइस दस कैंडल ऊपर तक पहुंच जाए, तब आपको तुरंत प्रॉफिट बुक कर लेना चाहिए। इस प्रकार आप Bullish Flag Chart Pattern के साथ शेयर में खरीदारी कर सकते हैं।

उम्मीद है, आपको यह बुलिश फ्लैग चार्ट पैटर्न (Bullish Flag Chart Pattern) की पूरी जानकारी हिंदी में।Bullish Flag Chart Pattern kya hai in Hindi. आर्टिकल पसंद आया होगा। यदि आप इस आर्टिकल के बारे में कुछ सुझाव देना चाहते है, तो कमेंट करके बता सकते हैं। यदि आपको यह आर्टिकल पसंद आये तो इसे सोशल मीडिया पर जरुर शेयर करें। ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारी के लिए इस साइट को जरूर सब्सक्राइब करें। आप मुझे Facebook पर भी ज्वाइन कर सकते हैं।

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